- अब भू-अर्जन के लिए अवार्ड घोषित होने की तिथि के आधार पर बनेगी वरीयता सूची
- प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में फैसला लिया गया, शुक्रवार को कार्यालय आदेश जारी हुआ
- अवार्ड की तिथि एक समान होने पर भूलेख विभाग की सूची को वरीयता दी जाएगी
- एरिया के आधार पर 40 से 500 वर्ग मीटर तक के भूखंडों की छह कैटेगरी बनाई गईं
Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के हजारों किसानों के लिए बड़ी खबर है। अब 4%, 6% और 10% आबादी भूखंडों के आवंटन की प्रक्रिया को बेहद पारदर्शी बना दिया गया है। इसके लिए बाकायदा पिछली बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया गया। जिसे बोर्ड ने मंजूरी दी। अब शुक्रवार को आवंटन प्रक्रिया से जुड़ा कार्यालय आदेश जारी किया गया है। आपको बता दें कि आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल ट्राईसिटी टुडे ने किसानों को दिए जाने वाले भूखंडों के आवंटन में बड़े पैमाने पर हुए घोटाले का खुलासा किया है। जिसमें अफसरों ने तमाम तरह से मनमानी की हैं। इस घोटाले की जांच भी चल रही है।
प्राधिकरण ने बनाए यह नियम
1. जिनकी पहले जमीन ली उन्हें पहले मिलेंगे भूखंड : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने शुक्रवार की शाम एक आधिकारिक बयान जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि किसानों को चार और छह फीसदी आबादी भूखंड आवंटित करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी की पहल पर अहम निर्णय लिया गया है। अब भू-अर्जन के अवार्ड की तिथि को वरीयता देते हुए किसानों की सूची तय की जाएगी। मतलब, जिस गांव की जमीन पहले ली गई है, उस गांव के किसानों को पहले भूखंडों का आवंटन किया जाएगा। अगर अवार्ड की तिथि एक समान है तो किसानों के आवेदन के आधार पर भूलेख विभाग से प्राप्त होने वाली सूची को वरीयता दी जाएगी। अब तक किसानों के नाम के अल्फाबेट के आधार पर प्लॉट दिए जाते थे। यही भ्रष्टाचार की वजह बनी हुई थी। दरअसल, किसानों के नाम के अल्फाबेट के आधार पर भूखंड देने से कई बार इस तरह की समस्या सामने आ जाती थी। भले ही जिन किसानों की जमीन पहले ली गई है, उनको छह फीसदी आबादी का भूखंड बाद में मिलता था। जिन किसानों की जमीन बाद में ली गई है, उनको वर्णमाला का लाभ देकर भूखंड पहले दे दिया जाता था। इसे सीधे तौर पर समझ सकते हैं कि अभी जिन किसानों का नाम 'ए' अल्फाबेट से शुरू होता है, उनको आबादी भूखंड पहले मिल जाता था, चाहे उस किसान की जमीन बाद में ली गई हो। इसी तरह जिन किसानों का नाम 'पी' अल्फाबेट से शुरू होता है, उनको भूखंड बाद में ही मिलता है, भले ही उस किसान की जमीन पहले ली गई है। इससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो रही थी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमनदीप डुली ने बताया कि ग्राम वार भू-अर्जन के अवार्ड की तिथि को आधार बनाकर वरीयता सूची तैयार की जाएंगी। सबसे पुराने को वरीयता देते हुए चार और छह फीसदी आबादी भूखंडों देने के लिए किसानों की सूची तैयार की जाएगी। एक समान तिथि होने पर भूलेख विभाग में किसान के आवेदन पत्र के आधार पर तैयार सूची को वरीयता दी जाएगी। इसी प्रक्रिया के तहत भूखंडों का आवंटन किया जाएगा।
2. भूखंडों का क्षेत्रफल तय किया गया : एसीईओ ने बताया कि किसानों को अधिग्रहीत जमीन के क्षेत्रफ़ल के हिसाब से कम से कम 40 वर्ग मीटर और अधिकतम 500 वर्ग मीटर तक के भूखंड देने का प्रावधान है। इसके चलते भूखंडों के आकार के आधार पर छह श्रेणी बना दी गई हैं। अब 40 से 60 वर्गमीटर, 61 से 120 वर्गमीटर, 121 से 200 वर्गमीटर, 201 से 300 वर्गमीटर, 301 से 400 वर्गमीटरऔर 401 से 500 वर्गमीटर के भूखंड की श्रेणी बनाई गई हैं। अमनदीप डुली ने बताया कि किसान जितना एरिया पाने का हकदार है, उतने एरिया का भूखंड नियोजित किया जाएगा। मसलन, अगर किसी किसान को 260 वर्ग मीटर भूखंड मिलना है तो उसके लिए 200 वर्ग मीटर का एक भूखंड और 60 मीटर का दूसरा भूखंड नियोजित किया जाएगा। पूरा और बड़े आकार का भूखंड नहीं दिया जाएगा।
3. तीन किमी से ज्यादा दूर नहीं मिलेगा भूखंड : एसीईओ ने बताया कि पात्र किसान को सबसे पहले उसी के गांव में भूखंड दिया जाएगा। वहां उपलब्ध न होने पर आसपास के तीन किलोमीटर की परिधि में स्थित दूसरे गांव में भूखंड नियोजित किए जाएंगे। हालांकि, पहले गांव के मूल काश्तकार को उसके गांव में भूखंड दिए जाएंगे। उसके बाद दूसरे गांव के किसान के लिए भूखंड नियोजित किए जाएंगे। इतना ही नहीं, दूसरे गांव के काश्तकार को भूखंड दिए जाने से पूर्व इस पर सीईओ का अप्रूवल लेना जरूरी होगा। इसके अलावा अगर तीन किलोमीटर की परिधि में भी भूखंड उपलब्ध नहीं हैं तो सीईओ के समक्ष अलग से विशेष प्रस्ताव रखा जाएगा। किसानों के एक समान भूखंड होने पर ड्रा के जरिए आवंटन किया जाएगा। जबकि यूनिक आकार के भूखंड सीधे आवंटित किए जाएंगे।
रितु माहेश्वरी की पहल पर बने नए नियम
इस बारे में सीईओ रितु माहेश्वरी का कहना है कि किसानों की मांग पर प्राधिकरण के इस फैसले से कई पुराने मसले जल्द सुलझने की उम्मीद है। प्राधिकरण की ओर से कहा गया है कि किसानों ने इस समस्या को सुलझाने के लिए सीईओ रितु माहेश्वरी के समक्ष मांग रखी थीं। सीईओ की पहल पर विगत बोर्ड बैठक में भू-अर्जन के अवार्ड की तिथि के आधार पर आबादी भूखंड दिए जाने का निर्णय लिया गया। इस आशय का कार्यालय आदेश जारी करके तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया गया है।
ट्राईसिटी टुडे ने चलाया बड़ा अभियान
आपको बता दें कि ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में 4%, 6% और 10% आबादी भूखंडों के आवंटन में व्यापक पैमाने पर अनियमितताएं बरती गई हैं। यह अरबों रुपए का घोटाला है। इस पर ट्राईसिटी टुडे ने 9 सितंबर 2022 ने विशेष अभियान छेड़ा था।
पिछले करीब 5 महीनों से इस मुद्दे को लेकर हम लगातार समाचार प्रकाशित कर रहे हैं। अब इस मामले में प्राधिकरण की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी ने बड़ी कार्यवाही की है। आबादी भूखंडों का आवंटन करने के लिए जारी की गई दो लिस्ट सीईओ ने रद्द कर दी हैं। इसके अलावा घोटाले में संलिप्त अधिकारियों और दलालों पर कार्रवाई करने के लिए 3 आईएएस अफसरों की समिति का गठन किया गया है। यह समिति अब तक किसानों को हुए आबादी भूखंड की गहराई से जांच कर रही है।
क्या है पूरा मामला
ग्रेटर नोएडा के किसानों को भूमि अधिग्रहण के बदले 4%, 6% और 10% आवासीय भूखंडों का आवंटन किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान इस आवंटन प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताएं बरती गई हैं। प्राधिकरण में अफसरों और दलालों का एक गठजोड़ काम कर रहा है। यह लोग किसानों का हक छीनकर मालामाल हो गए हैं। किसानों को मिलने वाले प्लॉट उद्योगपतियों, कंपनियों, बिल्डरों, नेताओं के रिश्तेदारों, दूसरे राज्य में रहने वाले लोगों और कोऑपरेटिव सोसाइटीज को आवंटित किए गए हैं। हद तो यह हुई कि मुर्दों के नाम पर भूखण्डों का आवंटन कर दिया गया। दूसरी ओर प्राधिकरण को जमीन देने वाले किसान दशकों से धक्के खाते घूम रहे हैं। दलालों का गैंग किसानों से कौड़ियों के भाव में भूखंड खरीदकर प्राइम लोकेशन पर लगवाता है। इसके बाद मनमाने ढंग से इन भूखंडों के छोटे-छोटे टुकड़े करवाए जाते हैं। जिससे कौड़ियों के भाव में खरीदी गई जमीन करोड़ों रुपए की बन जाती है। यह लोग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फर्जी आदेश बनाने से भी नहीं चूके। येन-केन-प्रकारेण किसानों का हक लूटने के लिए तमाम फर्जीवाड़े किए गए हैं।
9 सितंबर 2022 को ट्राईसिटी टुडे ने किया खुलासा
ट्राईसिटी टुडे ने पीड़ित किसानों की मदद लेकर इस पूरे घोटाले का खुलासा किया। 09 सितंबर 2022 से समाचारों की श्रृंखला प्रकाशित की। इसके बाद तत्कालीन सीईओ सुरेंद्र सिंह ने 15 सितंबर को एसीईओ अदिति सिंह को घोटाले में जांच का आदेश दिया। अदिति सिंह ने विशेष कार्याधिकारी सौम्य श्रीवास्तव की अध्यक्षता में 5 अफसरों की जांच समिति का गठन किया। जांच समिति ने ट्राईसिटी टुडे की ओर से उठाए गए मुद्दों को सही पाया है। सौम्य श्रीवास्तव की समिति ने 5 दिसंबर को रिपोर्ट एसीईओ अदिति सिंह को सौंप दी थी। रिपोर्ट के आधार पर मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु महेश्वरी ने इस घोटाले में पहली कार्रवाई की है।
इस साल जारी हुई दोनों आवंटन सूची रद्द
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने किसानों को आबादी भूखंड आवंटित करने के लिए इस साल दो पात्रता सूची जारी की थीं। पहली पात्रता सूची 23 मार्च 2022 को जारी हुई। जिसके तहत 133 प्लॉट लगाए गए। इसके बाद दूसरी सूची 27 जुलाई 2022 को जारी हुई। जिसमें 26 भूखण्ड आवंटन किए गए थे। यह सूची विवादों में आई और तत्कालीन सीईओ सुरेंद्र सिंह ने 20 भूखण्डों को रद्द किया। बाकी 6 भूखण्ड सही बताए गए। जबकि उन 6 भूखण्डों के आवंटन में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ। जिसका ट्राईसिटी टुडे ने सबसे पहले खुलासा किया। अब दूसरी लिस्ट में बचे 6 भूखण्डों का आवंटन भी रद्द कर दिया गया है।
गहराई से जांच होगी, नपेंगे घोटाला करने वाले
सौम्य श्रीवास्तव कमेटी की जांच आने के बाद इस घोटाले को विकास प्राधिकरण ने स्वीकार कर लिया है। जांच कमेटी ने ट्राईसिटी टुडे की ओर से उठाए गए एक-एक बिंदु की गहराई से जांच की। सारे तथ्य सही पाए गए हैं। अब सीईओ ने विस्तृत जांच के लिए तीन आईएएस अधिकारियों की समिति का गठन किया है। जिसमें तीनों अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रेरणा शर्मा, अदिति सिंह और आनन्द वर्धन शामिल हैं। इस पूरे घोटाले का खुलासा करने के लिए ट्राईसिटी टुडे और विकास प्राधिकरण की मदद सैनी गांव के किसान मंगलवार को सीईओ से मिले। कर्नल विजेंद्र सिंह नागर, संजीव नागर, पूर्व प्रधान ब्रह्म सिंह नागर, डॉ.जगदीश नागर, पूर्व सैनिक राम सिंह नागर, रोहताश नागर, चंद्रपाल सिंह नागर और सरदार सिंह नागर ने की।