तीन गांवों में ऑडी-बीएमडब्ल्यू वालों ने लूटी अरबों की जमीन, मूल किसान चटखा रहे हैं जूतियां

किसान आबादी भूखंड घोटाला : तीन गांवों में ऑडी-बीएमडब्ल्यू वालों ने लूटी अरबों की जमीन, मूल किसान चटखा रहे हैं जूतियां

तीन गांवों में ऑडी-बीएमडब्ल्यू वालों ने लूटी अरबों की जमीन, मूल किसान चटखा रहे हैं जूतियां

Tricity Today | किसान आबादी भूखंड घोटाला

Greater Noida Authority : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में पिछले एक दशक के दौरान किसानों के नाम पर 6% और 10% आवासीय भूखंडों के आवंटन में बड़ा घोटाला हुआ है। 'ट्राईसिटी टुडे' इस मामले को लेकर पिछले 3 दिनों से विशेष समाचार श्रृंखला प्रकाशित कर रहा है। आज हम आपके सामने ऐसे मामले रख रहे हैं, जिनमें एक ही खेत के भूमि अधिग्रहण में शामिल गांव के मूल किसान को आवासीय भूखंड लेने के लिए वर्षों से धक्के खाने पड़ रहे हैं, दूसरी तरफ इन किसानों से जमीन खरीदने वाले बाहर के लोग आवासीय भूखंड हासिल कर चुके हैं। इन आवासीय भूखंडों को बेचकर मालामाल हो गए हैं। जबकि, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में पॉलिसी है कि अधिसूचित क्षेत्र से बाहर के लोगों को इन आवासीय भूखंडों का लाभ नहीं दिया जा सकता है। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के तीन गांवों में ऐसे ही 124 अपात्रों को आवासीय भूखंड आवंटित किए गए हैं। एक सामान्य अनुमान के मुताबिक प्राधिकरण को करीब 261 करोड़ रुपये की चपत लगाई गई है। पिछले 10 वर्षों के दौरान यह घोटाला हुआ है।

नीरज बनाम उत्तर प्रदेश सरकार में सीईओ ने यह कहा
नीरज पुत्र राजाराम सिंह दिल्ली में सभापुर गांव के निवासी हैं। उन्होंने सैनी गांव में 18 अक्टूबर 2002 को जमीन खरीदी थी। साल 2006 में इस जमीन का अधिग्रहण हो गया था। नीरज ने आवासीय भूखंड, बोनस और अतिरिक्त मुआवजे की मांग करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में रिट याचिका संख्या 23874/2016 दायर की थी। इस मामले में प्राधिकरण के तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी दीपक अग्रवाल ने हाईकोर्ट में काउंटर एफिडेविट देकर साफ किया था, "प्राधिकरण के नीतिगत निर्णय के अनुसार प्राधिकरण की स्थापना दिनांक 28 जनवरी 1991 को अथवा उसके पूर्व वार्षिक रजिस्टर उद्धरण खतौनी में अंकित अधिसूचित क्षेत्र के मूल निवासी एवं उनके विधिक उत्तराधिकारी अर्जित भूमि के सापेक्ष भावी आबादी विस्तार हेतु भूखंड पाने के हकदार हैं।" मतलब साफ है कि क्षेत्र से बाहर के निवासियों से अगर भूमि अधिग्रहण किया गया है तो उन्हें आवासीय भूखंड का आवंटन नहीं किया जाएगा। मूल किसानों को मिलने वाला अतिरिक्त बोनस भी नहीं दिया जाएगा।

तीन गांवों में 124 अपात्रों को भूखंड दिए गए
ग्रेटर नोएडा वेस्ट के केवल तीन गांवों सैनी, तुस्याना और बिसरख में 124 अपात्रों को आवासीय भूखंड दिए गए हैं। यह सारे आवंटी इन गांवों के ही नहीं प्राधिकरण क्षेत्र के निवासी भी नहीं हैं। सैनी गांव में 30 भूखंड बाहरी लोगों को दिए गए हैं। इनका कुल क्षेत्रफल 17,290 वर्ग मीटर है। अगर सामान्य दर 35 हजार रुपये वर्गमीटर मानी जाए तो कुल कीमत 60.51 करोड़ रुपये है। इसी तरह तुस्याना गांव में 39 भूखंड बाहरी अपात्रों को आवंटित किए गए हैं। इन्हें 23,520 वर्गमीटर जमीन दी गई है। इसकी कीमत 82.32 करोड़ रुपये होती है। बिसरख में सबसे ज्यादा अपात्रों को भूखंड आवंटन किया गया है। इस गांव में 55 भूखंड अपात्रों को आवंटित किए गए हैं। जिनके जरिए प्राधिकरण को करीब 118 करोड़ रुपये की चपत लगाई गई है।

मूल किसान की कोई सुनवाई नहीं
सैनी गांव के निवासी डॉ.जगदीश नागर की जमीन खसरा नंबर 58 में अधिग्रहीत हुई है। जगदीश नागर ने बताया कि उनके भाईयों से किरणपाल नागर और राजे नागर से नोएडा के निवासी सुनील अवाना पुत्र रामसिंह अवाना ने खसरा नंबर 58 से कुछ जमीन ख़रीदी थी। जमीन का अधिग्रहण हो गया। बाहरी होने के बावजूद सुनील अवाना को 920 वर्गमीटर का आबादी भूखंड दिया गया है। दूसरी ओर जगदीश नागर और उनके भाईयों को भूखंड आवंटन नहीं किया गया है। इसी तरह सुनील नागर नेताजी ने बताया, "मेरे चाचा से नोएडा के सुनील अवाना ने खसरा नंबर 57 में कुछ जमीन खरीदी थी। उसका ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अधिग्रहण कर लिया। जिसकी एवज में बाहरी होने के बावजूद सुनील अवाना को सीधे 10% आबादी भूखंड दे दिया गया है। हम लोगों को आज तक यह लाभ नहीं दिया है। जबकि हम खसरा नंबर में मूल किसान हैं।"

किसानों का दावा- 50% प्लॉट अपात्रों को बांटे
यह मामले तो केवल तीन गांवों के हैं। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण अब तक 52 गांवों में भूमि अधिग्रहण कर चुका है। करीब 21 हजार आवासीय भूखंडों का आवंटन किसान आबादी के मद में किया जा चुका है। आम किसानों का दावा है कि इनमें से करीब 50% भूखंड प्राधिकरण में अपात्रों को आवंटित किए हैं। इससे अथॉरिटी को अब तक हजारों करोड़ रुपये का चूना अफसरों, कर्मचारियों, नेताओं और प्रॉपर्टी डीलरों का नेक्सस लगा चुका है।

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