Greater Noida : महेश मित्रा बना ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण' मामले में सोमवार को अथॉरिटी की ओर से रिव्यू एप्लीकेशन डिस्ट्रिक्ट कंजूमर फोरम में दाखिल किया गया है। यह रिव्यू एप्लीकेशन प्राधिकरण के विशेष कार्य अधिकारी संतोष कुमार की ओर से दाखिल हुआ है। जिसमें 10 बिंदु रखे गए हैं। प्राधिकरण की ओर से कहा गया है, "7 जनवरी को फोरम की ओर से जारी किया गया आदेश बेहद कठोर है। प्राधिकरण को नेशनल कंजूमर कमीशन के आदेश का अनुपालन करने का अवसर दिया जाना चाहिए। हम आदेश का पालन करेंगे।" प्राधिकरण की ओर से दाखिल इस आवेदन में वादी महेश मित्रा पर भी लापरवाही और मनमानी करने के आरोप लगाए गए हैं।
अथॉरिटी के रिव्यू एप्लीकेशन में कहा गया है कि मौजूदा मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में 1 अक्टूबर 2022 को कार्यभार ग्रहण किया है। यह पूरा मामला उनके कार्यकाल से बहुत पहले का है। लिहाजा, फोरम की ओर से 7 जनवरी 2023 को जारी किया गया आदेश संशोधित किया जाना चाहिए। नेशनल कमीशन के फैसले को लागू करने एक मौका जरूर मिलना चाहिए। प्राधिकरण का इरादा राष्ट्रीय आयोग के फैसले को लागू करने का है।
एप्लीकेशन में आगे कहा गया है कि 7 जनवरी 2023 को डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम की ओर से जारी किया गया आदेश मौजूदा सीईओ के खिलाफ बेहद कठोर है, जिन्होंने 1 अक्टूबर 2022 को ही कार्यभार ग्रहण किया है। यह आदेश एक उच्च पदस्थ अधिकारी की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को बाधित करता है। जबकि वह उल्लिखित आदेश का अनुपालन नहीं करने के लिए जिम्मेदार नहीं है।
प्राधिकरण ने कहा है कि नेशनल कमीशन और डिस्ट्रिक्ट फोरम के सारे विधिक आदेश मानने के लिए तैयार है। प्राधिकरण ने अब तक बेहतरीन ढंग से आदेशों का पालन भी किया है। राष्ट्रीय आयोग के आदेश का अनुपालन करने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए हैं। जिला फोरम ने अपना यह आदेश जारी करते वक्त प्रोविजनल एलॉटमेंट लेटर और प्राधिकरण की ओर से महेश मित्रा को भेजी गई आवंटन दरों का संज्ञान नहीं लिया है। जिसकी वजह से प्रतिवादी को यह हानि हुई है। महेश मित्रा ने वर्ष 2014 और 2017 में उन्हें भेजे गए पत्रों का जवाब तक नहीं दिया है। उन्हें प्रोविजनल एलॉटमेंट लेटर 28 जुलाई 2017 को भेजा गया था। जिसमें अधिकतम 2,500 वर्ग मीटर के भूखंड का आवंटन ₹9,810 प्रति वर्ग मीटर की दर से करने का ऑफर दिया गया था। आज तक वादी ने इस पर अपनी कोई सहमति या असहमति नहीं दी है। जिसकी वजह से राष्ट्रीय आयोग के आदेश को लागू करने में बाधा उत्पन्न हो रही है।
आगे लिखा है, इसके बावजूद अथॉरिटी को कंज्यूमर फोरम के सामने गलत ढंग से प्रदर्शित किया गया है। 28 जुलाई 2017 को महेश मित्रा को भेजे गए पत्र का जवाब ना मिलने की वजह से आज तक प्रोविजनल एलॉटमेंट लेटर को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। वादी ने उचित ढंग से नोएडा विकास प्राधिकरण को सहयोग नहीं दिया है। केवल प्राधिकरण की छवि खराब करने की कोशिश की है। अगर आज तक राष्ट्रीय आयोग के आदेश का पालन नहीं हो पाया है तो इसके लिए खुद वादी जिम्मेदार है। आज तक महेश मित्रा ने रिजर्वेशन मनी, डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट, लिक्विडिटी सर्टिफिकेट, प्रोजेक्टेड बैलेंस शीट और लेआउट प्लान जैसे दस्तावेज दाखिल नहीं किए हैं। इतना ही नहीं वह खुद डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम के सामने भी उपस्थित नहीं होते हैं। वे लगातार राष्ट्रीय कमीशन, स्टेट कमीशन और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर कर रहे हैं, लेकिन डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम की सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं होते हैं। फोरम की डेट शीट पर उनकी अनुपस्थिति देखी जा सकती हैं।
प्राधिकरण का कहना है कि यह कानून उपभोक्ता के अधिकारों से जुड़े विवादों का सहज और तीव्र समाधान करने के लिए है। कानून की धारा 27 में दंडात्मक प्रावधान हैं, लेकिन तब जब जिला फोरम, राष्ट्रीय या राज्य आयोग के आदेश का अनुपालन ना किया जाए। इस मामले में प्राधिकरण ने अनुपालन किया है।
ओएसडी संतोष सिंह की ओर से कहा गया है कि प्राधिकरण की वर्तमान मुख्य कार्यपालक अधिकारी अनुपालन प्रक्रिया को लागू करने के लिए पक्षकार नहीं हैं। अनुपालन प्रक्रिया ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को पूरी करने का आदेश दिया गया था। लिहाजा, 7 जनवरी 2023 का आदेश वापस लिया जाए या इसे रद्द कर दिया जाए। डिस्ट्रिक्ट फोरम वादी के पक्ष में आए आदेश का अनुपालन करवाने के लिए नया आदेश जारी करें। प्राधिकरण को यह अवसर दिया जाना चाहिए।
क्या है मामला
जिला उपभोक्ता फोरम से मिली जानकारी के मुताबिक महेश मित्रा नाम के व्यक्ति ने वर्ष 2001 में भूखंड आवंटन के लिए आवेदन किया था। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने महेश मित्रा को आवंटन नहीं किया। जिसके खिलाफ उन्होंने वर्ष 2005 में एक मुकदमा जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया था। इस मुकदमे पर 18 दिसंबर 2006 को जिला फोरम ने फैसला सुनाया। जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को आदेश दिया कि महेश मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुसार 1,000 वर्ग मीटर से 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित किया जाए। जिस पर प्राधिकरण के नियम और शर्तें लागू रहेंगी। इसके अलावा मुकदमे का हर्जा-खर्चा भी भरने का आदेश प्राधिकरण को दिया गया था।
अथॉरिटी ने राज्य आयोग का दरवाजा खटखटाया
जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ विकास प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की। अपील पर 21 दिसंबर 2010 को राज्य आयोग ने फैसला सुनाया। राज्य आयोग ने फैसला दिया कि महेश मित्रा की ओर से नोएडा विकास प्राधिकरण में जमा किए गए ₹20,000 की पंजीकरण राशि वापस लौटाई जाएगी। यह धनराशि 6 जनवरी 2001 को जमा की गई थी। उस दिन से लेकर भुगतान की तारीख तक 6% ब्याज भी चुकाना होगा। राज्य आयोग के इस फैसले से विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत मिल गई।
महेश मित्रा ने राष्ट्रीय आयोग में अपील दायर की
राज्य आयोग के इस आदेश के खिलाफ महेश मित्रा ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। पूरे मामले को सुनने के बाद राष्ट्रीय आयोग ने 30 मई 2014 को अपना फैसला सुनाया। राष्ट्रीय आयोग ने कहा कि मित्रा का पक्ष सही है और राज्य आयोग का फैसला गलत है। जिला उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया था, वह सही है। हालांकि, जिला उपभोक्ता फोरम के फैसले में राष्ट्रीय आयोग ने मामूली बदलाव किया। राष्ट्रीय आयोग ने अपने फैसले में कहा कि महेश मित्रा को 500 वर्गमीटर से 2,500 वर्गमीटर के बीच का कोई भी प्लॉट आवंटित किया जा सकता है। यह उनकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट और आवश्यकता के आधार पर निर्धारित किया जाएगा।
प्राधिकरण ने राष्ट्रीय आयोग का फैसला लटकाया
राष्ट्रीय आयोग के फैसले पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अमल नहीं किया। जिसके खिलाफ महेश मित्रा ने एक बार फिर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया। जिला फोरम ने कई बार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को राष्ट्रीय आयोग के फैसले का अनुपालन करने के लिए आदेश दिए। अंततः 14 जुलाई 2017 को जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बैंक खाते कुर्क कर लिए। इस एक्शन के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य आयोग में अपील दायर की। राज्य आयोग ने जिला फोरम के आदेश को रद्द कर दिया। जिला फोरम ने 18 अगस्त 2017 को प्राधिकरण के सीईओ को व्यक्तिगत रूप से फोरम के सामने हाजिर होने का आदेश दिया। इस आदेश के खिलाफ भी प्राधिकरण ने राज्य आयोग से निरस्तीकरण आदेश हासिल कर लिया।
सीईओ के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी
जिला भोक्ता फोरम ने शनिवार को पारित आदेश में कहा है कि पिछले 9 वर्षों से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण जिला फोरम और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेशों को लटका रहा है। जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को नया आदेश पारित किया है। जिसमें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने की सजा सुनाई गई है। उन पर ₹2,000 का अर्थदंड लगाया गया है। सीईओ को गिरफ्तार करने के लिए गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को वारंट भेजा गया है। जिला फोरम की ओर से सीईओ को आदेश दिया गया है कि अगले 15 दिनों में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन किया जाए।