आम आदमी के लिए बने 30 टॉयलेट बंद, फीता काटने के लिए खास लोगों का इंतजार

ग्रेटर नोएडा : आम आदमी के लिए बने 30 टॉयलेट बंद, फीता काटने के लिए खास लोगों का इंतजार

आम आदमी के लिए बने 30 टॉयलेट बंद, फीता काटने के लिए खास लोगों का इंतजार

Tricity Today | आम आदमी के लिए बना टॉयलेट बंद (सूरजपुर)

Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में सार्वजनिक उपयोग के लिए टॉयलेट बनाए गए हैं। इनमें 9 पिंक टॉयलेट भी शामिल हैं। करीब 20 दिन पहले यह तमाम टॉयलेट बनकर तैयार हो गए थे, लेकिन आम आदमी के लिए इन्हें अब तक नहीं खोला गया है। जानकारी मिली है कि कुछ खास लोग इनका फीता काटेंगे, तालियां बटोरेंगे और उसके बाद आम आदमी इनका इस्तेमाल कर पाएगा। अब यह सब कब होगा, इस बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। कुल मिलाकर प्राधिकरण अफसरों के अजीबोगरीब महत्वकांक्षी आम आदमी के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।

2 अक्टूबर से पहले तैयार हो गए थे सारे टॉयलेट
करीब एक साल पहले ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने शहर के तमाम हिस्सों में 30 टॉयलेट बीओटी मोड पर बनवाने का फैसला लिया था। इसके लिए कुछ निजी कंपनियों को चुना गया। कंपनियों को टॉयलेट बनाने की जिम्मेदारी दी गई। कहा गया कि गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर को यह सारे टॉयलेट शुरू किए जाने हैं। लिहाजा, कंपनियों ने जोर शोर से इन टॉयलेट का निर्माण करवाया। अब टॉयलेट पिछले 20 दिनों से बंद पड़े हुए हैं। रोजाना सफाई कर्मचारी इन्हें तैयार करते हैं और ताला लगा देते हैं। जानकारी मिली है कि प्राधिकरण से कंपनियों को कहा गया है कि जब तक इनका फीता काटकर उद्घाटन नहीं कर दिया जाएगा, तब तक आम आदमी को इनका इस्तेमाल न करने दिया जाए। पिछले दिनों ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण ने एक टॉयलेट का फीता काटकर उद्घाटन किया था। अब बताया जा रहा है कि बाकी टॉयलेट का उद्घाटन विधायक और सांसद से करवाया जाना है। अब यह टॉयलेट और आम आदमी इन्हीं महानुभावों के कमल चरण पढ़ने का इंतजार कर रहे हैं।

कर्मचारियों और लोगों के बीच होती है तू तू मैं मैं
गुरुवार को अल्फा कमर्शियल बेल्ट में एक टॉयलेट के बाहर दो महिलाएं और कर्मचारी के बीच कहासुनी हो रही थी। इसी दौरान वहां से गुजरते हुए ट्राईसिटी टुडे संवाददाता ने पूरी जानकारी हासिल की। महिलाओं में एक आईटी इंजीनियर तन्मयी सिंह थीं। उन्होंने बताया कि वह अपने बच्चों के साथ अल्फा कमर्शियल बेल्ट में किसी काम से आई थीं। इसी दौरान 10 साल की बच्ची को टॉयलेट की जरूरत हुई। यहां पिंक टॉयलेट देखकर पहुंचे तो कर्मचारी ने बताया कि अभी इसकी शुरुआत नहीं हुई है। महिला ने कहा कि जब टॉयलेट बनकर तैयार है, यह सुविधा उपलब्ध है तो ताला लगाकर क्यों रखा गया है? टॉयलेट पर कर्मचारी भी तैनात है, लेकिन इसका इस्तेमाल करने की मनाही की गई है। यह पूरी तरह शहर के संसाधनों का दुरुपयोग है।

शहर में महिलाओं के लिए नो पिंक टॉयलेट बनाए गए
नोएडा शहर की तर्ज पर ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट में 9 पिंक टॉयलेट भी बनाए गए हैं। पूरे शहर में 30 टॉयलेट बनाए गए हैं। इसके लिए प्राधिकरण ने निजी कंपनियों को फुटपाथों और सड़कों के किनारे जमीन दी है। टॉयलेट की लागत प्राइवेट कंपनियों ने वहन की है। बदले में कंपनियां एडवर्टाइजमेंट के जरिए लागत की भरपाई करेंगी। कंपनियों को सफाई कर्मचारी तैनात करने हैं और नियमित रूप से रखरखाव करना है। प्राधिकरण की ओर से जानकारी दी गई है कि सारे टॉयलेट बनकर तैयार हैं। सफाई कर्मचारी नियुक्त हो चुके हैं। टॉयलेट शुरू करने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना है। जिनमें मंत्री, विधायक और सांसद शामिल होंगे। इसके लिए जल्दी ही तारीख तय की जाएगी। इस सबके बावजूद सवाल यह उठता है कि करीब 20 दिन पहले जब सारी व्यवस्थाएं उपलब्ध हो गई है तो आम आदमी परेशान क्यों घूम रहा है ? क्या वीआईपी का फीता काटने का इंतजार लोगों को परेशानी झेलकर करना चाहिए?

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