Greater Noida : ग्रेटर नोएडा शहर में बुधवार को दर्दनाक हादसा हुआ है। ठंड से बचने के लिए एक बुजुर्ग दम्पत्ति ने तसले में सुलगता कोयला रखकर कमरा बंद कर लिया। कमरे का दरवाजा और खिड़की बंद होने से दोनों का दम घुट गया। इस हादसे में 72 वर्षीय पुरुष और 71 वर्षीय उनकी पत्नी की दम घुटने से मौत हो गई है। पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक बुज़ुर्ग दम्पत्ति मूल से बिहार राज्य के रहने वाले थे। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया है। यह थाना ईकोटेक-3 क्षेत्र में कुलेसरा गांव की घटना है।
इन दिनों पूरे उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। लोग खुद को गर्म रखने के लिए बिजली के हीटर और अंगीठी जला रहे हैं। ऐसे में एक के बाद गंभीर घटनाएं हो रही हैं। ग्रेटर नोएडा में आज दम घुटने से दो बुजुर्गों की मौत हो गई हैं। इकोटेक-3 कोतवाली प्रभारी ने बताया कि 72 वर्षीय मुनि और 70 वर्षीय पत्नी सिमरी एक साथ कुलेसरा गांव में रहते थे। दोनों मूल रूप से ग्राम राजापुर जिला गोपालगंज बिहार के रहने वाले थे। दोनों यहां पर काफी समय से रह रहे थे। पुलिस ने बताया कि रात को दोनों ने अपने कमरे में सोने से पहले कोयला जलाया था। रात के समय दोनों का दम घुट गया और दोनों की मौत हो गई। दोनों का शव बुधवार की सुबह कमरे में पड़ा हुआ मिला। पुलिस ने दोनों के शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और उनके परिवार से संपर्क किया जा रहा है।
अंगीठी, ब्लोअर और हीटर खतरनाक
रात में सोते वक्त सिर्फ आग और अंगीठी नहीं, बल्कि बिजली से चलने वाले ब्लोअर या रूम हीटर भी इंसानों के लिए खतरनाक हैं। ब्लोअर और रूम हीटर के साथ लगातार सांस लेने में परेशानी हो सकती है। डॉ.नीलेश कपूर का कहना है कि सोया हुआ इंसान कार्बन डाइऑक्साइड गैस छोड़ता है और आग से यही गैस निकलती है। यदि कमरे में वेंटिलेशन नहीं है तो गैस बाहर नहीं निकलती है। इसकी वजह से कमरे में कार्बन डाइऑक्साइड की सांद्रता बढ़ जाती है। यह एक जहरीली गैस है। जिसकी वजह से गहरी नींद में सोए लोग सांस के जरिए इसे ग्रहण करने लगते हैं। मस्तिष्क को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और पहले अचेत हो जाते हैं। फिर मौत भी हो सकती है।
दिल, दिमाग और फेंफड़ों को खतरा
डॉक्टरों के अनुसार ठंड से बचने के लिए ब्लोअर और हीटर का लगातार प्रयोग अच्छा नहीं है। अस्थमा और हार्ट के मरीजों के लिए इसका ज्यादा प्रयोग बीमारी बढ़ाता है। अस्थमा के मरीजों को सांस लेने में दिक्कत आती है और हार्ट के मरीज को हार्टअटैक की आशंका बढ़ जाती है। डॉ.नीलेश कपूर ने बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड गैस शरीर के अंदर जाने से यह कई अहम अंगों को ऑक्सीजन की सप्लाई कम कर देती है। जिससे हाईपोक्सिया की स्थिति बन जाती है। जिससे दिमाग के टिश्यू नष्ट होने लगते हैं और मौत की आशंका बढ़ जाती है।
स्किन में रुखापन-एलर्जी की समस्या
लंबे समय तक आग, हीटर और ब्लोअर का प्रयोग करने से स्किन खराब होती है। त्वचा में रुखापन और एलर्जी की समस्या आने लगती है। स्किन स्पेशलिस्ट डॉ.अरुणकुमार ने बताया कि आग जलाकर सेकने से पहले त्वचा की नमी बनाए रखने के लिए किसी क्रीम, लोशन या तेल का जरूर प्रयोग करना चाहिए। पूरी रात अंगीठी या रूम हीटर जलाकर बिल्कुल नहीं सोना चाहिए। आग जलने से कार्बन मोनोऑक्साइड गैस निकलती है। कार्बन मोनोऑक्साइड हीमोग्लोबिन के साथ मिलकर कार्बोक्सी हीमोग्लोबिन में तब्दील हो जाती है। यह गैस सांस के जरिए शरीर के अंदर जाती है। दिमाग को ऑक्सीजन आपूर्ति रुक जाती है। इससे ब्रेन हेमरेज की आशंका बढ़ जाती है। सोए व्यक्ति को पता भी नहीं चलता और वह सोया ही रह जाता है। घर में वेटिलेशलन या खिड़की होने से गैस बाहर निकलती रहती है। खिड़की बंद कर देते हैं तो वेंटिलेशन खत्म हो जाता है।