13 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी पर विवाद, बायर ने कहा- रेरा जाऊंगा

ग्रेटर नोएडा में गोदरेज बिल्डर ने एक विला दो लोगों को बेचा : 13 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी पर विवाद, बायर ने कहा- रेरा जाऊंगा

13 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी पर विवाद, बायर ने कहा- रेरा जाऊंगा

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा में गोदरेज बिल्डर ने एक विला दो लोगों को बेचा

Greater Noida News : नोएडा और ग्रेटर नोएडा बिल्डरों की आम आदमी से धोखाधड़ी के लिए बदनाम हैं। तमाम बिल्डर विवादों में घिरे हैं, कई तो जेल की सलाखों के पीछे हैं। अब गोदरेज जैसी रीयल एस्टेट कंपनी ने भी लोकल बिल्डरों जैसी बिज़नेस प्रैक्टिस अपना ली हैं। गोदरेज ने ग्रेटर नोएडा के प्रोजेक्ट में एक विला दो लोगों को बेच डाला है। गोदरेज बिल्डर ने पहले विला बेचने के नाम पर कुल कीमत का 10 प्रतिशत पैसा ले लिया और बाद में विला देने से इनकार कर दिया। करीब 13 करोड़ रुपये का विला खरीद रहे नोएडा के कारोबारी को पता चला है कि जो विला को उन्होंने खरीदा था, उसको किसी दूसरे व्यक्ति को बेच दिया गया है। अब कारोबारी ने उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (यूपी रेरा) से शिकायत करने का फैसला लिया है। 

10 प्रतिशत पैसा एडवांस में जमा किया
प्रदीप गर्ग ने बताया कि उन्होंने ग्रेटर नोएडा में स्थित गोदरेज गोल्फ लिंक परियोजना में एक विला बुक किया था। जिसकी कीमत 12.99 करोड़ रुपए है। इस मामले में गोदरेज के प्रतिनिधि पार्थ किशन से बात हुई। पार्थ किशन ने वी-8 टाइप विला नंबर-8 दिखाया, जो उनको और उनकी बीवी कविता अग्रवाल को पसंद आया। गोदरेज बिल्डर के नियमों के मुताबिक विला का 10 प्रतिशत पैसा जमा करना होता है। जिसके चलते उन्हें 1.28 करोड़ रुपए गोदरेज बिल्डर के बैंक खाते में जमा करने थे।

तुरंत 1.28 करोड़ रुपए दिए
इस विला के लिए प्रदीप गर्ग ने अक्टूबर 2023 में दो बार साइट का दौरा किया। पीड़ित ने बताया कि विला का पैसा जमा करने के लिए गोदरेज बिल्डर ने आवेदन पत्र और लागत पत्र उनको ईमेल किया था। जिसमें लिखा था कि 1.27 करोड़ रुपए का तुरंत भुगतान करना है। प्रदीप गर्ग और उनकी पत्नी कविता ने कुल मिलाकर 1.28 करोड़ रुपए के गोदरेज के पक्ष में चेक जारी किए।

12.80 करोड़ रुपए में किया सौदा तय
इसके बाद 6 नवंबर 2023 को प्रदीप गर्ग के अनुरोध पर कंपनी के क्षेत्रीय प्रबंधक निखिल रामपाल ने विला की लागत घटाकर 12.80 करोड़ रुपए कर दी। अब गोदरेज बिल्डर और क्रेता के बीच समझौता होना था और इसी के चलते 8 नवंबर को  प्रदीप गर्ग ने ग्रेटर नोएडा में गोदरेज साइट का दौरा किया। जहां उनकी मुलाकात पार्थ किशन से हुई। 

8 नवंबर को विला देने से इंकार किया
प्रदीप गर्ग का कहना है कि आश्चर्यजनक रूप से 8 नवंबर को क्षेत्रीय प्रबंधक निखिल रामपाल और पार्थ ने कॉन्फ्रेंस कॉल पर बातचीत की। वह विला देने से इनकार कर दिया और कहा, "किसी अन्य व्यक्ति का चेक पहले आ चुका है। इसलिए विला आपको नहीं दिया जा सकता है। आप अपना रिफंड ले लो।"

प्रदीप गर्ग के ये सवाल खड़े, कौन देगा जवाब
बाद में गोदरेज से मौखिक या लिखित में कोई मैसेज नहीं आया है। अब प्रश्न इस प्रकार उठता है कि यदि विला नंबर 8 के लिए किसी अन्य खरीदार का भुगतान पहले ही आ चुका है तो पार्थ ने उपरोक्त विला के लिए बातचीत क्यों की और चेक क्यों भुनाया? यदि किसी अन्य खरीदार का भुगतान प्रदीप गर्ग द्वारा दिए गए चेक के बाद आया तो अब वह कैसे मना कर सकते हैं? यह एक आवासीय इकाई को कई खरीदारों को बेचने का मामला है। यूपी रेरा के नियमों के अनुसार प्रदीप गर्ग से 10% भुगतान लेने के बाद गोदरेज बिल्डर अनुबंध निष्पादित करने के लिए बाध्य है।

अब यूपी रेरा जाएंगें प्रदीप गर्ग
इस पूरे प्रकरण को लेकर प्रदीप गर्ग और उनकी पत्नी कविता समय पूरा परिवार बेहद परेशान है। इन लोगों का कहना है कि गोदरेज कंपनी ने उनकी दिवाली बिगाड़ दी है। पिछले कई महीनों से चल रही भागदौड़ को शून्य कर दिया है। प्रदीप गर्ग का कहना है कि उन्होंने इस प्रकरण को लेकर गोदरेज कंपनी के उच्चाधिकारियों से संपर्क किया है, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है। लिहाज़ा, वह अब दिवाली की छुट्टियों के बाद उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण का दरवाज़ा खटखटाएंगे। कुल मिलाकर साफ़ है कि गोदरेज रियल स्टेट कंपनी भी नोएडा और ग्रेटर नोएडा कि बाक़ी कम्पनियों की राह पर चल रही है। प्रदीप गर्ग का कहना है, “मैंने गोदरेज रियल स्टेट कंपनी हुई का बड़ा नाम सुना था। शहर के लोकल बिल्डरों से प्रॉपर्टी ख़रीदते हुए डर लगता है। ठीक ऐसे ही हालात गोदरेज ने भी पैदा कर दिए हैं।”

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