किसान घूम रहे बेहाल लेकिन कंपनियां हो गईं मालामाल

किसान आबादी भूखंड घोटाला : किसान घूम रहे बेहाल लेकिन कंपनियां हो गईं मालामाल

किसान घूम रहे बेहाल लेकिन कंपनियां हो गईं मालामाल

Tricity Today | किसान आबादी भूखंड घोटाला

Greater Noida Farmer's Plot Scame : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में भूमि अधिग्रहण के सापेक्ष किसानों को दिए जाने वाले आवासीय भूखंडों के आवंटन में खुलेआम लूट हुई है। इस आवंटन में किसी कायदे या कानून का पालन नहीं किया गया है। मतलब, गैर-पुश्तैनी यानी प्राधिकरण क्षेत्र से बाहर के निवासियों को मुंह मांगी जगहों पर बेशकीमती जमीन प्लॉट्स के नाम पर आवंटित की गई है। इनमें ना केवल जिले से बाहर बल्कि उत्तर प्रदेश से बाहर के लोग भी शामिल हैं। आवासीय भूखंड के तौर पर अधिकतम 2,500 वर्ग मीटर का भूखंड देने का प्रावधान है। प्राधिकरण अफसरों ने 20-20 हजार वर्ग मीटर जमीन आवासीय भूखंडों के नाम पर दी है। आवंटन के बाद प्लॉट्स के टुकड़े करने में बड़ा घोटाला हुआ है। आज हम आपको ऐसे मामलों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिनमें किसान आबादी वाले भूखंडों का आवंटन बड़ी-बड़ी कंपनियों के नाम पर किया गया है।

मामला नंबर-1 : तुस्याना गांव में दो कंपनियों उषा सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और जीवन तारा बिल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड खसरा नंबर 206म, 104, 726, 203, 147 और 655 से 18,340 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया था। प्राधिकरण की पॉलिसी के मुताबिक किसी भी कंपनी को आवासीय भूखंड का आवंटन नहीं किया जा सकता है। इसके बावजूद इस कंपनी को तुस्याना गांव की आवंटन सूची में क्रम संख्या 21 पर 1,830 वर्ग मीटर का भूखंड आवंटित किया गया है। मतलब, साफ है कि कंपनी को सीधे 10% आबादी भूखंड का लाभ दिया गया है।

मामला नंबर-2 : तुस्याना गांव में प्रभात ज़र्दा फैक्ट्री लिमिटेड से खसरा नंबर 589, 590, 558, 559, 581, 557, 583, 565, 580, 560, 561, 559, 582, 564 और 563 से 46,580 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया। इस कंपनी को भी आबादी भूखंड के नाम पर 2,500 वर्ग मीटर आवंटन किया गया है। यह आवंटन सूची में क्रम संख्या 119 पर दर्ज है।

मामला नंबर-3 : तुस्याना गांव में रत्ना ज़र्दा सप्लाई कंपनी की खसरा संख्या 568 और 585 से 7,300 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया। इस कंपनी को भी 730 वर्ग मीटर का भूखंड आवंटित किया गया है। खास बात यह है कि इस कंपनी के निदेशक अवंतीलाल पुत्र चतुर्भुज राम प्रभात ज़र्दा फैक्ट्री लिमिटेड के भी निदेशक हैं। प्रभात ज़र्दा फैक्ट्री लिमिटेड से हुए भूमि अधिग्रहण के सापेक्ष 2,500 वर्ग मीटर की अधिकतम आवंटन सीमा पहले ही पूरी हो चुकी थी। इसके बावजूद रत्ना ज़र्दा सप्लाई कंपनी से आवंटित की गई जमीन के सापेक्ष 730 वर्ग मीटर का भूखंड और आवंटित किया गया है। सूची में क्रम संख्या 83 है। कुल मिलाकर किसान की बजाय कंपनी, गैर पुश्तैनी और अधिकतम आवंटन की सीमा से जुड़े नियमों को तोड़ा गया है।

मामला नंबर-3 : रत्ना ज़र्दा एजेंसी की तुस्याना गांव में खसरा संख्या 591 और 606 में 3,820 वर्ग मीटर जमीन का भूमि अधिग्रहण किया गया। इस कंपनी के डायरेक्टर अशोक कुमार पुत्र बाबूलाल को 380 वर्ग मीटर का आवासीय भूखंड आवंटित किया गया है। सूची में क्रम संख्या 152 है। कंपनियों को किसान आबादी भूखंड आवंटित करने का कोई प्रावधान नहीं है।

मामला नंबर-4 : सर्वो प्लास्टिक इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड से तुस्याना गांव के खसरा संख्या 770 में 12,140 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया। इसके लिए कंपनी को 10% आवासीय भूखंड आवंटित किया गया है। जिसका क्षेत्रफल 1,210 वर्ग मीटर है। यह आबादी का प्लॉट कंपनी के डायरेक्टर विपुल गोयल के नाम पर है और सूची में क्रम सख्या 285 है। विपुल गोयल का पता दिल्ली का लिखा गया है।

स्थानीय किसान अफसरों ने बर्बाद कर दिए
मूल रूप से सैनी गांव के निवासी संजीव नागर की जमीन तुस्याना गांव में अधिग्रहीत की गई थी। उन्होंने बताया, "गांव के खसरा नंबर 8 से हमारी 1,442 वर्ग मीटर जमीन का अधिग्रहण वर्ष 2006 में किया गया था। मेरे पिताजी का निधन 1990 में हो चुका है। रेवेन्यू रिकॉर्ड में जमीन मेरे और तीन भाईयों के नाम 1990 में दर्ज हो गई थी। प्राधिकरण की पॉलिसी के मुताबिक हम चारों भाईयों को 120-120 वर्ग मीटर के अलग-अलग भूखंड आवंटित किए जाने चाहिए। हम चारों की शादियां 15 से 20 साल पहले हो चुकी हैं। सारे अलग-अलग रहते हैं। प्राधिकरण ने हमें केवल 120 वर्गमीटर का एक भूखंड आवंटित कर दिया। यह हमारे साथ ज्यादती है।" संजीव आगे कहते हैं, "मैंने इस मुद्दे को लेकर प्राधिकरण के डिप्टी कलेक्टर शरदपाल से तीन बार मुलाकत की हैं। प्राधिकरण में 12 बार आवेदन किया है। डिप्टी कलेक्टर का कहना है कि पहले यह व्यवस्था थी, अब नहीं है। हम उनसे तभी का लाभ मांग रहे हैं, जब यह व्यवस्था थी। लेकिन 2009 से मेरे आवेदनों पर गौर नहीं की गई है। अथॉरिटी के दलालों में 5,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से पैसे की मांग की। उन्होंने कहा कि पैसा दीजिए आपका काम करवाकर देंगे।"

8 मीटर के अधिग्रहण पर मिला 120 मीटर का प्लॉट
तुस्याना गांव में करीब 30 मामले ऐसे हैं, जिनकी 60 से 300 वर्गमीटर जमीन अधिग्रहीत की गई। ऐसे सभी लोगों को 120 वर्ग मीटर का किसान आबादी भूखंड दिया गया है। एक मामले में केवल 8 वर्ग मीटर, एक मामले में 60 वर्ग मीटर और एक मामले में केवल 126 वर्ग मीटर अधिग्रहण किया गया था और उन्हें 120-120 वर्ग मीटर आवासीय भूखंड आवंटित किए गए हैं। संजीव कहते हैं, "जिन लोगों की सेटिंग दलालों के साथ हैं, उनके गैरकानूनी काम भी हो रहे हैं। आम किसान की सुनवाई अथॉरिटी में नहीं है।"

दलालों और अफसरों के गठजोड़ बना प्राधिकरण
सैनी गांव के पूर्व प्रधान ब्रह्मसिंह कहते हैं, "जब तक आबादी के प्लॉट किसानों के पास रहते हैं नियोजित नहीं किए जाते हैं। जैसे ही किसानों से दलालों ने एग्रीमेंट किए, उसके बाद फटाफट प्राइम लोकेशन पर भूखंड लगा दिए जाते हैं। इतना ही नहीं, मनचाही जगह पर एक गांव से उठाकर दूसरे गांव में प्लॉट्स लगाए गए हैं। सामान्य किसानों को विवादित और अतिक्रमण वाली जमीनों पर भूखंड दिए गए हैं। जिन लोगों की दलालों ने सिफारिश की उन्हें चौड़ी-चौड़ी सड़कों, कॉमर्शियल स्कीम्स के लिए आरक्षित बेशकीमती जमीन और ग्रीन बेल्ट पर भी प्लॉट लगाकर दे दिए गए हैं।"

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