3 साल में प्राधिकरण का कर्ज 2,600 करोड़ घटा, जानिए अब कितना बचा

ग्रेटर नोएडा शहर को बड़ी राहत : 3 साल में प्राधिकरण का कर्ज 2,600 करोड़ घटा, जानिए अब कितना बचा

3 साल में प्राधिकरण का कर्ज 2,600 करोड़ घटा, जानिए अब कितना बचा

Tricity Today | CEO Narendra Bhooshan

  • - ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने की बैलेंस शीट की समीक्षा
  • - अथॉरिटी ने जन कल्याणकारी योजनाओं में  1,168 करोड़ किए निवेश
  • - इस दौरान औद्योगिक निवेश बढ़ने से 315 करोड़ की हुई आमदनी
Greater Noida : ग्रेटर नोएडा शहर और निवासियों के अच्छी खबर है। कर्ज और वित्तीय तरलता से जूझ रहे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने कोरोना संकट के बावजूद अच्छा काम किया है। प्राधिकरण (Greater Noida Authority) आर्थिक रूप से और मजबूत हुआ है। इसकी पुष्टि इस बात से होती है कि बीते तीन वित्तीय वर्षों में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण का कर्ज करीब 2,600 करोड़ रुपये कम हुआ है, जबकि इसी अवधि में प्राधिकरण ने तमाम परियोजनाओं में खूब खर्च भी किए हैं। वहीं, औद्योगिक निवेश के मामले में प्राधिकरण ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। पहली बार चालू वित्तीय वर्ष में तीन माह शेष रहते हुए औद्योगिक निवेश के जरिए शहर को 315 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है। यह जानकारी प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण ने दी है।

दो करोड़ रुपये रोजाना ब्याज दे रहा था प्राधिकरण
सीईओ नरेंद्र भूषण ने मंगलवार को वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए अथॉरिटी की बैलेंस शीट की समीक्षा की। सीईओ ने कहा, "वित्त विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 में वित्तीय वर्ष समाप्ति के दौरान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर करीब 7,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। लगभग दो करोड़ रुपये प्रतिदिन ब्याज का भुगतान करना पड़ रहा था। इस कर्ज को कम करना प्राधिकरण के लिए बड़ी चुनौता बन गया था। प्राधिकरण ने दो स्तर पर काम किया। पहला, बकाएदारों से रिकवरी तेज कर दी। इससे प्राप्तियां बढ़ गईं। आवंटित संपत्तियों के प्रीमियम के रूप में वित्तीय वर्ष 2020-21 में  अप्रैल से नवंबर के बीच 752 करोड़ की प्राप्ति हुई थी, जो कि 2021-22 में इसी अवधि में (अप्रैल-नवंबर)  बढ़कर 1,122 करोड़ रुपये हो गई। यानी लगभग 50 फीसदी अतिरिक्त प्राप्ति हुई।

अथॉरिटी ने प्रॉपर्टी की बिक्री तेज की
सीईओ नरेंद्र भूषण बताया, प्राधिकरण ने दूसरा कदम यह उठाया कि संपत्तियों की बिक्री तेज की। जिससे आमदनी बढ़ाई। खासतौर पर औद्योगिक निवेश तेजी से बढ़ा। इससे होने वाली आमदनी से कर्ज कम किया। वित्तीय वर्ष 2020-21 के बैलेंस शीट के मुताबिक  ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पर करीब 4,413 करोड़ रुपये का कर्ज बचा है। यह लोन अलग-अलग बैंकों और नोएडा प्राधिकरण का है। अगर बिल्डरों से बकाया रकम प्राप्त हो जाती है तो प्राधिकरण न सिर्फ अपना कर्ज चुकता कर लेगा, बल्कि बैंक-बैलेंस और दुरुस्त हो जाएगा।

पिछले साल लाभांश बढ़कर 56 करोड़ रुपये पहुंचा
नरेंद्र भूषण ने कहा, "समीक्षा बैठक के दौरान यह बात भी सामने आई कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में  प्राधिकरण को 56 करोड़ रुपये का लाभांश हुआ है, जबकि इससे पूर्व के वर्ष में यह मात्र 6 करोड़ रुपये थी। प्राधिकरण ने शहरी सेवाओं को और बेहतर बनाने के लिए भी लगातार प्रयास किए हैं। पेयजल और अन्य अर्बन सेवाओं को सुधारने में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 120 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हुए हैं।" वहीं, सीईओ ने चालू वित्तीय वर्ष (2021-22) के लेखा-जोखा का ब्योरा लिया। औद्योगिक निवेश के मामले में ग्रेटर नोएडा निवेशकों के लिए प्रमुख केंद्र बन गया है। कोरोना के बावजूद चालू वित्तीय वर्ष (2021-22) में औद्योगिक निवेश से प्राधिकरण को 315 करोड़ रुपये की आमदनी हुई है, जबकि इस वित्तीय वर्ष की समाप्ति में अभी तीन माह शेष भी हैं। यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है। इस दौरान अधिकांंश उद्यमियों ने प्लॉट के लिए एकमुश्त भुगतान के विकल्प को चुना है। जबकि विगत वर्ष में उद्योगों से सिर्फ 28 करोड़ रुपये की आमदनी हुई थी। 

प्राधिकरण के दावा- जनसेवाओं पर खूब निवेश किया
ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने दावा किया है कि जनकल्याणकारी योजनाओं में भी खूब निवेश किए हैं। वित्तीय वर्ष 2020-2021 में जन कल्याणकारी योजनाओं जैसे आईआईटीजीएनएल (इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड) की इंटीग्रेटेड टाउनशिप, मेट्रो, नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड और एक्सपो मार्ट आदि में 1,168 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। कोरोना का संकट होने के बावजूद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने चालू वित्तीय वर्ष (2020-21) में अपने अधीन 124 गांवों के विकास पर करीब 50 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। 

20 वर्ष बाद सुधरेगी अथॉरिटी की लेखा नीति
बैलेंस शीट की समीक्षा करते हुए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीईओ ने लेखा नीति को नए सिरे से बनाने के निर्देश दिए। इससे पूर्व में यह वर्ष 2000 में बनाई गई थी। यानी लगभग 20 साल पहले यह नीति बनी थी। अब इसमें तमाम सुधार करते हुए नए सिरे से बनाने का निर्णय सीईओ नरेंद्र भूषण ने लिया है। इससे ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की आर्थिक स्थिति का सटीक डाटा मिल सकेगा। उसी आधार पर आगामी परियोजनाओं का खाका खींचा जाएगा।

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