खस्ता हाल सामुदायिक केंद्रों पर अथॉरिटी का ध्यान नहीं

ग्रेटर नोएडा में बेटी का ब्याह करना पड़ रहा महंगा : खस्ता हाल सामुदायिक केंद्रों पर अथॉरिटी का ध्यान नहीं

खस्ता हाल सामुदायिक केंद्रों पर अथॉरिटी का ध्यान नहीं

Tricity Today | खस्ता हाल सामुदायिक केंद्रों पर अथॉरिटी का ध्यान नहीं

Greater Noida : ग्रेटर नोएडा शहर के लोगों को बेटे और बेटियों का ब्याह करना महंगा पड़ रहा है। दरअसल, ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी शहर के आवासीय सेक्टरों और गांवों में नए सामुदायिक केंद्र बनाने जा रही है, लेकिन पहले से शहर के आवासीय सेक्टर और गांवों में बने खड़े सामुदायिक केंद्रों की हालत खस्ता है। शहर के आवासीय सेक्टर डेल्टा-2 के सामुदायिक केंद्र को छोडकर इस साल शादियों के सीजन में शायद ही किसी सामुदायिक केंद्र में शहनाई बजी हो। शहर के तीन आवासीय सेक्टरों में बने सामुदायिक केंद्रों में पीएसी पुलिस बल ठहरा हुआ है। इसके अलावा अन्य सामुदायिक केंद्रों की हालत एक दम पतली है। मजबूर होकर लोगों को लाखों रुपये महंगे होटल और बैंकट हॉल बुक करने पड़ रहे हैं।

सेक्टर बीटा-2 में बने सामुदायिक केंद्र की हालत इतनी पतली हो गई है कि कभी भी भर भराकर गिर सकता है। सामुदायिक केंद्र की दिवारों में मोटी-मोटी दरारे आ गई हैं। छतों से पानी टपकता रहता है। इस तरह के हालात सेक्टर गामा-1, सेक्टर गामा-2 सेक्टर सिगमा-1 और सेक्टर डेल्टा-1 के सामुदायिक केंद्रों की भी हो गई है। सेक्टर गामा-1 आरडब्ल्यूए के महासचिव राजेन्द्र सिंह ने बताया कि गामा-1 सेक्टर के सामुदायिक केंद्र की हालात सख्ता है। सामुदायिक केंद्र के टॉयलेट के दरवाजे टूटे पड़े हैं। गेटों के शीशे टूट गए हैं। 

राजेंद्र सिंह ने आगे बताया कि सामुदायिक केंद्र में पानी की जरूरत है पूरी करने के लिए सबमर्सिबल पंप सेट लगाया गया था। इसकी मोटर वर्षों से जल्दी पड़ी है। छत पर रखी पानी की टंकी टूटी पडी है। खिडकी और दरवाजों के शीशे भी टूटे पडे हैं। पंखे और लाइट खराब हैं। इस बार शादियों के सीजन में एक भी आयोजन नहीं हुआ है। लोगों को मजबूरी में महंगे होटल और मैरिज होम में लुटना पड़ रहा है। इसी तरह का हाल गांवों में बने सामुदायिक केंद्रों का है। तुगलपुर सामुदायिक केंद्र में लोगों ने पार्किंग बना ली है।

नवादा गांव के सामुदायिक केंद्र में पार्किग बना ली है। पशुओं का बाडा भी बन गया है। कई गांवों में तो सामुदायिक केंद्रों में भूसा और उपले भरे पडे हैं। पशुओं की डेयरी चल रही हैं। सेक्टर डेल्टा-3, सेक्टर-36, सेक्टर-37 और स्वर्ण नगरी समेत कई सेक्टरों में तो सामुदायिक केंद्र आज तक बनाए नहीं गए हैं।

गौतमबुद्ध नगर विकास समिति के अध्यक्ष रश्मि पांडे का कहना है कि प्राधिकरण को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए। अब से कुछ वर्षों पहले तक शहर के सेक्टरों में पूरी आबादी निवास नहीं कर रही थी। अब हालात बदल चुके हैं। लगभग सभी आवासीय सेक्टरों में लोग आकर बस गए हैं। उनको मूलभूत सुविधाओं की जरूरत है। ऐसे में सामुदायिक केंद्रों की खस्ता हालत लोगों के लिए परेशानी है। जिन सेक्टरों में सामुदायिक केंद्र नहीं हैं, वहां के लोग बार-बार प्राधिकरण में मांग पत्र दे रहे हैं।

एक्टिव सिटीजन टीम के फाउंडर मेंबर सरदार मंजीत सिंह कहते हैं, "ग्रेटर नोएडा शहर के सामुदायिक केंद्र बेहद शानदार और लंबे-चौड़े बने हुए हैं। इनमें कम खर्च करके लोग ठाठ-बाट से बेटे और बेटियों का विवाह कर सकते हैं। पिछले एक दशक में हजारों लोगों ने इन सामुदायिक केंद्रों में अपने बच्चों की शादियां की हैं। अब सामुदायिक केंद्र जर्जर हो चले हैं। मेंटेनेंस का अभाव है। सुविधाओं की कमी है। जिसके चलते लोग वहां चाहकर भी शादी नहीं कर सकते हैं। शहर के होटल और बैंक्वेट हॉल में लाखों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। सामुदायिक केंद्रों में बेहद कम फीस देकर अच्छी शादी हो जाती हैं। प्राधिकरण को इस दिशा में जल्दी से जल्दी काम करना चाहिए। शहर के तमाम पुराने सेक्टरों में सामुदायिक केंद्रों को दोबारा डिवेलप करने की जरूरत है।"

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