फर्जी वैक्सीन ट्रायल में एक साथ दी गई दोनों डोज, न्यूनतम समयांतराल का नहीं हुआ पालन, हुए चौंकाने वाले खुलासे

Greater Noida: फर्जी वैक्सीन ट्रायल में एक साथ दी गई दोनों डोज, न्यूनतम समयांतराल का नहीं हुआ पालन, हुए चौंकाने वाले खुलासे

फर्जी वैक्सीन ट्रायल में एक साथ दी गई दोनों डोज, न्यूनतम समयांतराल का नहीं हुआ पालन, हुए चौंकाने वाले खुलासे

Tricity Today | गोपाल पैथ लैब का पंजीकरण भी नहीं है

गौतमबुद्ध नगर के दादरी कस्बे में बिना अनुमति कोरोना वायरस की वैक्सीन के ट्रायल मामले में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। पता चला है कि जिन लोगों को वैक्सीन की डोज दी गई थी, उन्हें एक ही बार में दोनों खुराक दे दी गई हैं। इससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी तकलीफ हो सकती है। जिला स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीमें लगातार इस केस की छानबीन कर रही हैं। रोजाना मामले से जुड़े नए तथ्य सामने आ रहे हैं। 

गोपाल पैथ लैब में मंगलवार को टीका लगवाने वाले अधिवक्ता अभिषेक मैत्रेय ने चौंकाने वाली जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पैथोलॉजी लैब संचालक ने किसी को वैक्सीन के बारे में कुछ नहीं बताया था। लोगों को सिर्फ यह कहा गया था कि यहां कोरोना वायरस का टीका लग रहा है। वहां मौजूद कर्मियों ने एक साथ दोनों बाजू में टीके की दोनों डोज लगा दी। इसके बाद से स्वास्थ्य विभाग उन 19 लोगों की पहचान में जुट गया है, जिन्हें टीके लगाए गए थे। 

विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इन सभी लोगों की पहचान कर ली गई है। इनमें 15 पुरुष और 4 महिलाएं शामिल हैं। महकमे के अधिकारियों ने इनमें से दो लोगों से बात की और उनके स्वास्थ्य से जुड़े सवाल पूछे। स्वास्थ्य विभाग और पुलिस की टीमें शेष 17 लोगों का पता लगा रही हैं। जिला स्तर पर मामले की जांच औषधि निरीक्षक वैभव बब्बर को सौंपी गई है। वह गाजियाबाद स्थित फ्लोरेस हॉस्पिटल से भी जानकारी जुटा रहे हैं। छानबीन में पता चला है कि सभी 19 लोगों को जायड्स कैडिला कंपनी की जायकोव-डी वैक्सीन लगाई गई है। इन सभी का डाटा फ्लोरेस हॉस्पिटल मैनेजमेंट को दिया गया था।  

कार्रवाई तेज हुई
जांच में पता लगा है कि 19 लोगों में ज्यादातर दो परिवारों से जुड़े हैं। इसमें एक परिवार होम्योपैथिक चिकित्सक का है। अन्य लोग पैथोलॉजी लैब संचालक विकास वशिष्ठ के परिवार से हैं। क्लीनिकल ट्रायल में इन सभी को जायड्स-कैडिला कंपनी की जायकोव-डी वैक्सीन लगाई गई थी। जांच में पता चला है कि गोपाल पैथोलाजी लैब को पंजीकृत भी नहीं कराया गया था। घटना के बाद से लैब संचालक फरार है। स्वास्थ्य विभाग ने केस में फ्लोरेस हॉस्पिटल के प्रशासनिक अधिकारी महेश चौधरी समेत सात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। इनमें से चार आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार भी कर लिया है। अन्य की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

क्या है पूरा मामला
गत मंगलवार को दादरी कस्बे में स्थित गोपाल पैथोलाजी लैब के पर अवैध कोराना वायरस वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा था। दरअसल नारी रक्षा दल के बैनर तले जायड्स-कैडिला कंपनी की जायकोव-डी वैक्सीन का टीका मुफ्त में लगाया जा रहा था। सूचना मिलने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई। उस दौरान वहां कई लोग टीका लगाते मिले।

इनमें से चार ने स्वंय को क्लीनिकल रिसर्च को-आर्डिनेटर बताया। एक ने खुद को स्टॉफ नर्स बताया। साथ ही इन्होंने गाजियाबाद स्थित फ्लोरेस अस्पताल और कंपनी के बीच करार की बात कही। हालांकि आरोपी इस संबंध में दस्तावेज नहीं दिखा सके। हालांकि कंपनी की ट्रायल से संबंधित गाइडलाइन देखने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। प्रकरण की जांच कंपनी स्तर तक की जाएगी। फ्लोरेस हॉस्पिटल से भी कर्मचारियों का डेटा जुटाया जाएगा। 

28 दिन के अंतराल का नहीं हुआ पालन
गौतमबुद्ध नगर के सीएमओ डॉ दीपक ओहरी ने कहा कि एक साथ दोनों डोज देना स्वास्थ्य के लिए घातक हो सकता है। खास तौर पर इस वैक्सीन का ट्रायल नहीं हुआ है। ऐसे में इसके दुष्परिणाम बेहद चिंताजनक हो सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि सामान्यतः वैक्सीन के दोनों खुराक में 28 दिन का अंतर रखा जाना जरूरी है। अब तक जितने भी ट्रायल हुए हैं, उनमें इस समय सीमा का पालन किया गया है। पहली बार में सिर्फ .5 ml मात्रा दिया जाना है। जबकि दादरी प्रकरण में अभी तक डोज की स्पष्ट मात्रा का भी पता नहीं चला है।

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