जल्दी शुरू होने वाला है ग्रेटर नोएडा में पहला फ्लाईओवर, भूकम्परोधी टेक्नोलॉजी हुई इस्तेमाल, वेस्ट तक सफर होगा बेहद आसान

स्पेशल न्यूज़ : जल्दी शुरू होने वाला है ग्रेटर नोएडा में पहला फ्लाईओवर, भूकम्परोधी टेक्नोलॉजी हुई इस्तेमाल, वेस्ट तक सफर होगा बेहद आसान

जल्दी शुरू होने वाला है ग्रेटर नोएडा में पहला फ्लाईओवर, भूकम्परोधी टेक्नोलॉजी हुई इस्तेमाल, वेस्ट तक सफर होगा बेहद आसान

Google Image | निर्माणाधीन फ्लाईओवर

  • - फ्लाईओवर के नीचे अंडरपास भी बन रहा है, काम अंतिम चरण में पहुंचा 
  • - मालवाहक मुम्बई रेल गलियारा और 130 मीटर एक्सप्रेसवे यहां से पास करेंगे
  • - यही रास्ता जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को नोएडा और गाजियाबाद से जोड़ेगा
  • - जेवर हवाईअड्डे के कार्गो गेट तक नॉन स्टॉप ट्रैफिक सिस्टम बनाया जा रहा है
Greater Noida : ग्रेटर नोएडा शहर के लोगों के लिए खास खबर है। शहर के पहले फ्लाईओवर और अंडरपास बनकर तैयार होने वाले हैं। खास बात यह है कि 130 मीटर एक्सप्रेस-वे पर बन रहे यह फ्लाईओवर और अंडरपास जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे और नोएडा-गाजियाबाद के बीच नॉन स्टॉप ट्रैफिक सिस्टम मुहैया करवाएंगे। इन्हीं फ्लाईओवर और अंडरपास के जरिए दादरी-मुंबई मालवाहक रेलवे गलियारा और 130 मीटर एक्सप्रेस-वे एक-दूसरे को पास करेंगे। खास बात यह है कि करीब ढाई किलोमीटर लंबा यह फ्लाईओवर केवल 16 पिलर पर खड़ा किया जा रहा है। इस फ्लाईओवर के निर्माण में भूकंपरोधी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है।

यह है फ्लाईओवर की लोकेशन
यह फ्लाईओवर ग्रेटर नोएडा शहर में तिलपता गोल चक्कर और मकौड़ा गोल चक्कर के बीच यूपीएसाईडीए साइट के पास 130 मीटर एक्सप्रेस-वे पर बनाया जा रहा है। फ्लाईओवर करीब 2.5 किलोमीटर लंबा है। खास बात यह है कि यह ग्रेटर नोएडा का पहला फ्लाईओवर है। यह केवल 16 पिलर पर खड़ा होगा। सभी पिलर बनकर तैयार हो चुके हैं। इन पर कुल 64 गार्डर रखे जाएंगे। आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा शहर की पहचान लंबी-चौड़ी और ट्रैफिक जाम रहित सड़कों के लिए होती है। यही वजह है कि शहर को बसे 30 वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी तक ट्रैफिक डिजाइन में बदलाव करने की जरूरत महसूस नहीं की गई है।

फ्लाईओवर की तकनीक अत्याधुनिक
फ्लाईओवर पर काम कर रहे इंजीनियरों और अधिकारियों ने बताया कि इसमें इस्तेमाल होने वाली तकनीक बेहद अत्याधुनिक है। यही वजह है कि करीब ढाई किलोमीटर लंबा फ्लाईओवर महज 16 पिलर पर बनाया जा रहा है। केवल 64 प्रीकास्ट गार्डर का इस्तेमाल किया जाएगा। इनमें चार गर्डर खास होंगे। ये फ्लाईओवर के मध्य भाग का हिस्सा हैं। आपको बता दें कि इस फ्लाईओवर का निर्माण डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन (डीएफसीसी) करवा रहा है। जल्द गार्डर रखने का काम शुरू होने वाला है। अफसरों ने बताया कि करीब 2 वर्षों से 130 मीटर एक्सप्रेस-वे पर यातायात प्रभावित है। ट्रैफिक को गुजारने के लिए यूपीएसआईडीए की साइट में रूट डायवर्जन किया गया है। अब यह समस्या समाप्त होने वाली है। जल्द से जल्द फ्लाईओवर की एक लेन शुरू करने की तैयारी है। आपको यह भी बता दें कि जिले में डीएफसीसी के दादरी-मुंबई वेस्टर्न रेल कॉरिडोर का 17 किमी हिस्सा है। जिस पर निर्माण कार्य चल रहा है।

इसलिए पड़ी फ्लाईओवर बनाने की जरूरत
दादरी-मुम्बई रेलवे फ्रेट कॉरिडोर तिलपता गोल चक्कर और मकौड़ा गोल चक्कर के बीच 130 मीटर एक्सप्रेस-वे को पार कर रहा है। यहां रेलवे कॉरिडोर जमीन पर रहेगा। ऐसे में डीएफसीसी ने ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए 130 एक्सप्रेस-वे पर फ्लाईओवर बनाने का निर्णय लिया था। जिससे नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच आवागमन करने वाले वाहन बिना किसी अवरोध के निकल सकें। यह फ्लाईओवर बनाने के लिए गार्डर साकीपुर के पास वेस्टर्न कॉरिडोर के यार्ड में बनाए गए हैं। चार गर्डर का डिजाइन बॅक्सा नुमा होगा। इनको फ्लाईओवर के पास उसी लोकेशन पर बनाया जाएगा, जहां इन्हें एक्सप्रेस-वे के ऊपर रखा जाना है। अधिकारियों ने बताया कि इन चार गार्डर को फ्लाईओवर के मध्य भाग में रखा जाएगा। इनके नीचे से ही रेलवे ट्रैक गुजरेगा। ये 4 गार्डर भारी होंगे। इनमें वाहनों का दबाव झेलने की काफी क्षमता होगी। भूकंप को ध्यान में रखकर इसका डिजाइन तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि फ्लाईओवर के दोनों कैरीजवे 4-4 लेन के हैं।

शुरू नहीं हो सका अंडरपास
फ्लाईओवर के नीचे अंडरपास भी बनाया जा रहा है। दरअसल, जिस पॉइंट पर दादरी-मुंबई रेलवे कॉरिडोर 130 मीटर एक्सप्रेस-वे को पार करेगा, वहां चौराहा है। एक रास्ता नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बीच 130 मीटर एक्सप्रेस-वे है। दूसरा रास्ता मकोड़ा गांव की ओर से यूपीएसआईडीए की साइट के किनारे से होता हुआ ग्रेटर नोएडा शहर में जा रहा है। 130 मीटर एक्सप्रेस-वे के ऊपर फ्लाईओवर बन रहा है। मकोड़ा और यूपीएसआईडीए साइट के बीच यातायात के लिए अंडरपास बनाया जा रहा है। अंडरपास बनकर तैयार हो चुका है। इसको दिसंबर 2021 में शुरू करना था, जिससे वाहन चालकों को डायवर्जन से राहत मिल जाती, लेकिन अंडरपास में लगातार पानी भर रहा है। जिसकी निकासी का इंतजाम नहीं हो सका है। इस कारण अंडरपास को शुरू नहीं किया जा सका। डीएफसीसी पानी निकासी का इंतजाम का कर रहा है। डीएफसीसी के डिप्टी प्रोजेक्ट मैनेजर राजेंद्र सिंह ने बताया कि अंडरपास में भरने वाले पानी को निकालने का इंतजाम किया जा रहा है। फ्लाईओवर का काम तेज कर दिया गया है। जल्द से जल्द निर्माण पूरा कराया जाएगा, ताकि कम से कम एक लेन जल्दी शुरू हो जाए।

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