परियोजना पर भूमाफिया की टेढ़ी नजर, भिड़ा रहे सरकार को ठगने की जुगत

नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट : परियोजना पर भूमाफिया की टेढ़ी नजर, भिड़ा रहे सरकार को ठगने की जुगत

परियोजना पर भूमाफिया की टेढ़ी नजर, भिड़ा रहे सरकार को ठगने की जुगत

Google Image | Noida International Airport

Greater Noida : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) की तरह यमुना सिटी में भी टुकड़े-टुकड़े गैंग सक्रिय हो गया है। इस गैंग की नजर यमुना सिटी में बन रहे नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट प्रोजेक्ट पर है। यह गैंग एयरपोर्ट के दूसरे चरण से प्रभावित होने वाले गांवों में सक्रिय हो गया है। एयरपोर्ट के दूसरे चरण में करौली बांगर, दयानतपुर, कुरैब, रन्हेरा, मुढरह और बीरमपुर गांवों में 10 वर्ग मीटर से लेकर 1,000 वर्ग मीटर तक के छोटे-छोटे टुकड़े यह लोग खरीद रहे हैं।

छोटी जमीन खरीदकर बड़ा लाभ उठाने की कोशिश
छोटी-छोटी जमीन खरीदकर यहां के किसान बन रहा हैं। इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इन गांवों में दो महीने पहले प्रभावित किसानों की संख्या 7,164 थी, लेकिन अब बढकर 9,000 के आस-पास पहुंच गई है। हर रोज जेवर के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार कार्यालय में इन गांवों में 10 वर्ग गज से लेकर 1,000 वर्ग मीटर जमीन के बैनामे हो रहे हैं। इन गांवों में अधिसूचना के बाद से जमीन खरीदने और बेचने पर रोक लगी हुई है। जिला प्रशासन इसके बावजूद रोक नहीं लगा पा रहा है। यदि यही हाल रहा तो दूसरे चरण के लिए जमीन अधिग्रहण का काम पूरा होने तक बजट सैकड़ों करोड़ रुपए बड़े जाएगा।

सरकार और तीनों प्राधिकरण ऊपर पड़ेगा आर्थिक बोझ
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लिए कंपनी को जमीन खरीद कर देने की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश सरकार और गौतमबुद्ध नगर के तीनों विकास प्राधिकरण की है। अगर फर्जी ढंग से एयरपोर्ट परियोजना में प्रभावित किसानों की संख्या यूं ही बढ़ती रही तो राज्य सरकार और तीनों अथॉरिटी को कई गुना राजस्व का नुकसान हो सकता है। टुकड़े-टुकड़े गैंग में इस एरिया के प्रॉपटी डीलर बडी संख्या में शामिल हैं, जो दिल्ली, मुबंई, गुरूग्राम, कोलकाता, नोएडा और चंडीगढ़ समेत पूरे देशभर के लोगों को नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट के पास सस्ते में जमीन उपल्बध कराने का सपना दिखाते हैं। इस तरह के लोग इनके झांसे और लालच में आकर हर गांव में जमीन खरीद लेते हैं। दूसरे चरण में खरीदी जा रही जमीन पर कार्गो और एमआरओ हब समेत अन्य प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। इन गांवों में 1,185 हैक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है। इसमें 124 हैक्टेयर जमीन सरकारी है। करीब 57 हैक्टेयर जमीन पहले चरण के साथ जिला प्रशासन अधिग्रहित कर चुका है।

इन कामों में नवयुवकों के नाम पर खरीदी जा रही है जमीन
इन गांवों में टुकड़ों में जमीन खरीद रहे बाहरी लोग रजिस्ट्री में अपना हाल पता उसी गांव का दर्ज करवा रहे हैं। इसके बाद नये जमीन अधिग्रहण कानून के अनुसार अपनी सहमति परियोजना को दे रहे हैं। अभी तक इस तरह के 40 प्रतिशत फर्जी किसान जिला प्रशासन को सहमति दे चुके हैं। इतना ही नहीं टुकड़ों में खरीदी जा रही जमीन नवयुवकों के नाम पर खरीदी जा रही है। मतलब, जिस परिवार में 10 नवयुवक हैं, उन सभी के नाम से जमीन के छोटे-छोटे टुकड़े खरीदे जा रहे हैं। जिससे पूरे परिवार को नए जमीन अधिग्रहण कानून का लाभ मिल सके। इसमें मुआवजे के अलावा, नौकरी या एकमुश्त साढ़े 5 लाख रुपये नकद शामिल हैं। यदि जमीन पर पक्का निर्माण कर लिया है तो पुरानी आबादी बताकर टाउनशिप में न्यूनतम 120 वर्ग मीटर का भूखंड मिलेगा।

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