सरकार से बड़ी जीएम, दो बार जारी हुए ट्रांसफर और रिलीव ऑर्डर, कोई फर्क नहीं पड़ता

ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी : सरकार से बड़ी जीएम, दो बार जारी हुए ट्रांसफर और रिलीव ऑर्डर, कोई फर्क नहीं पड़ता

सरकार से बड़ी जीएम, दो बार जारी हुए ट्रांसफर और रिलीव ऑर्डर, कोई फर्क नहीं पड़ता

Tricity Today | मीना भार्गव

Greater Noida News : भारतीय जनता पार्टी के नेता दावा करते हैं कि पिछली सरकारों में विकास प्राधिकरणों का बुरा हाल था। प्राधिकरणों में तैनात अफसर मनमानी करते थे। आज हम आपको मौजूदा सरकार के दौरान प्राधिकरण अफसरों की मनमानी के बारे में बताते हैं। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी (Greater Noida Authority) की महाप्रबंधक (नियोजन) मीना भार्गव का तबादला उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण कानपुर में पिछले छह महीनों में दो बार किया गया है। अब तक मीना भार्गव ने यूपीएसआईडीए में ज्वाइन नहीं किया है। उन्हें ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है। सरकार की ओर से कई चिट्ठियां जारी की गईं। अब 9 नवंबर को सरकार ने ही मीना भार्गव को कार्यमुक्ति करते हुए 3 दिनों में नए तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने को कहा था। इस आदेश को भी 8 दिन बीत चुके हैं।

क्या है पूरा मामला
उत्तर प्रदेश सरकार के औद्योगिक विकास विभाग ने पहले 15 जुलाई 2021 और फिर 22 अक्टूबर 2021 को दो तबादला आदेश जारी किए। जिनमें औद्योगिक विकास विभाग के संयुक्त सचिव अनिल कुमार ने तत्काल नए तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने का आदेश मीना भार्गव को दिया। अभी तक मीना भार्गव को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से कार्यमुक्त नहीं किया गया है। अब 9 नवंबर को शासन ने ही महाप्रबन्धक को कार्यमुक्त कर दिया और 3 दिनों में यूपीएसआईडीए ज्वाइन करने का आदेश भेजा। चेतावनी भी दी कि अगर आदेश पर अमल नहीं किया गया तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आज 8 दिन बीतने के बावजूद मीना भार्गव ग्रेटर नोएडा में जमी हैं।

सीईओ ने कहा- जीएम के बदले जीएम चाहिए
इस मामले में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण से बात हुई। उन्होंने कहा, "हमारे पास नियोजन विभाग में अभी केवल दो अधिकारी हैं। एक महाप्रबन्धक मीना भार्गव हैं और दूसरे सीनियर मैनेजर हैं। पहले यहां एक महाप्रबंधक, दो उप महाप्रबंधक और चार सीनियर मैनेजर तैनात थे। मैंने शासन को चिट्ठी लिखी है। हमें जीएम के बदले में जीएम की तैनाती चाहिए। जब कोई जीएम यहां आएगा तो मीना भार्गव को कार्यमुक्त कर देंगे।" सीईओ ने सरकार के तबादला आदेश पर सवाल उठाते हुए आगे कहा, "मीना भार्गव यहां 9-10 महीने पहले तैनात हुई थीं। ट्रांसफर पॉलिसी में तीन साल का वक्त है। इतनी जल्दी उनका तबादला करने का क्या औचित्य है? अगर वह कोई गलत काम कर रहीं होती तो एकबारगी ऐसे ट्रांसफर किया जा सकता था।"

डीजीएम निमिषा शर्मा ग्रेटर नोएडा नहीं आ रहीं
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण कानपुर की उप महाप्रबन्धक निमिषा शर्मा को मीना भार्गव की जगह ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में ज्वाइन करना है। वह भी मीना भार्गव की तरह ग्रेटर नोएडा नहीं आ रही हैं। मिली जानकारी के मुताबिक उन्हें उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण से कार्यमुक्ति नहीं मिल रही है।

व्यवस्था पर उठे दो सवालों का जवाब कौन देगा
इस पूरी प्रक्रिया पर दो सवाल खड़े होते हैं। पहला, जीएम मीना भार्गव का तबादला महज 9-10 महीने में क्यों हुआ? जब उन्हें यमुना अथॉरिटी से इतने कम वक्त पहले ग्रेटर नोएडा भेजा गया तो ऐसी कौन सी प्रशासनिक समस्या थी कि उन्हें फिर यूपीएसआईडीए भेजा गया। दूसरा सवाल यह कि अगर शासन ने प्रशासनिक आधार पर यह तबादला किया है तो उस पर अमल क्यों नहीं हो रहा है? यह सरकार ही नहीं सामान्य नियोक्ता का अधिकार है कि वह अपने एम्प्लोयी से अपने सिस्टम के तहत काम ले। तबादला नीति में यह कहीं नहीं लिखा है कि प्राधिकरणों में किसी कर्मचारी का तबादला तीन से कम वक्त में नहीं किया जा सकता है। यह मामला केवल मीना भार्गव और निमिषा शर्मा से जुड़ा नहीं है। प्राधिकरणों में ऐसे अफसरों और कर्मचारियों की एक लम्बी फेहरिस्त है। इस पूरे मामले पर महाप्रबंधक मीना भार्गव से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उन्होंने फोन पिक नहीं किया।

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