हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर वापस लौटे लोग, बाकी समस्याओं के लिए अल्टीमेटम जारी

ग्रेटर नोएडा में किसानों का धरना खत्म : हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर वापस लौटे लोग, बाकी समस्याओं के लिए अल्टीमेटम जारी

हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने पर वापस लौटे लोग, बाकी समस्याओं के लिए अल्टीमेटम जारी

Tricity Today | किसानों के धरने में पहुंचे अफसर

Greater Noida News : नौ दिनों से जारी संयुक्त किसान मोर्चा का धरना मंगलवार को हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद समाप्त हो गया। किसानों ने कलेक्ट्रेट पर धरना देकर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन किया था। प्रशासन की ओर से सभी मुद्दों पर मीटिंग का आयोजन कर लिखित आश्वासन और समय सीमा के भीतर समाधान का वादा करते हुए हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट सौंपी गई। इसके बाद किसान नेताओं ने धरने को समाप्त करने का फैसला लिया।

इन किसान संगठनों ने हिस्सा लिया
कई किसान संगठनों जैसे जय जवान जय किसान मोर्चा, अखिल भारतीय किसान सभा, भारतीय किसान परिषद, कृषक शक्ति, किसान एकता संघ, किसान संघर्ष समिति और ऐछर किसान यूनियन के समन्वय से यह धरना दिया था। सभी संगठनों ने बैठक कर धरना समाप्त करने और हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट की समीक्षा कर आगे की रणनीति बनाने का निर्णय लिया।

हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट के बाद प्रशासन का आश्वासन
किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ.रुपेश वर्मा ने कहा कि यह धरना हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक कराने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। एनटीपीसी किसानों के रोजगार, डीएमआईसी, पेरीफेरल एक्सप्रेसवे और हाइटेक सिटी जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स से संबंधित समस्याओं को लेकर किसान पिछले कुछ समय से आंदोलनरत थे। जिलाधिकारी के हस्तक्षेप के बाद अधिकारियों के साथ एक महीने के भीतर समस्याओं के समाधान के लिए बातचीत कराने का आश्वासन दिया गया है।

आर-पार की लड़ाई में किसानों की जीत
भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने इस धरने को आर-पार की लड़ाई करार दिया। उन्होंने कहा कि विधायक और सांसद हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने में विफल रहे, लेकिन किसानों के दबाव के चलते प्रशासन को अंततः रिपोर्ट सार्वजनिक करनी पड़ी। जय जवान जय किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील फौजी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रशासन की इस चुनौती को स्वीकार किया और 14 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया। जिसमें धीरे-धीरे किसानों और संगठनों का समर्थन बढ़ता गया।

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