भट्टा पारसौल के किसानों पर दर्ज मुकदमे सरकार ने वापस लिए, राज्यपाल ने दी मंजूरी

BIG BREAKING : भट्टा पारसौल के किसानों पर दर्ज मुकदमे सरकार ने वापस लिए, राज्यपाल ने दी मंजूरी

भट्टा पारसौल के किसानों पर दर्ज मुकदमे सरकार ने वापस लिए, राज्यपाल ने दी मंजूरी

Tricity Today | भट्टा पारसौल गांव

गौतमबुद्ध नगर के भट्टा पारसौल में हुए किसान आंदोलन से जुड़े लोगों के लिए बड़ी खबर है। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के खिलाफ दर्ज दो और मुकदमे वापस ले लिए हैं। राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भेजे गए प्रस्ताव पर मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने लोक अभियोजक को मुकदमे वापस लेने की अनुमति दे दी है।

आपको बता दें कि जेवर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह करीब 3 वर्षों से इन मुकदमों को वापस करवाने के लिए पैरवी कर रहे थे। दरअसल, धीरेंद्र सिंह भट्टा पारसोल के किसान आंदोलन में किसानों पर हुई ज्यादती के खिलाफ मुख्य भूमिका में थे। चुनाव लड़ते वक्त उन्होंने किसानों से मुकदमे वापस करवाने का वादा किया था। अब भट्टा पारसोल, आछेपुर और मुतैना गांव के 30 किसानों के खिलाफ केवल तीन मुकदमे बाकी बचे हैं।



विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह ने बताया कि राज्य सरकार ने भट्टा पारसोल आंदोलन से जुड़े किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए मुकदमों में से दो मामले वापस ले लिए हैं। इनमें एक मुकदमा अपराध संख्या 96/2011 है, जो दनकौर थाने में आईपीसी की धारा 147, 394, 308, 364, 325 और 323 के तहत दर्ज किया गया था। यह मुकदमा पीएसी की कंपनी पर हमला करने और उनके हथियार लूटने के आरोप में दर्ज किया गया था। दूसरा मुकदमा अपराध संख्या 251/2011 है। यह 25 आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज किया गया था। पहला मुकदमा मनवीर तेवतिया और 30 अन्य किसानों के खिलाफ दर्ज था। जबकि दूसरा मुकदमा प्रेमवीर और अन्य किसानों के खिलाफ दर्ज किया गया था।

इन दोनों मुकदमों को वापस लेने के लिए राज्य सरकार के विधि विभाग ने प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा था। राज्यपाल ने दोनों मुकदमों को वापस लेने की मंजूरी दे दी है। विधायक ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से गौतमबुद्ध नगर के लोक अभियोजक को अदालत में पैरवी करने और दोनों मुकदमों को वापस लेने के लिए आदेश भेज दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले से 4 गांवों के किसानों को बड़ी राहत मिली है।



अब किसानों के खिलाफ केवल तीन मुकदमें बाकी बचे हैं : भट्टा, पारसोल, आछेपुर और मुतैना गांव के करीब 80 किसानों के खिलाफ अब केवल तीन मुकदमे बाकी बचे हैं। इनमें एक मुकदमा तत्कालीन जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सूर्य नारायण सिंह पर कातिलाना हमले का है। दूसरा मुकदमा 7 मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच हुई गोलाबारी से जुड़ा है। उस मामले में दो पुलिसकर्मी और 2 किसान मारे गए थे। तीसरा मुकदमा गैंगस्टर अधिनियम के तहत किसानों के खिलाफ दर्ज किया गया था। तीनों मुकदमे गौतमबुद्ध नगर जिला एवं सत्र न्यायालय में विचाराधीन हैं। हालांकि, गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन और पुलिस की ओर से इन तीनों मुकदमों को वापस लेने के लिए राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। उम्मीद है कि जल्दी ही यह तीनों मुकदमे भी वापस हो जाएंगे।

किसानों पर संगीन धाराओं में दर्ज किए थे 20 मुकदमे : ग्रेटर नोएडा के भट्टा गांव में यमुना एक्सप्रेस-वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के लिए चल रहे भूमि अधिग्रहण के खिलाफ किसानों ने 6 जनवरी 2011 को आंदोलन की शुरुआत की थी। 7 मई 2011 को यह आंदोलन उग्र हो गया था। इस दौरान किसानों ने सरकारी कर्मचारियों और पुलिस अफसरों के गांव में घुसने पर पाबंदी लगा दी थी। इसी दौरान लगातार पुलिस-प्रशासनिक अफसरों और किसानों के बीच झड़पों का दौर चलता रहा। 7 मई 2011 को पुलिस और किसानों के बीच आमने-सामने की गोलीबारी हुई। जिसमें 2 पुलिसकर्मी और 2 किसान मारे गए थे। इस दौरान किसानों के खिलाफ लूट, डकैती, अपहरण, बलवा, आगजनी, अवैध हथियारों का उपयोग, सरकारी कार्य में बाधा पहुंचाने, सरकारी कर्मचारियों पर हमला करने, हत्या का प्रयास और हत्या जैसे आरोपों में 20 मुकदमे दर्ज किए गए थे। इनमें से 13 मुकदमे अखिलेश यादव सरकार ने वापस ले लिए थे। अब तक चार मुकदमे योगी आदित्यनाथ सरकार ने वापस लिए हैं। अब केवल तीन मुकदमे किसानों के खिलाफ चल रहे हैं।

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