अरबों रुपये की मालकिन कर रही मौज, गौतमबुद्ध नगर पुलिस फूटी कोड़ी जब्त नहीं कर पाई, किसानों को भी राहत नहीं

चिटहेरा भूमि घोटाला : अरबों रुपये की मालकिन कर रही मौज, गौतमबुद्ध नगर पुलिस फूटी कोड़ी जब्त नहीं कर पाई, किसानों को भी राहत नहीं

अरबों रुपये की मालकिन कर रही मौज, गौतमबुद्ध नगर पुलिस फूटी कोड़ी जब्त नहीं कर पाई, किसानों को भी राहत नहीं

Tricity Today | यशपाल तोमर

Greater Noida News : गौतमबुद्ध नगर पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम (एसआईटी) ने अरबों रुपये के भूमि घोटाले की जांच पूरी कर ली है। एसआईटी ने 12 अभियुक्तों के ख़िलाफ़ चार चार्जशीट दाख़िल की हैं और तीन नामजद आरोपियों की क्लीनचिट दे दी है। अब जब जांच पूरी हो गई है तो कई बड़े सवालों के जवाब पुलिस की चार्जशीट में नहीं हैं। मसलन, अरबों रुपये के इस घोटाले से अर्जित की गई प्रोपर्टी की मालकिन बनी महिला से पूछताछ तक नहीं की गई। मुख्य अभियुक्त यशपाल तोमर डेढ़ साल से हरिद्वार जेल में बंद है, उसे गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने एक घंटे के लिए भी रिमांड पर नहीं लिया। अरबों रुपये की जमीन और करोड़ों रुपये मुआवजा लेने वालों से पुलिस एक फूटी कौड़ी वसूल नहीं कर पाई है।

चिटहेरा भूमि घोटाले में तत्कालीन जिलाधिकारी के आदेश पर 22 मई 2022 को दादरी कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज करवाई गई थी। अब 14 जुलाई 2023 को गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी ने चौथी चार्जशीट दाख़िल की है। मतलब, क़रीब 14 महीनों तक एसआईटी जांच करती रही। अब जाब पुलिस ने अदालत को बता दिया है कि जांच पूरी हो चुकी है तो हमने अदालत से तमाम दस्तावेज़ हासिल किए हैं। इतने बड़े भूमि घोटाले को लेकर गौतमबुद्ध नगर पुलिस की इनवेस्टिगेशन पूरी तरह सतही नज़र आती है। कई बड़े सवाल खड़े होते हैं, जिनके जवाब चार्जशीट में तो नहीं हैं।

सवाल नंबर एक : मुख्य अभियुक्त से पूछताछ तक नहीं हुई
चिटहेरा में हुए अरबों रुपये के भूमि घोटाले का मास्टरमाइंड और मुख्य अभियुक्त यशपाल तोमर है। यशपाल तोमर मूल रूप से बागपत ज़िले के रमाला थाना क्षेत्र में बरवाला गांव का रहने वाला है। उसके ख़िलाफ़ दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग ज़िलों में क़रीब 2 दर्जन मुक़दमे दर्ज हैं। जनवरी 2022 में यशपाल तोमर को उत्तराखंड एसटीएफ ने दिल्ली से गिरफ़्तार किया था। तब से वह हरिद्वार जेल में बंद है। यशपाल तोमर और उसके गैंग पर हरिद्वार, मेरठ और गौतमबुद्ध नगर में गैंगस्टर अधिनियम के तहत तीन अलग-अलग मुक़दमे दर्ज किए गए। ज़ाहिर है कि जब 22 मई 2022 को दादरी कोतवाली में यशपाल तोमर समेत नौ लोगों के ख़िलाफ़ भूमि घोटाले से जुड़ा मुक़दमा दर्ज किया गया था, उस वक़्त यशपाल तोमर हरिद्वार जेल में बंद था। पुलिस ने अपनी जांच मुकम्मल कर ली, लेकिन यशपाल तोमर को कभी रिमांड पर लेकर पूछताछ तक नहीं की गई है। लिहाज़ा, साफ़ है कि गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी ने यशपाल तोमर को सहयोग देने वालों का पता लगाने की कोई कोशिश ही नहीं की है।

सवाल नंबर दो : घोटाले के लाभार्थी मौज की छान रहे हैं
इस तफ़्तीश पर दूसरा सबसे बड़ा सवाल इस घोटाले का फ़ायदा उठाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होना है। हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि यशपाल तोमर, उसका ससुर ज्ञानचंद, साला अरुण सिंह, भाई नरेश तोमर और ममेरा भाई गजेंद्र सिंह भूमि घोटाले में सक्रिय रूप से शामिल हैं। इन लोगों ने किसानों से ज़मीन हड़पने, एक-दूसरे को लैंड ट्रांसफर करने, किसानों का मुआवज़ा हड़पने, किसानों के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज करवाने, किसानों को डराने-धमकाने और ग़लत ढंग से करोड़ों रुपये का लेन-देन किया है। यशपाल तोमर, उसके तीन नौकर करमवीर, मालू बैलू, यशपाल तोमर की कंपनी आर्यनवीर एग्रो के बैंक खातों के बीच हुए ट्रांजेक्शन इस घोटाले की एक-एक कड़ी जोड़ने के लिए काफी हैं। इन सारे लोगों ने चिटहेरा की ज़मीन हड़प कर यशपाल तोमर के ससुर ज्ञानचंद के नाम कर दी थी। ज्ञानचंद ने यह सारी प्रॉपर्टी वसीयतनामे के ज़रिए अपनी बेटी और यशपाल तोमर की पत्नी अंजना चंद के नाम कर दी थी। वसीयत और बैनामों के बारे में ट्राईसिटी टुडे लगातार समाचार प्रकाशित कर रहा है, लेकिन इस दिशा में गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने काम करना मुनासिब नहीं समझा है। कुल मिलाकर भूमि घोटाले से अर्जित की गई अरबों रुपये की संपत्तियां अंजना चंद के नाम पर चली गई हैं। हास्यास्पद स्थिति यह है कि गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी ने कभी भी अंजना चंद से पूछताछ नहीं की है। उसे इस मुक़दमे में शामिल ही नहीं किया है। पुलिस ने यशपाल तोमर का हर क़दम पर साथ देने वाले उसके साले अरुण सिंह से भी पूछताछ नहीं की है। यशपाल तोमर का भाई नरेश और ममेरा भाई गजेंद्र सिंह भी गौतमबुद्ध नगर पुलिस की सोच से परे रहे हैं।

सवाल नंबर तीन : पुलिस एक फूटी कौड़ी जब्त नहीं कर पाई
तीसरा बड़ा सवाल यह है कि अरबों रुपये के इस भूमि घोटाले की जांच कर रही एसआईटी किसी भी अभियुक्त से एक फूटी कौड़ी रिकवर नहीं कर पाई है। जबकि मेरठ पुलिस ने यशपाल तोमर और उसके परिवार की 150 करोड़ रुपये की संपत्तियां कुर्क की हैं। उत्तराखंड एसटीएफ़ ने क़रीब 135 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी कुकी है। इतना ही नहीं आयकर विभाग ने बेनामी संपत्ति निवारण अधिनियम के तहत यशपाल तोमर और उसके गुर्गों की 100 करोड़ रुपये से ज़्यादा सम्पत्तियां कुर्क की हैं। कुल मिलाकर साफ़ है कि गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी ने अजीबोगरीब ढंग से इस पूरे मामले की जांच की है। एसआईटी न तो इस घोटाले का लाभ उठाने वालों तक पहुंच पाई और न ही प्रॉपर्टी या पैसे का पता लगा पाई है।

सवाल नंबर चार : चिटहेरा के किसानों को क्या राहत मिली
यशपाल तोमर और उसके गैंग ने चिटहेरा गांव के किसानों पर ज्यादतियां की हैं। गांव के 14 किसानों को पंजाब, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज करवा कर जेल भेजा गया। किसानों की ज़मीन हड़प ली गई। इतना ही नहीं अनुसूचित जाति से ताल्लुक़ रखने वाले किसानों, महिलाओं और नाबालिग बच्चों तक से ज़बरन ज़मीन छीन ली गई, लेकिन इन किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। एक तरफ़ इस घोटाले का ख़ुलासा होने के बावजूद गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने यशपाल तोमर और उसके गैंग के नाम पर दर्ज ज़मीन को ख़ारिज करने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया है। किसानों से ज़बरन बैनामे करवाए गए। बैनामों को रद्द करने के लिए जिला प्रशासन ने कोई पहल नहीं की है। दूसरी ओर गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी ने दिल्ली, पंजाब और उत्तराखंड पुलिस से संपर्क करना मुनासिब नहीं समझा। सही मायनों में जब यहां के किसानों के ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मुक़दमे दर्ज करवाने की जानकारी सामने आयी तो गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी को आगे बढ़कर यह जानकारी दूसरे राज्यों की पुलिस को देनी चाहिए थी। गौतमबुद्ध नगर के किसानों पर चल रहे फ़र्ज़ी मुक़दमे को ख़त्म करवाने की पहल करनी चाहिए थी। कुल मिलाकर अरबों रुपये के इस भूमि घोटाले की जांच का परिणाम क्या आया?

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