आईएएस-आईपीएस, बड़ी कम्पनी और नेताओं का गठजोड़, अरबों की जमीन माता-पिता और सास-ससुर के नाम हड़पी

चिटहेरा भूमि घोटाला : आईएएस-आईपीएस, बड़ी कम्पनी और नेताओं का गठजोड़, अरबों की जमीन माता-पिता और सास-ससुर के नाम हड़पी

आईएएस-आईपीएस, बड़ी कम्पनी और नेताओं का गठजोड़, अरबों की जमीन माता-पिता और सास-ससुर के नाम हड़पी

Tricity Today | चिटहेरा भूमि घोटाला

Greater Noida News : चिटहेरा भूमि घोटाले में परत-दर-परत चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। अरबों रुपये के इस भूमि घोटाले में आईएएस और आईपीएस अफसर, दिल्ली की बड़ी कम्पनी और नेताओं का गठजोड़ है। इन सबने मिलकर तमाम हथकंडे अपनाए और चिटहेरा गांव की करीब 1,000 बीघा जमीन हड़प ली। इन सबके माता-पिता और सास-ससुर के नाम जमीन हैं। दरअसल, इन सारे लोगों ने गांव के दलितों से जमीन हड़पने में माफिया की मदद की, फिर माफिया ने इन सबको जमीन ट्रांसफर की हैं।

उत्तराखंड के दिग्गज नेता से जुड़े तार
उत्तराखंड में एक युवा नेता की सास और ससुर इस घोटाले में जुड़े हैं। इनकी एक बड़ी कम्पनी ने चिटहेरा में सैकड़ों बीघा जमीन खरीदी है। ख़ास बात यह है कि सारी जमीन दलितों के पट्टों वाली है। माफिया और उसके गुर्गों ने यह जमीन बेची है। कंपनी की मालकिन और नेता की सास ने अपने प्रतिनिधि के माध्यम से खरीदी है। ट्राईसिटी टुडे की पड़ताल में अब तक करीब 20 रजिस्ट्री सामने आ चुकी हैं। इनमें से कुछ जमीन का मुआवजा ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से ले लिया गया है। अभी बड़ा क्षेत्रफल इन लोगों के कब्जे में है। उत्तराखंड में युवा नेता विधानसभा का चुनाव लड़ चुका है। पहले उसका पूरा परिवार कांग्रेस में था। अब भारतीय जनता पार्टी में है।

कई आईएएस-आईपीएस शामिल
उत्तराखंड और पंजाब के चार आईएएस और आईपीएस अफसर भी इस घोटाले से जुड़े हैं। उत्तराखंड सरकार में आधा दर्जन विभाग संभाल रहे एक आईएएस अफसर के ससुर के नाम चिटहेरा में जमीन है। यह सारी जमीन पट्टों वाली है। बड़ी बात यह है कि आईएएस के ससुर चेन्नई में रहते हैं। इसी तरह उत्तर प्रदेश के निवासी और उत्तराखंड में तैनात दूसरे आईएएस के पिता के नाम जमीन है। बिहार के मूल निवासी और उत्तराखंड में तैनात आईपीएस अफसर की मां के नाम पर जमीन है। उत्तर प्रदेश कैडर में आईएएस रह चुके अफसर के पिता को जमीन दी गई है। इस पूरे घोटाले के मास्टरमाइंड ने अपने ससुर के नाम जमीन करवाई थी। ससुर की मौत हो चुकी है।

स्थानीय नेता रहा साझीदार
इस पूरे घोटाले में एक लोकल लीडर ने माफिया का पूरा सपोर्ट किया है। नेता के परिवार में घोटाले का भरपूर फायदा उठाया है। इस पड़ताल के दौरान ऐसे कई दस्तावेज सामने हैं, जो ना केवल बड़ा फर्जीवाड़ा है बल्कि गठजोड़ और कनेक्शन को दर्शाते हैं। मसलन, ऐसे एग्रीमेंट और रजिस्ट्रेशन डॉक्युमेंट्स मिले हैं, जिनमें जमीन दिल्ली की कम्पनी ने खरीदी है। गांव की दलित महिला ने पट्टे की जमीन बेची है। रजिस्ट्रेशन में इस्तेमाल हुए स्टाम्प स्थानीय नेता की मां के नाम पर खरीदे गए हैं। कानून के मुताबिक स्टाम्प पेपर क्रेता या विक्रेता ही खरीद सकते हैं। इस रजिस्ट्रेशन में फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड गवाह है। कुल मिलाकर यह पूरा फर्जीवाड़ा इन सारे लोगों ने मिलकर अंजाम दिया है।

क्या है पूरा मामला
दादरी तहसील के चिटहेरा गांव में माफिया, अफसरों और नेताओं के गठजोड़ ने राज्य सरकार की सैकड़ों बीघा जमीन अवैध तरीके से हड़प ली है। इसके बाद इस जमीन का सैकड़ों करोड़ रुपये मुआवजा नोएडा विकास प्राधिकरण से लिया गया है। अभी सैकड़ों बीघा जमीन माफिया और उसके गुर्गों के नाम पर है। इस पर अवैध कॉलोनी काटी जा रही है। कुछ जमीन दूसरे लोगों को बेच दी गई है। इसके अलावा अभी माफिया और उसका गठजोड़ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी बाकी जमीन बेचकर पैसा लेने की फिराक में है। यह घोटाला करीब एक दशक से चिटहेरा गांव में चल रहा था।

विरोध करने वाले जेल गए
गांव के लोगों ने इसका विरोध किया तो उनके खिलाफ उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए। चिटहेरा गांव के करीब 25 लोगों को फर्जी मुकदमों में गिरफ्तार करके जेल भिजवाया गया। इनमें ज्यादातर दलित हैं। जिनके नाम सरकारी पट्टे थे। इन लोगों से जबरन यह जमीन हड़पी गई है। किसान नेता सुनील फौजी को इसी कारण फर्जी मुकदमा दर्ज करवाकर जेल भेजा गया था। दादरी तहसील के राजस्व अभिलेखों में बड़े पैमाने पर जालसाजी की गई है। गलत ढंग से सरकारी जमीन के पट्टे किए गए थे, जो अपर आयुक्त ने रद्द कर दिए थे। इसके बावजूद धड़ल्ले से इन सरकारी पट्टों की जमीन खरीदी गई है।

राजस्व रिकॉर्ड में गड़बड़ हुई
दादरी तहसील के राजस्व अभिलेखों में बड़े पैमाने पर जालसाजी की गई है। गांव के रजिस्टर 57-ख में बड़े हेरफेर किए गए हैं। इसके बाद दलित आवंटियों को संक्रमणीय भूमिधर घोषित करवाया गया। इस पूरे गोरखधंधे में माफिया के साथ कुछ स्थानीय नेता और कई राज्यों के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। गांव वालों ने उस वक्त इस पूरे घोटाले का विरोध किया था। तत्कालीन एसडीएम और तहसीलदार के खिलाफ महेंद्र सिंह कोली और सुनील फौजी ने धरना दिया था। महेंद्र कोली को भी जेल भिजवाया गया था। महेंद्र सिंह कोली और सुनील फौजी को फर्जी मुकदमों में अदालत ने बरी कर दिया है।

डीजीपी ने जांच शुरू करवाई
इस पूरे घोटाले की शिकायत लोनी के रहने वाले प्रताप सिंह ने यूपी के पुलिस महानिदेशक से की। डीजीपी ने यह पूरा मामला एसटीएफ को सौंप दिया है। अब एसटीएफ की नोएडा ब्रांच के डीएसपी देवेंद्र सिंह इसकी जांच कर रहे हैं। नोएडा एसटीएफ के एसपी राजकुमार मिश्रा का कहना है कि जांच चल रही है। दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। जल्दी रिपोर्ट तैयार करके भेज दी जाएगी। 

अब डीएम भी करवाएंगे जांच
पिछले 3 दिनों से ट्राईसिटी टुडे ने इस मामले में कई समाचार प्रकाशित किए हैं। जिन पर गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने संज्ञान लिया है। मामला राजस्व विभाग से जुड़ा है। लिहाजा, डीएम ने जांच का आदेश दे दिया है। जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) विनीत मदान और दादरी के एसडीएम लव कुमार इस पूरे मामले की जांच करेंगे। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई को आगे बढ़ाया जाएगा।

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