पुरुषोत्तम एस्टेट और विला के नाम पर बेचे जा रहे अवैध घर, माफिया का शाहबेरी पैटर्न

ग्रेटर नोएडा में नेशनल हाईवे पर खुलेआम लूट : पुरुषोत्तम एस्टेट और विला के नाम पर बेचे जा रहे अवैध घर, माफिया का शाहबेरी पैटर्न

पुरुषोत्तम एस्टेट और विला के नाम पर बेचे जा रहे अवैध घर, माफिया का शाहबेरी पैटर्न

Tricity Today | पुरुषोत्तम एस्टेट का बोर्ड

Greater Noida : ग्रेटर नोएडा में नेशनल हाईवे पर चौड़े में खुली लूट चल रही है। भूमाफिया धूममानिकपुर गांव के पास अवैध कॉलोनी बसा रहे हैं। इस कॉलोनी का नाम पुरुषोत्तम एस्टेट और विला है। यह पूरी तरह शाहबेरी पैटर्न है। धड़ाधड़ प्लॉट काटकर बेचे जा रहे हैं। हाईराइज सोसायटी भी बनाई जा रही है लेकिन ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अफसर आंखें और कान बंद करके बैठे हैं। यह माफिया का शाहबेरी पैटर्न है। "ट्राईसिटी टुडे" की टीम मौके पर गई और खरीदार बनकर पूरी जानकारी हासिल की।

क्या है पूरा मामला
नेशनल हाईवे-91 पर धूम मानिकपुर गांव ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का अधिसूचित इलाका है। मतलब, यहां विकास प्राधिकरण की इजाजत के बिना किसी तरह का निर्माण करना अवैधानिक है। गांव के पास हौजखास दिल्ली के पते पर रजिस्टर्ड कम्पनी पुरुषोत्तम दास इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने जमीन ख़रीदी थी। कम्पनी के नाम और अस्स्पाल की करीब 62 बीघा जमीन पर कॉलोनाइजेशन किया जा रहा है। पूरी जमीन की चारदीवारी करके प्लॉटिंग कर दी गई है। यहां छोटे-छोटे भूखंड बेचे जा रहे हैं। जमीन पर बड़ी संख्या में निर्माण कर दिया गया है। इसी परिसर में करीब 2,000 वर्गमीटर भूखंड पर हाईराइज बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। यह सारी गतिविधियां उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम के तहत अवैधानिक हैं।

सरकारी जमीन पर कब्जा, तहसीलदार ने कार्रवाई की
इस कॉलोनी के बीच पड़ने वाली सरकारी जमीन पर कब्जा किया गया है। धूममानिकपुर गांव के निवासियों का कहना है कि चकरोड़, गौचर और ग्रामसभा की करीब 14 बीघा जमीन पर कब्जा है। गांव वाले लम्बे अरसे से प्राधिकरण, जिला प्रशासन और दादरी तहसील में शिकायत कर रहे हैं। कई साल तक भागदौड़ करने के बाद 31 मार्च 2022 को दादरी के तहसीलदार ने मुकदमे में फैसला सुनाया है। तहसीलदार ने जमीन से तत्काल कब्जा हटाने का आदेश दिया। जिस पर कम्पनी और भूमाफिया ने कोई सुनवाई नहीं की। अब पिछले सप्ताह दादरी तहसील के अमले ने सरकारी जमीन से कब्जा हटाने के लिए खुद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की है।

तहसील ने लगाया 19.40 लाख जुर्माना, प्राधिकरण मौन
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वाली पुरुषोत्तम दास इंडस्ट्रीज लिमिटेड पर दादरी के तहसीलदार ने जुर्माना भी लगाया है। अभी कम्पनी ने जुर्माना नहीं भरा है। इस पूरी जमीन पर बदस्तूर बड़ा आवासीय परिसर बसाया जा रहा है। डेरी मच्छा गांव के निवासी संजीव कुमार ने कहा, "कम्पनी ने हमारे गांव की एलएमसी की जमीन और रास्तों पर कब्जा कर रखा है। यहां ग्राम पंचायत समाप्त नहीं हुई है। यह पूरा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण का क्षेत्र है। प्राधिकरण अफसरों की मिलीभगत से नया शाहबेरी बसाया जा रहा है। इस बिल्डर के खिलाफ बहुत सारे केस चल रहे हैं। एक बार प्राधिकरण वाले पीएसी लेकर आए थे। इसकी पूरी बाउंड्री गिरा दी थी। फिर दोबारा अवैध कॉलोनी बसाने का काम चल रहा है।"

ग्रामीणों का आरोप- कम्पनी से मिले हैं प्राधिकरण वाले
इस अवैध कॉलोनी के आसपास डेरी मच्छा गांव के ग्रामीण रहते हैं। रमेश नागर का कहना है, "इस अवैध कॉलोनी में रास्तों, चकरोड़, गोचर और एलएमसी खातों की तमाम जमीन पर कब्जा किया गया है। केवल चकरोड़ की 8 बीघा से ज्यादा जमीन पर कब्जा हो चुका है। दादरी के तहसीलदार कार्यवाही करने आए थे। सही मायने में यह कार्यवाही करने की जिम्मेदारी ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की है। हमें जानकारी मिली है कि प्राधिकरण के कुछ अफसर इस अवैध कॉलोनी में पार्टनर हैं। जिसकी वजह से यहां खुलेआम लूट चल रही है।"

रमेश नागर ने आगे कहा, "यहां काम कर रहे लोगों के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं। ये आम आदमी को झांसे में लेकर लाखों रुपए ले लेते हैं। जब कोई अपना पैसा वापस मांगता है तो उसके साथ मारपीट और गुंडागर्दी करते हैं। आवासीय परिसर में कई आपराधिक किस्म के लोग रहते हैं। जिनसे आसपास के पूरे इलाके में आतंक का माहौल है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इसी वजह से अवैध कॉलोनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।"

खरीदारों को दे रहे झांसा- तहसील से आबादी दर्ज है
इस कॉलोनी "ट्राईसिटी टुडे" की टीम मौके पर गई और खरीदार बनकर पूरी जानकारी हासिल की। कार्यालय में भूपेंद्र चौहान नाम का व्यक्ति मिला। उसने खुद को एस्टेट मैनेजर बताया। बोला, "हमने यह पूरी जमीन खरीदी है। इस पर पहले इंडस्ट्री दर्ज करवाई थी। अब आबादी दर्ज करवाई है। हमें यहां कॉलोनी बसाने का पूरा अधिकार है।" जब भूपेंद्र से ऐसे दस्तावेज मांगे गए तो उसने कहा, "जब आप प्लॉट या फ्लैट खरीदेंगे तो पूरी जानकारी और दस्तावेज देंगे। आप बुकिंग एमाउंट जमा करवा दीजिए। हमारे पास केवल कॉलोनी का नक्शा है।" 

28 हजार से 44 हजार रुपये वर्ग गज हैं दरें
पुरुषोत्तम एस्टेट के नाम से प्लॉट, फ्लैट और विला बनाकर बेचे जा रहे हैं।  मौके पर मिले भूपेंद्र चौहान ने बताया, "हमारे प्लॉट की कीमत 28,000 रुपये से 40,000 रुपये वर्गगज है। कॉलोनी के भीतरी हिस्से में प्लॉट 28,000 रुपये वर्गगज मिलेगा। सड़क की तरफ 44,000 रुपये वर्गगज दरें निर्धारित की गई हैं। विला भी उपलब्ध हैं।" भूपेंद्र ने आगे कहा, "हम लोग अब मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनाकर फ्लैट भी बेच रहे हैं। आप लोग फ्लैट बुक कर सकते हैं। करीब 2,000 वर्ग मीटर जमीन पर मल्टीस्टोरी टावर बनाए जा रहे हैं। कुल मिलाकर इस अवैध प्रोजेक्ट में हर किसी को लूटने का पूरा इंतजाम किया गया है। जिसे प्लॉट पसंद है, वह महंगी कीमत पर खरीद सकता है।  फ्लैट और विला में रहने वाले मध्मवर्गीय परिवार यह प्रॉपर्टी खरीदकर फंस सकते हैं। लोगों को भरोसा दिलाने के लिए यह पूरा धंधा शान और शौकत से किया जा रहा है।

"हमें रेरा रजिस्ट्रेशन और नक्शा पास करवाने की जरूरत नहीं"
जब भूपेंद्र चौहान से पूछा गया कि इस प्रोजेक्ट का रेरा नंबर क्या है? उसने कहा, "हमें यूपी रेरा में पंजीकरण करवाने और प्रोजेक्ट के लिए रेरा नंबर लेने की कोई जरूरत नहीं है।" जब सवाल किया गया कि इस पूरी कॉलोनी और स्ट्रक्चर का नक्शा कहां से पास करवाया है? भूपेंद्र चौहान ने फिर वही जवाब दोहराया, "हमें ना तो किसी अथॉरिटी से नक्शा पास करवाने की आवश्यकता है और ना ही स्ट्रक्चर ऑडिट करवाने की जरूरत है। हमारी जमीन पूरी तरह फ्रीहोल्ड है। इस पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण और गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन का कोई अधिकार नहीं है।" तहसील से मिली जानकारी के मुताबिक यहां करीब 10 बीघा जमीन को एसडीएम दादरी ने कुछ वर्ष पहले गैर कृषि उपयोग के लिए घोषित किया था। इसी की आड़ में यह पूरा धंधा चलाया जा रहा है। धीरे-धीरे करके कंपनी और उसके गुर्गों ने 62 बीघे जमीन पर लंबा-चौड़ा आवासीय परिसर विकसित कर दिया है।

विकास प्राधिकरण से जवाब आने का इन्तजार
इस पूरे प्रकरण को लेकर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण से बात करने का प्रयास किया गया। उन्हें जानकारी दी गई है। अभी उनके जवाब का इन्तजार किया जा रहा है। दूसरी तरफ दादरी तहसील से बताया गया है कि कम्पनी के खिलाफ 31 मार्च को आदेश पारित किया गया है। उन्हें कब्जा हटाने का आदेश दिया था। जब कम्पनी ने कब्जा नहीं हटाया तो तहसील प्रशासन ने कार्रवाई की है। कम्पनी पर लगाए गए जुर्माने की वसूली करने का आदेश भी राजस्व विभाग के कर्मचारियों को दे दिया है।

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