सरकार ने कृषि कानूनों पर दाखिल आरटीआई का अजीब जवाब दिया, ग्रेटर नोएडा के एक्टिविस्ट ने अपील की

बड़ी खबर : सरकार ने कृषि कानूनों पर दाखिल आरटीआई का अजीब जवाब दिया, ग्रेटर नोएडा के एक्टिविस्ट ने अपील की

सरकार ने कृषि कानूनों पर दाखिल आरटीआई का अजीब जवाब दिया, ग्रेटर नोएडा के एक्टिविस्ट ने अपील की

Tricity Today | नोएडा बॉर्डर पर किसान प्रदर्शन करते हुए

ग्रेटर नोएडा के निवासी और एनवायरमेंटल एक्टिविस्ट विक्रांत तोंगड़ ने केंद्र सरकार के तीन कृषि अध्यक्षों से जुड़ी जानकारी सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी थी। यह जानकारी केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय से मांगी गई थी। जिसमें 7 बिंदु शामिल हैं। कृषि मंत्रालय ने जवाब नहीं दिया है। कारण बताया गया है कि कृषि कानूनों को लेकर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में मुकदमे लंबित हैं। ऐसे में सूचना देना उचित नहीं है। अब विक्रांत ने जवाब को गलत और अनुपयुक्त बताते हुए अपील दाखिल की है।

विक्रांत तोंगड़ ने बताया कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य अध्यादेश, आवश्यक वस्तु अध्यादेश और मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान सशक्तिकरण समझौता अध्यादेश को लेकर सूचनाएं मांगी गई थीं। सरकार से उन किसानों और किसान संगठनों के नाम पूछे गए हैं, जिन्होंने ऐसे कानून बनाने की मांग की हैं। तीनों अध्यादेश को तैयार करने से पहले सरकार ने चर्चा और मीटिंग की हैं। उन सभी बैठकों की मिनिट्स, नोटिंग और दस्तावेजों की कॉपी मांगी हैं। तीनों अध्यादेश को तैयार करने वाले अधिकारियों और निजी कंसलटेंट के नाम और उनके पद की जानकारी मांगी हैं। अध्यादेश के खिलाफ किसानों और विपक्ष के विरोध के बाद जो भी चर्चा सरकार के स्तर पर हुई है, उससे जुड़े दस्तावेज भी मांगे गए हैं। 

विक्रांत ने बताया कि तीनों अध्यादेश को फाइनल करने से पहले ड्राफ्ट तैयार किए गए थे। उन सभी की कॉपी मांगी हैं। ड्राफ्ट पर मंत्री और उनके कार्यालय के स्टाफ की नोटिंग की प्रतिलिपि मांगी गई है। विक्रांत तोंगड ने पिछले 2 वर्षों में कृषि मंत्रालय में मंत्री और सचिव स्तर के अफसरों से मिलने आने वाले गैर सरकारी लोगों के नाम मांगे हैं। इनके अपॉइंटमेंट के बारे में जानकारी मांगी है। ऐसे सभी मुलाकात करने वालों को के नाम, उनकी संस्था और कंपनियों के नाम की जानकारी मांगी है। यह भी पूछा गया है कि इन लोगों से मिलने आने वाले लोग किन विषयों पर मीटिंग करने आए थे। पिछले 2 वर्षों में कृषि मंत्रालय में मंत्रियों और सचिव स्तर पर जो मीटिंग हुई हैं, उन सभी मीटिंग की मिनिट्स की कॉपी भी विक्रांत ने कृषि मंत्रालय से मांगी हैं।

विक्रांत ने बताया कि कृषि मंत्रालय की ओर से उन्हें जवाब भेजा गया है। जिसमें कहा गया है कि तीनों कृषि कानून उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन मुकदमों से संबंधित हैं। ऐसे में इनसे जुड़ी जानकारियां देना अभी संभव नहीं है। विक्रांत का कहना है कि यह जवाब निराशाजनक है। तर्क सम्मत नहीं है। कृषि मंत्रालय के सूचना अधिकारी गलत ढंग से मैनिपुलेशन कर रहे हैं। लिहाजा, जवाब के खिलाफ प्रथम अपील दायर की गई है। जिस पर जल्दी ही सुनवाई होगी।

आपको बता दें कि पिछले डेढ़ महीने से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के हजारों किसान इन तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली के चारों ओर किसानों के धरने चल रहे हैं। अब तक मामले को सुलझाने के लिए 9 दौर की वार्ता हो चुकी हैं। इस दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री ने बार-बार कहा है कि किसानों की मांग पर यह कानून बनाए गए हैं। कानून बनाने से पहले विस्तृत रूप से चर्चा की गई है। कानून पास करवाने के लिए विपक्ष, विशेषज्ञ और समितियों की बैठक हुई हैं। यह क़ानून किसानों के हित में हैं। इन्हीं सब बयानों को आधार बनाते हुए सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां मांगी गई थीं। सूचनाएं सरकार ने मुहैया नहीं करवाई हैं।

Copyright © 2023 - 2024 Tricity. All Rights Reserved.