Greater Noida News : वेस्टर्न डेडिकेटेड रेलवे फ्रेट कॉरिडोर परियोजना से प्रभावित बोड़ाकी गांव के किसान नए भूमि अधिग्रहण कानून का लाभ मांग रहे हैं। किसानों का आरोप है कि यह लाभ दिए बगैर उनकी आबादियां तोड़ने की कोशिश की जा रही है। इसके विरोध में 23 दिनों से धरना चल रहा है। किसानों ने अब रात-दिन का धरना शुरू कर दिया है। साथ ही प्रशासन की तोड़-फोड़ की धमकी से नाराज किसानों ने आगे की रणनीति बनाने के लिए बुधवार को पंचायत बुलाई है।
किसान नेता सुनील फौजी एडवोकेट ने बताया कि डीएफसीसी और डीएमआईसी जैसी परियोजनाओं के लिए जमीन का अधिग्रहण किया गया है। इससे प्रभावित किसानों को नए कानून का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जो कि किसानों के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। इस अन्याय को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीड़ित किसानों ने चेतावनी दी है कि यदि नए कानून के सभी लाभ दिए बगैर फिर से उनकी आबादियों को हटाने का प्रयास किया गया तो व्यापक आंदोलन किया जाएगा। दोषी अधिकारियों पर किसान कानूनी कार्यवाही करेंगे। धरना स्थल पर संजय भाटी, सपा नेता कुलदीप भाटी, विजय पाल प्रधान, जयवीर नंबरदार, राजेश भाटी, इंदर प्रधान बोड़ाकी, सुमित भाटी, साहिल भाटी, देवेंद्र भोगपुर, अजीत, बलवीर, तेजपाल और बिजेंद्र भाटी आदि मौजूद रहे।
ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डीएफसीसी) के निर्माण में मात्र 1150 वर्गमीटर जमीन गले की फांस बनी है। इस कारण काम समय पर पूरा नहीं हो सका। इस जमीन पर हाईकोर्ट का यथास्थिति का आदेश है। इससे प्रोजेक्ट को पूरा करने के निर्धारित समय बदलना पड़ा है। पहले मार्च, फिर जून और अब दिसंबर तक का लक्ष्य तय किया गया है। हालांकि, प्रोजेक्ट का निर्माण तब भी हाईकोर्ट के फैसले पर ही निर्भर होगा।
जिले में डीएफसीसी के ईस्टर्न और वेस्टर्न कॉरिडोर का निर्माण चल रहा है। केंद्र सरकार जल्द परियोजनाओं को पूरा कराने का प्रयास कर रही है। जिले में वेस्टर्न कॉरिडोर का निर्माण दिसंबर, 2021 तक और ईस्टर्न कॉरिडोर का निर्माण मार्च, 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है, लेकिन ईस्टर्न कॉरिडोर पूरा नहीं हो सका है। इसकी मुख्य वजह कुछ गांवों में जमीन पर कब्जा नहीं मिलना है।
बोड़ाकी में 550 वर्गमीटर, हजरतपुर और रिठौरी में 300-300 वर्गमीटर भूमि पर कब्जा नहीं मिला है। इस जमीन का मामला हाईकोर्ट में है। हाईकोर्ट ने यथास्थिति का आदेश दिया हुआ है। इस कारण कॉरिडोर का 250 मीटर का हिस्सा अभी अधूरा है। कोरोना और जमीन नहीं मिलने से प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य जून, 2021 कर दिया गया, लेकिन अब भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं है। डीएफसीसी के अफसरों का कहना है कि अब दिसंबर तक काम पूरा करने का लक्ष्य तय किया है। वह भी जमीन मिलने पर निर्भर होगा।