Baghpat : चिटेहरा भूमि घोटाले के मास्टरमाइंड और अंतरराज्यीय भूमाफिया यशपाल तोमर के पिता और भाई के खिलाफ बागपत में एक एफआईआर दर्ज की गई है। इन लोगों पर चोरी करने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर के चिटहेरा गांव में अरबों रुपए की सरकारी जमीन हड़पने और पुलिस अफसरों के साथ मिलीभगत के जरिए गांव के किसानों को फर्जी मुकदमों में जेल भिजवाने वाला भूमाफिया यशपाल तोमर जनवरी महीने से हरिद्वार जेल में बंद है। उसकी करोड़ों रुपये की संपत्तियां उत्तर प्रदेश पुलिस और उत्तराखंड पुलिस ने कुर्क की हैं।
क्या है मामला
यशपाल तोमर बागपत में रमाला थानाक्षेत्र के गांव बरवाला का निवासी है। उत्तराखंड पुलिस ने बरवाला गांव में उसकी संपत्तियों को कुर्क किया है। अदालत के आदेश पर यह एक्शन लिया गया। संपत्तियों को कुर्क करके वहां सार्वजनिक सूचना प्रकाशित करने के लिए बड़े-बड़े बोर्ड लगाए गए थे। रमाला थाने के बीट कांस्टेबल का आरोप है कि बीते बुधवार को वह गांव में भ्रमण पर गया। प्रॉपर्टी कुर्की की प्रशासनिक सूचना देने के लिए लगाए गए बोर्ड गायब हैं। इस बारे में उसने आसपास के लोगों से पूछताछ की। उन्होंने बताया कि यशपाल तोमर के पिता और भाइयों ने यह बोर्ड उखाड़ लिए हैं। चोरी करके खुर्द-बुर्द कर दिए हैं। बीट कांस्टेबल ने रमाला थाने में इसकी लिखित शिकायत दी। जिसके आधार पर यशपाल तोमर के पिता और दो भाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
4 अक्टूबर को हुआ था लेखपाल शीतला प्रसाद गिरफ्तार
इस मामले में बीते 4 अक्टूबर 2022 को नोएडा पुलिस ने गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद को गिरफ्तार किया था। शीतला प्रसाद ने ही गांव की सरकारी जमीन माफिया यशपाल तोमर और उसके गुर्गों के नाम दर्ज की थी। आपको बता दें कि आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल TRICITY TODAY ने इस घोटाले का खुलासा किया था। जिस पर गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने जांच की थी।
भूमाफिया के साथ मिला था लेखपाल शीतला प्रसाद
एसआईटी ने करीब 5 महीने पहले इस मामले में जांच शुरू की थी। पता चला कि जिस दौरान चिटहेरा गांव में अरबों रुपए की सरकारी जमीन भूमाफिया यशपाल तोमर और उसके गुर्गों ने हड़पी है, उस पूरी समयसीमा में गांव का लेखपाल शीतला प्रसाद था। शीतला प्रसाद ने भूमाफिया के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की। आपको बता दें कि गांव में एलएमसी जमीन का कस्टोडियन लेखपाल होता है। इसके बावजूद फर्जी पट्टों और इकरारनामा के जरिए बेशकीमती जमीन हड़प ली गईं। एसआईटी को जांच में पता लगा कि इस पूरे घोटाले में शीतला प्रसाद खुद शामिल था।