Greater Noida News : प्रदेश में टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों की सूची में गौतमबुद्ध नगर का 67वां स्थान होना चिंता का विषय बन गया है। जिले में पिछले साल केवल चार ग्राम पंचायतों को ही टीबी मुक्त घोषित किया जा सका, जबकि यहां कुल 88 ग्राम पंचायतें हैं। हाल ही में जिले के डीएम द्वारा इन पंचायतों के ग्राम प्रधानों को सम्मानित किया गया और इस साल 22 पंचायतों को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि, इस दिशा में जिले की प्रगति अब भी चिंताजनक है।
टीबी मुक्त जिलों में गौतमबुद्ध नगर पिछड़ा
प्रदेश सरकार द्वारा जारी 73 जिलों की सूची में दो जिलों की स्थिति स्पष्ट नहीं है। फिर भी गौतमबुद्ध नगर अन्य जिलों की तुलना में काफी पीछे है। जिले में 88 ग्राम पंचायतें हैं, लेकिन महज पांच प्रतिशत पंचायतें ही अब तक टीबी मुक्त हो पाई हैं। मेरठ मंडल में गौतमबुद्ध नगर का स्थान छठा है। जबकि मेरठ सबसे निचले पायदान पर है। जहां केवल तीन पंचायतें टीबी मुक्त हो पाई हैं। वहीं, बुलंदशहर का प्रदर्शन सबसे बेहतर रहा है, जहां 49 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त हो चुकी हैं।
इस साल 22 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य
जिला स्वास्थ्य विभाग ने इस वर्ष 22 ग्राम पंचायतों को टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके लिए टीबी मरीजों की स्थिति, जांच और अन्य आवश्यकताओं की जानकारी जुटाई जा चुकी है। सरकारी मानकों के अनुसार एक हजार की जनसंख्या में किसी भी ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित करने के लिए 30 संदिग्ध मरीजों की जांच आवश्यक है। साथ ही इन गांवों में एक भी मरीज नहीं होना चाहिए। यदि मरीज मिलता है तो उसे निक्षय योजना के तहत आर्थिक सहायता दी जाती है। निक्षय मित्र योजना के तहत गोद लेकर उसकी देखभाल की जाती है।
नवंबर-दिसंबर तक आएंगे परिणाम
स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की टीमें निर्धारित मानकों के अनुसार ग्राम पंचायतों का निरीक्षण करेंगी। इन गांवों का अंतिम निरीक्षण नवंबर या दिसंबर तक किया जाएगा, जिसके बाद टीबी मुक्त ग्राम पंचायतों की स्थिति स्पष्ट होगी। जिला टीबी अधिकारी डॉ.आरपी सिंह ने कहा कि जिले की प्रगति के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। आने वाले महीनों में टीबी मुक्त पंचायतों की संख्या बढ़ने की संभावना है।
बुलंदशहर ने दिखाया बेहतर प्रदर्शन
मेरठ मंडल में बुलंदशहर का प्रदर्शन सबसे अच्छा है। जहां 49 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की गई हैं। इसके बाद बागपत में 38 और गाजियाबाद में 10 ग्राम पंचायतें टीबी मुक्त हो चुकी हैं। मेरठ मंडल में सबसे खराब स्थिति मेरठ की है। जहां सिर्फ तीन पंचायतों को ही टीबी मुक्त घोषित किया जा सका है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार टीबी के प्रति जागरूकता और पंचायत स्तर पर सक्रिय प्रयासों की कमी इस धीमी प्रगति के मुख्य कारण हैं।