आईसीएमआर ने जिम्स को 5 महत्वपूर्ण विषयों पर शोध की मंजूरी दी, 7 पर स्वीकृति का इंतजार

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आईसीएमआर ने जिम्स को 5 महत्वपूर्ण विषयों पर शोध की मंजूरी दी, 7 पर स्वीकृति का इंतजार

Tricity Today | जिम्स को 5 महत्वपूर्ण विषयों पर शोध की मंजूरी

  • जिम्स को आईसीएमआर (ICMR) से पांच अहम विषयों पर रिसर्च की मंजूरी मिल गई है
  • इससे कोरोना टीकाकरण और उसके बाद होने वाले प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी
  • डॉ भारती भंडारी राठौर कोरोना महामारी के दौरान पुरुष और महिला स्वास्थ्य कर्मियों के बीच मनोवैज्ञानिक तनाव में अंतर पर शोध करेंगी
Greater Noida News: ग्रेटर नोएडा में स्थित राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (GIMS) को आईसीएमआर (ICMR) से पांच अहम विषयों पर रिसर्च की मंजूरी मिल गई है। अब जिम्स में इन विषयों पर शोध किया जाएगा। इससे कोरोना टीकाकरण और उसके बाद होने वाले प्रभावों को समझने में मदद मिलेगी। पिछले दिनों ही जिम्स प्रशासन ने 12 विषयों पर शोध के लिए आईसीएमआर को अनुरोध किया था। उस पर जवाब देते हुए आईसीएमआर ने संस्थान के 4 डॉक्टरों की अगुवाई में रिसर्च को मंजूरी दे दी है। डॉ विवेक गुप्ता, जिम्स के निदेशक डॉ राकेश गुप्ता, डॉ भारती भंडारी और डॉक्टर रंभा पाठक की अगुवाई में पांच अहम विषयों पर शोध किया जाएगा। 
  1. पैथोलॉजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ विवेक गुप्ता को मृत रोगियों में SARS-CoV-2 वेरिएंट की पहचान, जीनोम सिक्वेंसिंग और हॉस्पिटल में अध्ययन की जिम्मेदारी दी गई है। साथ ही उन्हें कोरोना वायरस की वजह से फेफड़ों के कैंसर और ट्यूमर पर शोध के लिए स्वीकृति दी गई है। 
  2. जिम्स के निदेशक डॉ राकेश गुप्ता को बच्चों में कोरोना वायरस के नैदानिक स्पेक्ट्रम, पैथोफिज़ियोलॉजी और इम्यूनोलॉजिकल रिसर्च की जिम्मेदारी मिली है। इसमें बच्चों में मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम शामिल है।
  3. संस्थान की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ भारती भंडारी राठौर कोरोना महामारी के दौरान पुरुष और महिला स्वास्थ्य कर्मियों के बीच मनोवैज्ञानिक तनाव में अंतर पर शोध करेंगी।
  4. प्रोफेसर रंभा पाठक नैदानिक स्पेक्ट्रम, और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कोरोना महामारी के बाद के सिंड्रोम के जोखिम पर रिसर्च करेंगी। 
इन शोध में होने वाले खर्चे का वहन आईसीएमआर करेगा। आईसीएमआर की हरी झंडी के बाद अब जिम्स में शोध कार्य शुरू हो जाएंगे। संस्थान को अन्य 7 विषयों पर भी आईसीएमआर के जवाब का इंतजार है। कोरोना वायरस को लेकर देशभर में शोध कार्य चल रहे हैं। इसके नए-नए वेरिएंट के प्रभाव समेत तमाम बिंदुओं पर शोध कार्य किया जा रहा है। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में भी निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. राकेश गुप्ता की अगुवाई में शोध कार्य चल रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान बेहतर इलाज की बदौलत जनपद में मौत की दर सबसे कम रही। दूसरी वेव के बाद इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने मेडिकल संस्थानों से शोध के विषयों को लेकर प्रस्ताव मांगे थे। 30 जून तक संस्थानों को अपने प्रस्ताव देने थे। 


ग्रेटर नोएडा के राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) ने भी 12 प्रस्ताव भेजे थे। इन 12 में से 5 पर शोध की मंजूरी जिम्स को मिल गई है। इन शोध कार्यों के लिए आईसीएमआर फंड मुहैया कराएगा। 

जिम्स प्रबंधन ने अपने इन शोध विषयों के प्रस्ताव एमसीआर को भेजे थे – 
  1. कोरोना की दूसरी लहर के प्रभाव के साथ-साथ जिन लोगों को वैक्सीन की दो डोज दी गई है, उन पर क्या प्रभाव रहा है।
  2. कोविड मरीजों में होने वाले ब्लैक फंगस को लेकर भी शोध कार्य करने की मंजूरी मांगी गई है।
  3. इसमें देखा जाएगा कि कोविड के बाद ब्लैक फंगस क्यों हो रहा है। दोनों में क्या संबंध हैं। 
  4. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कोविड वैक्सीन देने का क्या प्रभाव पड़ता है। इसका भी अध्ययन किया जाएगा।
  5. जो महिलाएं मीनोपॉज तक पहुंच गई है, उनमें वैक्सीन लगाने का क्या प्रभाव है। शोध का यह भी प्रस्ताव भेजा गया है। 
  6. यह भी शोध किया जाएगा कि एक व्यक्ति को अलग-अलग कोविड वैक्सीन दी जा सकती है।
  7. जैसे पहली डोज कोविशिल्ड की दी गई तो क्या दूसरी डोज कोवैक्सीन की दी जा सकती है। 
  8. अगर किसी को दोनों डोज कोवैक्सीन की दी गई हो तो क्या तीसरी डोज कोविशिल्ड दी जा सकती है।
  9. थर्ड वेव में बच्चों में किस तरह के लक्षण आ सकते हैं।
  10. बच्चों और सामान्य मरीजों में कोविड लक्षणों में क्या अंतर है। 
  11. जिम्स यह भी शोध करेगा कि वैक्सीन लगवाने से लोग क्यों हिचक रहे हैं।
  12. इसके उपाय भी सुझाएगा ताकि लोग अधिक से अधिक संख्या में वैक्सिंन लगवा सकें।

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