मोदी सरकार के खिलाफ किसानों की शुरू हो सकती है जंग, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक पहुंचा मामला

ग्रेटर नोएडा से बड़ी खबर : मोदी सरकार के खिलाफ किसानों की शुरू हो सकती है जंग, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक पहुंचा मामला

मोदी सरकार के खिलाफ किसानों की शुरू हो सकती है जंग, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक पहुंचा मामला

Tricity Today | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम किसानों ने सौंपा ज्ञापन

Greater Noida News : किसानों ने मोदी सरकार के खिलाफ एक बार फिर आंदोलन छेड़ दिया है। यह आंदोलन केंद्र सरकार के द्वारा किसानों को परेशान करने के मामले में छेड़ा गया है। इसको लेकर गौतमबुद्ध नगर के किसानों ने भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम गौतमबुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी नितिन मदान को कलेक्ट्रेट (सूरजपुर) में ज्ञापन सौंपा। 

9 दिसंबर 2021 हुआ था समझौता
किसानों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम पत्र में लिखा, केंद्र सरकार ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव संजय अग्रवाल द्वारा 9 दिसंबर 2021 को एसकेएम के साथ एक समझौता किया था। जिसके आधार पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष को स्थगित कर दिया गया था। पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा की राज्य सरकारें किसान संघर्ष से संबंधित सभी मामलों को तुरंत वापस लेने के लिए पूरी तरह सहमत हैं। साथ ही पत्र में केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रदेशों में उसकी एजेंसियों और प्रशासन ने किसानों के संघर्ष से संबंधित सभी मामलों को वापस लेने पर सहमति व्यक्त की थी। इसके अलावा अन्य सभी राज्य सरकारों से भी किसानों के संघर्ष के खिलाफ ऐसे सभी मामलों को वापस लेने का अनुरोध करने की बात कही थी।

19 दिसंबर 2022 को आया आदेश
बीते 19 दिसंबर 2022 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने जवाब दिया था, ''गृह मंत्रालय में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार किसानों के खिलाफ 86 मामले वापस लेने का प्रस्ताव आया है। गृह मंत्रालय ने ऐसा करने की अनुमति दे दी है। इसके अलावा रेल मंत्रालय ने रेलवे सुरक्षा बलों द्वारा किसानों के खिलाफ दर्ज किए गए सभी मामलों को वापस लेने का निर्देश दिया है।"

किसान के खिलाफ पहली घटना
किसानों ने बताया कि एसकेएम के राष्ट्रीय परिषद सदस्य एवं भारतीय किसान संघ के महासचिव को 29 नवंबर 2023 को सुबह 2 बजे इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर यह दावा करते हुए कि गिरफ्तार कर लिया गया कि वह 2020-21 के दिल्ली में ऐतिहासिक किसान संघर्ष से संबंधित मामले में आरोपी हैं। इस कार्रवाई के कारण अंतर्राष्ट्रीय किसान सम्मेलन में भाग लेने के लिए कोलंबिया जाने वाली उनकी उड़ान छूट गई। हालांकि, बाद में किसान आंदोलन के कड़े विरोध के कारण दिल्ली पुलिस को उन्हें रिहा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

किसान के खिलाफ दूसरी घटना
हरियाणा के रोहतक के बीकेयू नेता वीरेंद्र सिंह हुड्डा को दिल्ली पुलिस के सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन से 22 नवंबर 2023 को एक नोटिस मिला था, जिसमें उन्हें एक मामले की एफआईआर क्रमांक 522/2020, दिनांक 26.11.2020 पर पेश होने का निर्देश दिया गया था। किसान आंदोलन के विरोध के मद्देनजर दिल्ली पुलिस को नोटिस वापस लेने की सार्वजनिक रूप से घोषणा करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

किसान के खिलाफ तीसरी घटना
7 दिसंबर 2022 को बीकेयू के प्रभारी अधिकारी अर्जुन बलियान को नई दिल्ली हवाई अड्डे पर नेपाल जाने से रोक दिया गया। पंजाब के एसकेएम नेता सतनाम सिंह बेहरू और हरिंदर सिंह लोकोवाल दिल्ली किसान संघर्ष से संबंधित मामलों में दिल्ली के तीस हजारी और पटियाला हाउस अदालतों में अदालती प्रक्रियाओं का सामना कर रहे हैं।

युद्धवीर सिंह का लुक-आउट नोटिस जारी
हाल ही में युद्धवीर सिंह की अवैध हिरासत के संदर्भ में एसकेएम को पता चला है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दिल्ली संघर्ष से संबंधित मामलों में एसकेएम नेताओं के खिलाफ लुक-आउट नोटिस जारी किया है। एसकेएम ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मांग की है कि उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि क्या गृह मंत्रालय के पास ऐसी कोई जानकारी है और यदि हां, तो लोकतंत्र में पारदर्शिता बरतते हुए सभी लुक आउट नोटिसों को सार्वजनिक करें।

"यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ आंदोलन था"
किसानों का यह संघर्ष घरेलू और विदेशी कॉर्पोरेट पूंजी के तहत कृषि के कॉर्पोरेटीकरण को लागू करने के खिलाफ किसानों, खेत मजदूरों और ग्रामीण गरीबों के हितों की रक्षा के लिए एक जन विद्रोह था। यह ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ स्वतंत्रता के संघर्ष की तरह एक देशभक्तिपूर्ण आंदोलन था और केंद्र सरकार को तीन कॉर्पोरेट समर्थक कृषि अधिनियमों को वापस लेने के लिए मजबूर करने में सफल रहा।

किसानों के खिलाफ बेबुनियाद आरोप
दो साल के ऐतिहासिक संघर्ष के बाद केंद्र सरकार ने कॉर्पोरेट ताकतों की सेवा करने के उद्देश्य से हाल ही में 'न्यूज़क्लिक पर दर्ज एफआईआर' में किसानों के संघर्ष के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाए हैं। किसानों के संघर्ष को राष्ट्र-विरोधी, विदेशी और आतंकवादी ताकतों द्वारा वित्त पोषित बताया गया है। एसकेएम ऐसे निराधार आरोपों का पुरजोर खंडन करता है और इसे भारत के संविधान द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर और मीडिया पर हमला मानता है। 

राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने का अनुरोध
किसानों का कहना है कि हम केंद्र सरकार को प्रतिशोध की किसी भी कार्रवाई से दूर रहने और एसकेएम के साथ लिखित आश्वासनों का उल्लंघन न करने का निर्देश देने के लिए भारत के राष्ट्रपति से हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं। हम आपसे केंद्र सरकार को उन नौकरशाहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश  देने का आग्रह करते हैं, जिन्होंने प्रतिशोध की भावना से काम किया है और किसान कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामलों में हेरफेर करने की साजिश रची है। किसानों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लेटर लिखते हुए आगे कहा, "हमें आशा है कि आप केंद्र सरकार को उसके आश्वासनों को उचित सम्मान और औचित्य के साथ पूरा करने के लिए पर्याप्त कदम उठाना सुनिश्चित करने का निर्देश देंगी।"

इन किसानों ने सौंपा ज्ञापन
इस मौके पर राजे प्रधान, पवन खटाना, रॉबिन नागर, बेली भाटी, सुनील प्रधान, अनित कसाना, अमित डेढा, भगत सिंह तुगलपुर, जरीफ शरीफ, इंद्रीश तुगलपुर, विनोद पंडित, श्रीचंद तवर, अजीत गैराठी, पवन नागर, अजीपाल नंबरदार, योगेश, संदीप खटाना, शमशाद सैफी, पिनटु खली, रामनिवास, अवधेश, प्रेमपाल, बोबी, महेश चपराना, अमन, संदीप चपराना, राजू चौहान, ललित चौहान, सोनू मंगरौली, भूषण छपरौली, बिननू भाटी, धर्मपाल, सवामी, लाला यादव और सुभाष सिलारपुर आदि सैकड़ों किसान मौजूद रहे।

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