Greater Noida News : भूमि अधिग्रहण के विरोध में जारी किसानों के धरने में "किसान एकता संघ" ने अपना समर्थन देने का ऐलान किया। किसान एकता संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोरन प्रधान ने अपनी पूरी कार्यकारिणी के साथ धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों को आश्वस्त किया कि उनका संगठन इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ा है। उन्होंने घोषणा की है कि 20 अक्टूबर को किसान एकता संघ के हजारों किसान इस धरने में भागीदारी करेंगे। सोरन प्रधान ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा, "यह संघर्ष किसानों के हक की लड़ाई है, जिसमें हम सभी को मिलकर एकजुट रहना होगा।"
किसानों में भरा आक्रोश
धरने को संबोधित करते हुए किसान सभा के जिला अध्यक्ष डॉ.रुपेश वर्मा ने कहा कि यह धरना एक सुव्यवस्थित रणनीति के तहत चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ रहा है। धरने के दबाव में गौतमबुद्ध नगर में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से गठित कमेटी की सिफारिशों पर अब सरकार ने कदम उठाना शुरू कर दिया है।
सिफारिशें सार्वजनिक नहीं की जा रही
डॉ.रुपेश वर्मा ने बताया कि यह धरना कलेक्टर कार्यालय के सामने इसलिए हो रहा है क्योंकि कलेक्टर खुद इस कमेटी के सदस्य हैं। उन्होंने कहा, "कमेटी की सिफारिशें सार्वजनिक नहीं की जा रही हैं, इसलिए हम धरने के जरिए सरकार पर दबाव बना रहे हैं ताकि यह सिफारिशें सार्वजनिक हों और प्राधिकरण को इन सिफारिशों के आधार पर कार्रवाई के लिए शासनादेश जारी किया जाए।"
जिले के सभी किसान संगठन एकजुट
भारतीय किसान परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर खलीफा ने भी किसानों को संबोधित किया। उन्होंने कहा, "21 फरवरी 2024 को इस कमेटी का गठन किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए किया गया था। लेकिन अब तक इन सिफारिशों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। इसलिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में यह धरना आयोजित किया गया है। जिसमें यमुना, नोएडा और ग्रेटर नोएडा के किसान संगठन एकजुट होकर धरना दे रहे हैं।"
किसानों का हो रहा शोषण
जय जवान जय किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुनील फौजी ने कहा कि नई भूमि अधिग्रहण कानून का पिछले 10 वर्षों से सही तरीके से पालन नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, "किसानों की जमीन का बाजार भाव जहां 15,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर है। वहीं प्राधिकरण केवल 4,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर का मुआवजा देने की कोशिश कर रहा है। जो किसानों के साथ एक बहुत बड़ी अन्यायपूर्ण लूट है।"
प्रभावित किसानों को मुआवजा दिलाने की मांग
इस आंदोलन में एनटीपीसी के किसानों का नेतृत्व कर रहे अनूप राघव ने कहा कि उनका संघर्ष रोजगार, मुआवजा और राख से प्रभावित किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए है। उन्होंने घोषणा की, "यह धरना तब तक समाप्त नहीं होगा जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होती।" धरने में बड़ी संख्या में किसान नेता और किसान शामिल हुए। जिनमें बृजेश भाटी, मोनू मुखिया, नरेश नागर, बाबा करतार, नीरज चौहान, बबलू नेताजी, संजय भाटी, जितेंद्र भाटी, प्रवीण त्यागी, पवन त्यागी, अनिल त्यागी, गिरीश त्यागी और अन्य प्रमुख लोग शामिल रहे।