Greater Noida Farmer's Plots Scam : किसानों के आबादी भूखंड नेताओं, अफसरों और कंपनियों ने जमकर लुटे हैं। ऐसे में भला बिल्डर पीछे कैसे रह जाते? बिल्डरों और प्राधिकरण अफसरों के गठजोड़ की बदौलत ग्रेटर नोएडा वेस्ट में प्राइम लोकेशन पर किसानों को भूखंड तो आवंटित किए गए, लेकिन इनका लाभ बिल्डरों ने उठाया है। इधर, प्राधिकरण ने किसानों के नाम रजिस्ट्री की, उधर चंद घंटों बाद ही किसानों ने बिल्डरों के नाम रजिस्ट्री कर दीं। अथॉरिटी की पॉलिसी के मुताबिक किसान आबादी भूखंडों पर 11 मीटर से ज्यादा ऊंचे मकान नहीं बनाए जा सकते हैं। दूसरी ओर बिल्डरों ने इन्हीं भूखंडों पर 76 मीटर ऊंची हाउसिंग सोसायटी खड़ी कर दी हैं। खास बात यह है कि ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने बिल्डरों को ना केवल किसान आबादी भूखंडों पर एफएआर बढ़ाकर दिया बल्कि नक्शे पास करके हाऊसिंग सोसायटी कड़ी करवाई हैं।
कुछ इस तरह शुरू हुआ घोटाला
सैनी गांव में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने वर्ष 2006 में भूमि अधिग्रहण किया। इसके बाद वर्ष 2008 और 2009 में इटेड़ा और पतवाड़ी गांवों में भूमि अधिग्रहण किया गया। सैनी गांव के किसानों को आज तक उनके आबादी भूखंड आवंटित नहीं किए गए हैं। दूसरी ओर पतवाड़ी और इटेड़ा गांव के किसानों को सैनी गांव की जमीन पर आबादी भूखंड आवंटित कर दिए गए। मतलब, सैनी गांव के किसानों को उन्हीं की जमीन पर आबादी भूखंड देने की बजाय दूर गांवों के किसानों को यहां आबादी भूखंड दिए गए हैं। दरअसल, लोकेशन बेहद प्राइम थी और वहां दो बिल्डरों के ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट लॉन्च किए जा चुके थे। ऐसे में बिल्डरों और प्राधिकरण अफसरों ने गठजोड़ किया। रातों-रात पहले किसानों के नाम भूखंड आवंटित किए गए। वैसे तो अथॉरिटी के अफसर आवंटन के बाद रजिस्ट्री करने में महीनों लगा देते हैं लेकिन यहां सबकुछ आनन-फानन में किया गया। इतना ही नहीं प्राधिकरण ने किसानों के नाम रजिस्ट्री की और चंद घंटे बाद ही किसानों से इन भूखंडों की रजिस्ट्री बिल्डरों के नाम करवा दी।
मामला नंबर-1 : एपेक्स इंफ्रावेंचर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के सेक्टर-12 में ग्रुप हाउसिंग प्लॉट नंबर जीएच-01ए प्राधिकरण ने आवंटित किया था। इसी प्लॉट के ठीक बराबर में किसान आबादी के तौर पर इटैड़ा गांव के 12 किसानों को 4,740 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की गई। यह जमीन किसानों को भूमि अधिग्रहण के सापेक्ष दिए जाने वाले भूखंडों के रूप में दी गई थी। किसानों की आवंटन सूची में भूखंड अलग-अलग आवंटित किए गए। इनकी क्रम संख्या और क्षेत्रफल भी अलग-अलग हैं। इनसे इनके गांव में जमीन अधिग्रहण अलग-अलग खसरा नंबर से किया गया था। लेकिन ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के प्रबंधक चंद्रकांत त्रिपाठी ने 6 सितंबर 2011 को सभी 12 किसानों के नाम एकसाथ 4,740 वर्ग मीटर की रजिस्ट्री कर दी। जिससे यह 12 भूखंड एक हो गए। यह रजिस्ट्री उस दिन शाम 6:49 पर की गई थी।
रजिस्ट्री में संयुक्त रूप से प्रेम सिंह पुत्र हीरा सिंह, सोहनपाल पुत्र चंद्रभान, धनपाली पत्नी चंद्रभान, सत्यपाल पुत्र खजान सिंह, ओमप्रकाश पुत्र खजान सिंह, रामो देवी पत्नी हरबंस, ललिता पत्नी सतीश, राम सिंह पुत्र जयकिशन, भूली सिंह पुत्र समय, करण सिंह पुत्र राम प्रसाद, मदन पाल पुत्र हरबल, दिगंबर पुत्र विजयपाल और दया चंद पुत्र रमन शामिल थे। यह सारे लोग इटेड़ा गांव के निवासी हैं। किसानों की आवंटन आईडी KISAN00006 है। इन किसानों ने 9 सितंबर 2011 की रात दो बजे पूरी जमीन बिल्डर एपेक्स इंफ्रावेंचर प्राइवेट लिमिटेड के नाम कर दी। अब इस जमीन पर 19 मंजिला इमारत खड़ी है। बिल्डर फ्लैट बनाकर और बेचकर निकल चुके हैं।
मामला नंबर-2 : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने सैनी गांव की जमीन पर बसाए सेक्टर-12 में ही एसके रीयलटेक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को ग्रुप हाउसिंग भूखंड का आवंटन किया था। जिसका नंबर जीएच-01एन है। इस भूखंड के समीप पतवाड़ी गांव के 29 किसानों को आबादी भूखंड का आवंटन किया गया। इटैड़ा की तरह पतवाड़ी के किसानों को भी एकसाथ 4,920 वर्ग मीटर जमीन की रजिस्ट्री की गई। यह रजिस्ट्री भी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की ओर से तत्कालीन 6% आबादी भूखंड विभाग के प्रबंधक चंद्रकांत त्रिपाठी ने 9 सितंबर 2011 को की।
दो दिन बाद इन सारे किसानों सरिता रानी पत्नी आजाद सिंह, नवीन चौधरी पुत्र आजाद सिंह, दीपक चौधरी पुत्र आजाद सिंह, हरि सिंह पुत्र सूरज सिंह, राम सिंह पुत्र हीरा सिंह, सोमदत्त पुत्र रामप्रसाद, रामप्रसाद पुत्र जय किशन, सतवीर पुत्र विजयपाल, लिखी पुत्र सिपहिया सिंह, राजपाल पुत्र रामकरण, ज्ञानचंद पुत्र बाबूराम शर्मा, हेमचंद पुत्र लख्मीचंद, उमेश कुमार पुत्र किशन दत्त, योगेंद्र कुमार पुत्र किशन दत्त, दीप चंद्र पुत्र सरनी, दिनेश पुत्र सरनी, मंगत पुत्र दुर्गा, सतपाल पुत्र महेंद्र, देवेंद्र पुत्र महेंद्र, कृपाल पुत्र महेंद्र, यशपाल पुत्र हरी सिंह, धनवती पत्नी चंद्रभान, कालू पुत्र रामचरण, राजपाल पुत्र केसराम, रविदास पुत्र तिरखा, देशराज पुत्र तिरखा, मुकेश पुत्र हेता, छतरपाल, हरपाल, रामपाल पुत्रगण रामवीर, सत्यवती पत्नी रामवीर और मदन पाल पुत्र हरबल ने अपने भूखंड की रजिस्ट्री बिल्डर के नाम कर दी।
क्या किसानों को हाउसिंग सोसायटी बनाने देगा प्राधिकरण
सैनी गांव के फौजी राम सिंह नागर कहते हैं, "यह हाउसिंग सोसायटी हमारे गांव के पास 130 मीटर एक्सप्रेस-वे पर गोल चक्कर के किनारे पर है। यह प्लॉट टू साइड ओपन है। यह ग्रेटर नोएडा वेस्ट की प्राइम लोकेशन है। सवाल यह उठता है कि प्राधिकरण की पॉलिसी के मुताबिक किसानों के आबादी भूखंडों पर अधिकतम 11 मीटर ऊंचे भवनों का निर्माण किया जा सकता है। इन भूखंडों को बिल्डरों ने अपने भूखंडों में मर्ज करके 76 मीटर ऊंची हाउसिंग सोसाइटी बनाई हैं। प्राधिकरण ने ही आबादी भूखंडों को ग्रुप हाउसिंग भूखंडों में मर्ज किया। नक्शे पास किए और एफएआर तक बढ़ाने की अनुमतियां दी हैं। हम अथॉरिटी से पूछना चाहते हैं, क्या हम 15-20 किसान मिलकर अपनी आबादी की जमीन पर हाऊसिंग सोसायटी डेवलप कर लें। प्राधिकरण हमारे नक्शे पास करेगा? किसानों को तो इन भूखंडों पर दूकान तक खोलने नहीं दी जा रही हैं।"
किसानों को विवादित जमीन पर देते हैं भूखंड
सैनी गांव के पूर्व प्रधान धीरेंद्र सिंह नागर ने कहा, "हमारे गांव में भूमि अधिग्रहण वर्ष 2006 में किया गया था। अब तक मूल किसानों को भी भूखंड आवंटन नहीं किया गया है। जिन किसानों को आबादी भूखंड दिए गए हैं, उन्हें विवादित और अतिक्रमित जमीन पर दिए हैं। अब तक किसानों को कब्जा नहीं मिल पाया है। किसान कब्जा लेने के लिए प्राधिकरण के धक्के खा रहे हैं। पहले उन्हें प्लॉट लेने के लिए धक्के खाने पड़े थे, अब जमीन पर कब्जा हासिल करने के लिए धक्के खाने पड़ रहे हैं। कुल मिलाकर प्राधिकरण के अफसर उन्हीं किसानों को भूखंड देते हैं, जो दलालों को बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं। जो किसान प्लॉट बेचने के लिए तैयार नहीं होता, उसे केवल धक्के खाने पड़ते हैं।"