होंडा के कर्मचारियों ने कम्पनी के खिलाफ मार्च किया, डीएम को ज्ञापन सौंपकर बताया- हम बर्बाद हो गए

Greater Noida : होंडा के कर्मचारियों ने कम्पनी के खिलाफ मार्च किया, डीएम को ज्ञापन सौंपकर बताया- हम बर्बाद हो गए

होंडा के कर्मचारियों ने कम्पनी के खिलाफ मार्च किया, डीएम को ज्ञापन सौंपकर बताया- हम बर्बाद हो गए

Tricity Today | होंडा के कर्मचारियों ने कम्पनी के खिलाफ मार्च किया

ग्रेटर नोएडा में होंडा कार्स इंडिया ने अपना संयंत्र बंद कर दिया है। इस संयंत्र में काम करने वाले कर्मचारियों ने सोमवार की सुबह कंपनी से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च किया। कर्मचारियों का आरोप है कि उनके हितों और अधिकारों को दरकिनार कर दिया गया है। सैकड़ों परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं। कंपनी के अधिकारी तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं। कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच हुई बातचीत पर ध्यान नहीं दिया गया है। जिन मुद्दों पर सहमति बनी थी, उन्हें पूरा नहीं किया गया है। कर्मचारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन डीएम को सौंपा है। दूसरी ओर कंपनी की ओर से भी पक्ष रखा गया है।

कंपनी मैनेजमेंट ने झूठ बोलकर कर्मचारियों को वीआरएस दिया
कर्मचारियों ने कहा, "होंडा कार्स इंडिया के मैनेजमेंट और हमारे बीच जेवर से विधायक ठाकुर धीरेंद्र सिंह की अध्यक्षता में 14 अक्टूबर 2020 को वार्ता हुई थी। वार्ता के दौरान कंपनी प्रबंधन ने तानाशाही वाला रवैया अपनाया। हमारी जायज मांगों को भी दरकिनार कर दिया। ग्रेटर नोएडा का प्लांट बंद कर दिया गया है। जिसके चलते हमारे सामने जीवन यापन करने का संकट गहरा गया है। कर्मचारियों ने बताया, "हमें प्रथम चरण में वीआरएस दिया गया था। जिसमें 270 कर्मचारियों ने वीआरएस लिया था। इनके साथ दोहरा रवैया अपनाया गया है। इन कर्मचारियों को पिछले साल फरवरी महीने में कहा गया था कि अब वीआरएस लेने वालों को अधिक से अधिक धनराशि 50 लाख रुपये दी जाएगी। यह राशि भविष्य में भी इतनी ही रहेगी। पहले वीआरएस लेने वाले सदैव खुद को लाभान्वित महसूस करेंगे। दरअसल, कंपनी की पेइंग कैपेसिटी अच्छी नहीं है। जिस प्रकार कंपनी का मार्केट और उत्पादन गिर रहा है, उसे देखते हुए भविष्य में यह अमाउंट कम होने की संभावना है। किसी भी सूरत में वीआरएस लेने वालों को 50 लाख रुपए से अधिक का भुगतान करना संभव नहीं होगा, लेकिन दूसरे दौर में वीआरएस लेने वालों के लिए यह धनराशि बढ़ाकर 67 लाख रुपये कर दी गई। इससे पहले चरण में वीआरएस लेने वाले लोगों को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है।"

कंपनी पर साजिश रचने और जबरदस्ती करने के गंभीर आरोप
कर्मचारियों ने आगे कहा, "कंपनी ने मार्च 2020 में उत्पादन बंद कर दिया था। कर्मचारियों का कंपनी में आवागमन बंद हो गया था। इसी बीच कोरोनावायरस के कारण हमारी फैल गई। कंपनी ने संक्रमण काल के दौरान हुए लॉकडाउन का वेतन भुगतान भी नहीं किया है। जिसकी वजह से पहले चरण में वीआरएस लेने वाले प्रत्येक कर्मचारी को लगभग 23 लाख रुपए की हानि हुई है।" कर्मचारियों ने आगे कहा, "कंपनी प्रबंधन ने उनके साथ साजिश रची है। कंपनी को नुकसान में दिखाने का माहौल तैयार किया गया। कर्मचारियों को वीआरएस लेने के लिए प्रेरित करने वालों ने तरह-तरह के हथकंडे अपनाए। एक-एक कर्मचारी को एकांत में कमरे में बुलाया गया। बाउंसरों की मौजूदगी में वीआरएस लेने के लिए दबाव बनाया गया। फार्म भरवाए गए और 50 लाख रुपए लेने के लिए सहमति पर हस्ताक्षर करवाए गए थे। कंपनी मैनेजमेंट ने शहर में बंद हुई मोजर बायर, देबू और दूसरी कोरियन कंपनियों का हवाला देते हुए कहा कि अभी वीआरएस लेंगे तो अच्छा पैसा मिलेगा। बाद में यह पैसा भी नहीं मिल पाएगा। अगर बात नहीं मानेंगे तो कंपनी अनुशासनहीनता और दूसरे आरोप लगाकर बर्खास्त कर देगी। इसके बाद एक भी रुपया नहीं मिलेगा। कंपनी के भीतर सिक्योरिटी घुसने भी नहीं देगी। मैनेजमेंट ने अंगूठे और हस्ताक्षर लगवाकर जबरन सहमति ली थी।

कंपनी प्रबंधन और कर्मचारी यूनियन पर मिलीभगत का आरोप
कर्मचारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन में आरोप लगाया है कि कंपनी मैनेजमेंट और कर्मचारी यूनियन ने मिलीभगत की है। यूनियन के नजदीकी लोगों को ज्यादा फायदे दिए गए हैं। कुछ लोगों को तो राजस्थान के प्लांट में नौकरी भी दे दी गई हैं। जबकि कंपनी प्रबंधन का वीआरएस देते वक्त कहना था कि प्लांट बंद कर रहे हैं और किसी भी श्रमिक को दूसरे प्लांट में ट्रांसफर नहीं किया जाएगा। कंपनी मैनेजमेंट और यूनियन मिलकर लगातार धोखा देते रहे हैं। कर्मचारियों ने कंपनी की तानाशाही रोकने और श्रमिकों के लिए न्याय की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें राजस्थान के प्लांट में सेवानिवृत्ति की उम्र तक स्थाई नौकरी दिलाई जाए। कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी बात नहीं मानी गई तो धरना-प्रदर्शन शुरू किया जाएगा। सोमवार को मार्च करने वाले कर्मचारियों में जनार्दन भाटी, भूपेंद्र सिंह, राम प्रताप, पन्नालाल, जितेंद्र सिंह, हरजीत सिंह, राजीव शर्मा, शकील अहमद, नरसिंह थापा, सुशील कुमार, जगबीर सिंह, अतर सिंह, मनीष नागर, गजेंद्र, दिनेश कुमार मुख्य रूप से शामिल हुए।

कम्पनी ने कहा- हमारी छवि खराब करने का प्रयास किया जा रहा है
कंपनी प्रबंधन का कहना है, जो आरोप लगाए जा रहे हैं, वे पूर्णतः असत्य, आधारहीन और तथ्यों से परे हैं। आरोप संस्थान की छवि को खराब करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं। हम इनका खंडन करते हैं। इस वक्तव्य के माध्यम से हम आपको यह अवगत करना चाहते हैं कि हौंडा कार्स ने किसी भी कर्मचारी को निष्काषित नहीं किया है। हम आपको विश्वास दिलाते हैं की हौंडा कार्स ब्रांड विश्वास पर आधारित है। कंपनी ने वीआरएस प्रोग्राम को निष्पादित करते हुए नैतिकता,  कॉर्पोरेट ग्रीवेंस एवं कानूनी अनुपालन का पूरा ध्यान रखा है। हमारा हमेशा से लक्ष्य सभी साथी कर्मचारियों के स्वास्थ्य कल्याण और भलाई पर केंद्रित रहा है। हम पूरे विश्वास के साथ ये कह सकते हैं कि हमारी वीआरएस स्कीम पूरी इंडस्ट्री में सर्वोत्तम थी। ऐसे में असंतोष का कोई कारण नहीं होना चाहिए। वीआरएस प्राप्तकर्ता पूर्व श्रमिकों ने जिला प्रशासन के समक्ष अपनी शिकायत रखी है और हम प्रशासन के साथ इस मामले में पूर्ण सहयोग कर रहे हैं।

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