Prayagraj/Greater Noida : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) लीजबैक में हुई अनियमितताओं को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में घिर गया है। खैरपुर गांव के किसानों ने एक रिट पिटिशन हाईकोर्ट में दायर की। इस पिटीशन पर दिए गए अपने ही जवाब में प्राधिकरण अफसरों की मनमानी सामने आ गई। पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने उन लोगों की सूची मांगी थी, जिन्हें लीजबैक के जरिए जमीन वापस लौटाई गई है। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की ओर से दाखिल किए गए हलफनामे में बताया गया कि किसी भी व्यक्ति को 3,000 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन लीज बैक में वापस नहीं दी गई है। दूसरी ओर सूची में ऐसे मामले भी हैं, जिनमें 56,000 वर्गमीटर जमीन लीज बैक के जरिए वापस लौटाई है। गुरुवार को इस मामले में हाईकोर्ट ने एक बार फिर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं के वकील पंकज दुबे ने यह मुद्दा अदालत के सामने रखा। अब अदालत ने प्राधिकरण से जवाब मांगा है।मामले की अगली सुनवाई 12 अक्टूबर को होगी।
किसानों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
खैरपुर गांव के मुकेश चंद शर्मा और 3 और किसानों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इन लोगों ने बताया कि उनकी जमीन गलत ढंग से प्राधिकरण में अधिग्रहित कर ली है। गांव में तमाम लोगों को अधिग्रहित जमीन लीज बैक के जरिए वापस लौटे गई है। जिस तरह दूसरे किसानों को लीजबैक की गई है, उसी नियम के तहत उन्हें भी लीजबैक हासिल करने का हक है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर और जस्टिस आशुतोष श्रीवास्तव की अदालत इस मामले में सुनवाई कर रही है। करीब 2 महीने पहले हुई सुनवाई में अदालत ने प्राधिकरण से जवाब मांगा था।
अधिकारी की ओर से जवाब दाखिल
प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी की ओर से जवाब दाखिल किया गया। अदालत को बताया गया कि उन्होंने 3,000 वर्गमीटर से ज्यादा जमीन किसी को लीजबैक के जरिए वापस नहीं लौटाई है। इस पर अदालत ने प्राधिकरण से उन लोगों की सूची मांगी, जिन्हें लीजबैक के जरिए जमीन वापस लौटाई है। प्राधिकरण की ओर से पिछली सुनवाई पर यह सूची दाखिल की गई। अब इस मामले की गुरुवार को फिर से सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता पंकज दुबे ने कहा, "हमने मुख्य कार्यपालक अधिकारी की ओर से दाखिल किए गए काउंटर एफिडेविट में एनेक्जर नंबर-7 की ओर अदालत का ध्यान आकर्षित किया है। एक तरफ प्राधिकरण के सीईओ ने शपथ पत्र देकर कहा है कि किसी भी व्यक्ति को 3,000 वर्ग मीटर से ज्यादा जमीन लीज बैक के जरिए लौटाई नहीं गई है। दूसरी तरफ शपथ पत्र के साथ दाखिल की गई सूची में ऐसे कई नाम हैं, जिन्हें 56,000 वर्ग मीटर तक जमीन लीज बैक के जरिए वापस लौटाई है। प्राधिकरण ने अपने ही नियमों को तोड़ा है। लीज बैक पॉलिसी की अनदेखी की गई है।"
सरकार के वकीलों ने वक्त मांगा
गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान प्राधिकरण के वकील रामेंद्र प्रताप सिंह और राज्य सरकार की वकील अंजली उपाध्याय अदालत में हाजिर हुईं। 8 सितंबर 2022 को हुई सुनवाई में हुए आदेश का अनुपालन करने के लिए प्राधिकरण की ओर से पूरक शपथ पत्र दाखिल किया गया है। प्राधिकरण ने सैटेलाइट इमेजरी भी अदालत में दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं के वकील पंकज दुबे की ओर से एनेक्जर नंबर-7 पर उठाए गए सवाल का जवाब देने के लिए प्राधिकरण में वक्त मांगा है। दूसरी ओर याचिकाकर्ता भी इस मामले को लेकर एक सप्ताह में प्रति शपथ पत्र दाखिल करेगा। याचिकाकर्ताओं की ओर से उठाए गए सवालों पर तर्कसंगत जवाब देने के लिए प्राधिकरण और सरकार के वकीलों ने वक्त मांगा है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर को नियत की है। कुल मिलाकर लीजबैक मामलों को लेकर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण इलाहाबाद हाईकोर्ट में घिरता नजर आ रहा है।
किसानों के मुकदमों की पैरवी
इस मामले में किसानों के मुकदमों की पैरवी कर रहे एडवोकेट पंकज दुबे ने कहा, "प्राधिकरण ने लीजबैक पॉलिसी का पालन नहीं किया है। 'पिक एंड चूज पॉलिसी' अपनाकर लोगों को नाजायज फायदा पहुंचाया गया है। स्थानीय और जरूरतमंद किसानों को इस पॉलिसी का लाभ नहीं दिया जा रहा है। प्राधिकरण की ओर से दाखिल लिस्ट में ऐसे लोग शामिल हैं, जिन्हें 56 हजार वर्ग मीटर जमीन लीज बैक की गई है। दूसरी ओर जरूरतमंद किसानों को 2,000 वर्गमीटर जमीन भी वापस नहीं लौटाई जा रही है।"