गैंगस्टर यशपाल तोमर की खुली हिस्ट्रीशीट, तीन राज्यों में 27 मुकदमे

चिटहेरा भूमि घोटाला : गैंगस्टर यशपाल तोमर की खुली हिस्ट्रीशीट, तीन राज्यों में 27 मुकदमे

गैंगस्टर यशपाल तोमर की खुली हिस्ट्रीशीट, तीन राज्यों में 27 मुकदमे

Tricity Today | गैंगस्टर यशपाल तोमर की खुली हिस्ट्रीशीट

Baghpat News/Greater Noida : ग्रेटर नोएडा के चिटहेरा भूमि घोटाले का मास्टरमाइंड गैंगस्टर भूमाफिया यशपाल तोमर हिस्ट्रीशीटर घोषित कर दिया गया है। बागपत पुलिस ने यशपाल तोमर की रमाला थाने में हिस्ट्रीशीट खोल दी है। यशपाल तोमर की हिस्ट्रीशीट का नंबर 1164/ए है। उसके ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और दिल्ली में 27 मुकदमे चल रहे हैं। जिनमें मेरठ, हरिद्वार और गौतमबुद्ध नगर में गैंगस्टर के मुकदमे भी हैं। यशपाल तोमर ने चिटहेरा गांव में सरकारी और किसानों की जमीन हड़पी हैं। ज़मीन की क़ीमत अरबों रुपये है। किसानों से जमीन छीनने के लिए यशपाल तोमर और उसके गैंग ने 20 किसानों को फर्जी मुक़दमों में जेल भिजवाया था।

बागपत का रहने वाला है गैंगस्टर यशपाल तोमर
यशपाल तोमर मूल रूप से बागपत जिले के बरवाला गांव का रहने वाला है। वह पेशे से किसान था। यशपाल और उसके पांच भाइयों के पास कुल नौ बीघा जमीन थी। इसके बाद यशपाल एक पुलिस अधिकारी के संपर्क में आया और जमीनों पर कब्जे करने लगा। फिर उसने सफेदपोश नेताओं का साथ पकड़ लिया और शातिर अपराधी बन गया। उत्तराखंड की एसटीएफ ने उसकी संपत्ति का आंकलन किया तो वह 153 करोड़ रुपये की पाई गई। जांच में यशपाल पर दर्ज 28 मुकदमे पाए गए हैं। जिनमें उसने लोगों को ब्लैकमेल करके उनकी संपत्ति हड़प ली। यशपाल और उसके गैंग का पूरा चिट्ठा हासिल करने के बाद एसटीएफ ने 29 जनवरी 2022 को उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था। बाद में उसका साथी धीरज दिगानी और फिर गजेंद्र गिरफ्तार किया गया। गजेंद्र और यशपाल ममेरे-फुफेरे भाई हैं। गजेंद्र बागपत के टीकरी गांव का निवासी है। उत्तराखंड एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि भूमाफिया यशपाल तोमर के खिलाफ हरिद्वार के ज्वालापुर कोतवाली में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था। उस मामले की विवेचना भी एसटीएफ कर रही है।

डेढ़ साल से हरिद्वार जेल में बंद है यशपाल तोमर
विवेचना के बाद एसटीएफ ने चार्जशीट दाखिल कर दी है। उसकी 153 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच करने के लिए हरिद्वार के जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेजी गई है। यशपाल तोमर इस समय हरिद्वार और धीरज दिगानी मेरठ जेल में बंद है। तीसरा आरोपित गजेंद्र जमानत पर चल रहा है।

2000 पन्नों की चार्जशीट में पूरी क्रिमिनल हिस्ट्री
करीब 2000 पन्नों की चार्जशीट में यशपाल तोमर का आपराधिक इतिहास बताया गया है। जिसमें बताया गया है कि यशपाल किस तरह से रसूखदारों से मिलकर आम आदमी की जमीनों पर कब्जा करता था। वह बेहद काम वक्त में 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का मालिक बन गया था। गैंगस्टर यशपाल तोमर का नाम वर्ष 2022 के दौरान प्रकाश में आया था। यशपाल ने हरिद्वार के एक बड़े व्यापारी को उसकी संपत्ति पर कब्जा करने की धमकी दी। इस मामले में थाना ज्वालापुर (हरिद्वार) में मुकदमा दर्ज किया गया। एसटीएफ ने गोपनीय जांच की। यशपाल तोमर की कहानी सामने आई। इसके बाद एसटीएफ ने कार्रवाई आगे बढ़ाई। कई हैरान करने वाली घटनाएं सामने आईं।

यशपाल तोमर गैंग ने इस गांव में 62 लाख की जमीन ढाई लाख में हड़पी
चिटहेरा गांव में कुख्यात गैंगस्टर भू-माफिया यशपाल तोमर और उसके गुर्गों ने किसानों पर कहर ढहाने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी है। आज हम आपके सामने एक ऐसा मामला रखने जा रहे हैं, जो किसानों की बेबसी, प्रशासन की उदासीनता और यशपाल तोमर गैंग की मनमानी को बख़ूबी बयां करता है। गांव के किसान हरिचंद से यशपाल तोमर गैंग ने पैतृक जमीन कौड़ियों में हड़प ली। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि किसान की इस जमीन की बाजारू कीमत 62,20,000 रुपये थी। जिसके लिए किसान को केवल ढाई लाख रुपये दिए गए। किसान से ज्यादा पैसा तो रजिस्ट्री के लिए बतौर स्टांप शुल्क सरकार को मिल गया है। यह रजिस्ट्री करवाने के लिए तीन लाख रुपये का स्टांप शुल्क यशपाल तोमर गैंग ने चुकाया है।

62 लाख की जमीन ढाई लाख रुपये में ऐसे हड़पी गई
हरिचंद पुत्र कुंदन चिटहेरा गांव के किसान हैं। उनकी उम्र करीब 80 वर्ष है। हरिचंद बताते हैं, "यशपाल तोमर और उसके गुर्गों का हमारे गांव में आतंक था। यशपाल तोमर और उसका ममेरा भाई गजेंद्र गांव में किसानों को परेशान करके मनमानी कर रहे थे। दादरी तहसील के तमाम अफसर और रजिस्ट्रार दफ़्तर उनके साथ मिले हुए थे। हम लोगों की शिकायतों पर कोई सुनवाई करने वाला नहीं था। यशपाल तोमर और उसका भाई मुझे जबरन उठाकर ले गए। धमकी दी कि अगर मैंने उनकी बात नहीं सुनी तो मेरे परिवार के सदस्यों को भी फर्ज़ी मुकदमे में फंसाकर जेल भेज देंगे।" हरिचंद आगे कहते हैं, "मेरी पैतृक जमीन की रजिस्ट्री गाजियाबाद में लोहिया नगर के रहने वाले विकास शर्मा पुत्र ओम प्रकाश शर्मा के नाम करवा दी। उस वक़्त जमीन की बाजार क़ीमत केवल ढाई लाख रुपये तय कर दी गई। जबकि, सर्किल रेट पर ही उस वक्त मेरी जमीन की कीमत 62,20,000 रुपये थी। मुझे केवल ढाई लाख रुपये दिए गए थे। मेरी जमीन की रजिस्ट्री में सरकार को ही 2,89,300 रुपये का राजस्व मिल गया। मतलब, मुझसे ज़्यादा तो सरकार को फायदा हुआ।"

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