जिम्स में इलाज कराने गए संक्रमित का नहीं मिल रहा सुराग, अस्पताल प्रबंधन कर रहा टालमटोल, पढ़ें हैरान कर देने वाली खबर

BIG BREAKING: जिम्स में इलाज कराने गए संक्रमित का नहीं मिल रहा सुराग, अस्पताल प्रबंधन कर रहा टालमटोल, पढ़ें हैरान कर देने वाली खबर

जिम्स में इलाज कराने गए संक्रमित का नहीं मिल रहा सुराग, अस्पताल प्रबंधन कर रहा टालमटोल, पढ़ें हैरान कर देने वाली खबर

Tricity Today | महेश 10 दिनों से लापता है

  • महेश को अस्पताल में बीते 20 अप्रैल को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था
  • 10 दिन बीत जाने के बाद अब उसका कुछ पता नहीं है
  • 23 अप्रैल को हॉस्पिटल की तरफ से परिजनों को प्लाज्मा के लिए कॉल किया गया था
  • 27 अप्रैल को परिजन फिर जिम्स पहुंचे। लेकिन पूरे दिन इंतजार के बाद भी महेश से भेंट न हो पाई
  • 28 अप्रैल को अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि महेश सिंह नाम का कोई मरीज हॉस्पिटल में एडमिट नहीं हुआ था
  • 29 अप्रैल को महेश के डिस्चार्ज की आधी-अधुरी जानकारी वाली स्लिप दी गई
ग्रेटर नोएडा में स्थित गौतमबुद्ध नगर के सबसे बड़े कोविड हॉस्पिटल जिम्स की बड़ी लापरवाही सामने आई है। कोरोना से संक्रमित एक व्यक्ति को इस अस्पताल में बीते 20 अप्रैल को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था। लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद अब उस मरीज का कुछ पता नहीं है। अस्पताल प्रबंधन ने लगातार चार दिन जाने के बावजूद भी करीबियों की भेंट मरीज से नहीं होने दी। तैनात स्टॉफ टालमटोल करते रहे। फिर हॉस्पिटल ने बताया कि उस नाम से किसी मरीज के भर्ती होने का कोई रिकॉर्ड नहीं है। जबकि उसके अगले दिन परिजनों को कहा गया कि ठीक होने के बाद 23 अप्रैल को मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। हॉस्पिटल ने एक अधुरा डिस्चार्ज स्लिप परिजनों को दिया है। लेकिन उससे कोई जानकारी नहीं मिल पा रही।

हॉस्पिटल मैनेजमेंट को नहीं है पता
एक बड़ा पेंच यह है कि 23 अप्रैल को हॉस्पिटल की तरफ से परिजनों को कॉल किया गया था। कहा गया कि मरीज के लिए प्लाज्मा की जरूरत पड़ सकती है। मरीज महेश के करीबियों ने प्लाज्मा का इंतजाम करने की हामी भरी। 25 अप्रैल को महेश के करीबियों की अस्पताल में बात हुई। तब यह बताया गया कि महेश अब बिल्कुल ठीक है। ऐसे में यह समझ से परे है कि आखिर हॉस्पिटल ने 23 अप्रैल को डिस्चार्ज करने के बाद 25 अप्रैल को मरीज के ठीक होने की सूचना किस आधार पर दी। करीबी अस्पताल प्रबंधन से डिस्चार्ज के वक्त के वीडियो रिकॉर्डिंग की मांग कर रहे हैं। क्योंकि महेश अस्पताल में नहीं है। न ही घर पहुंचा है, न ही अपने किसी साथी के संपर्क में है। सगे-संबंधियों से पता कर लिया गया है। उसका कोई सुराग नहीं मिल रहा। रेस्टोरेंट के मालिक अमित भाटी भी उसकी तलाश में जुटे हैं।

20 अप्रैल को भर्ती कराया गया था
उत्तराखंड के चंपावत जिले के रहने वाले महेश सिंह (47 वर्ष) ग्रेटर नोएडा के एक प्रसिद्ध रेस्टोरेंट में पिछले 10 वर्षों से काम कर रहे हैं। रेस्टोरेंट के मालिक अमित भाटी ने बताया कि बीते 20 अप्रैल को महेश को कोरोना के लक्षण मिलने पर ग्रेटर नोएडा के जिम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालांकि उसे भर्ती कराने के लिए भी तीन दिन चक्कर काटना पड़ा था। हॉस्पिटल में उसका इलाज चल रहा था। अमित ने कहा, “बीते 23 अप्रैल को जिम्स अस्पताल से महेश के परिजनों के नंबर पर एक कॉल आई। कहा गया कि उसे प्लाज्मा की जरूरत हो सकती है। परिजनों ने उपलब्ध कराने के लिए स्वीकृति दी। लेकिन अस्पताल से फिर कोई कॉल नहीं आई।” 

चार दिन जाने के बावजूद भेंट न हो सकी
अमित भाटी ने बताया कि गत 25 अप्रैल को करीबियों ने अस्पताल में कॉल कर महेश का हाल-चाल जानने की कोशिश की। उन्हें बताया गया कि वह बिल्कुल ठीक है और अब प्लाज्मा की आवश्यकता नहीं है। कॉल पर उपस्थित स्टॉफ ने कहा कि महेश को तीसरी मंजिल पर स्थित सेंटर में भेज दिया गया है। इसके बाद 26 अप्रैल को परिजन महेश से मिलने जिम्स अस्पताल पहुंचे। लेकिन लंबे इंतजार के बावजूद मुलाकात नहीं हो पाई। वहां मौजूद स्टॉफ टालमटोल करता रहा। करीबियों से कहा गया कि अगले दिन आकर मिल सकते हैं। 27 अप्रैल को परिजन फिर जिम्स पहुंचे। लेकिन पूरे दिन इंतजार के बाद भी महेश से भेंट न हो पाई। हालांकि डॉक्टरों ने बताया कि उसका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है। घबराने की बात नहीं है। 

हॉस्पिटल से डिस्चार्ज स्लिप मिली
परेशान पीड़ित करीबी और परिजन 28 अप्रैल को फिर अस्पताल पहुंचे। इस बार मुलाकात के लिए उन्होंने डॉक्टरों से बहस की। तब अस्पताल प्रबंधन ने यह कहकर परिजनों को हैरान कर दिया कि महेश सिंह नाम का कोई मरीज हॉस्पिटल में एडमिट नहीं हुआ था। इसको लेकर प्रबंधन और परिजनों के बीच काफी नोकझोंक हुई। बीच-बचाव का रास्ता अपनाते हुए प्रबंधन ने कहा कि वह इसकी जांच कराएगा। परिजनों को फिर अगले दिन बुलाया गया। 29 अप्रैल को महेश के करीबी फिर जिम्स पहुंचे। देर शाम तक इंतजार के बाद उन्हें बताया गया कि महेश को 23 अप्रैल को ही डिस्चार्ज कर दिया गया था। हॉस्पिटल की तरफ से डिस्चार्ज समरी दी गई है। लेकिन उस पर डिस्चार्ज की तिथि भी नहीं लिखी है। जबकि महेश का कोई पता नहीं है। परिजन और उसके रेस्टोरेंट के मालिक अब चिंतित हैं। 



कहां है महेश
बड़ा सवाल ये है कि महेश आखिर कहा है? वह हॉस्पिटल में भी नहीं है और अब तक घर नहीं पहुंचा है। न ही किसी जानने वाले को उसकी खबर है। परिजनों और करीबियों को यह चिंता सताए जा रही है। वे निराश हैं। हताश हैं। उनका कहना है कि जब तक अस्पताल से स्पष्ट जानकारी नहीं मिल जाती, महेश का पता लगाना मुश्किल है। साथ ही परिजन हॉस्पिटल पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि 25 अप्रैल को हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने कॉल पर यह बताया था कि महेश की हालत अब ठीक है। तो फिर उसे 23 अप्रैल को डिस्चार्ज कैसे किया था। अगर उस वक्त महेश अस्पताल में नहीं था, तो उसकी हालत के बारे में हॉस्पिटल को कैसे पता। 

सीसीटीवी फुटेज की मांग कर रहे हैं
अब परिजन हॉस्पिटल मैनेजमेंट से महेश के डिस्चार्ज के दौरान की वीडियो फुटेज की मांग कर रहे हैं। ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह सही-सलामत हॉस्पिटल के गेट से बाहर निकला था। उसके बाद की प्रक्रिया के लिए पुलिस की मदद दी जाए। क्योंकि अगर महेश अब तक किसी करीबी के यहां नहीं गया है, तो उसकी गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया जाएगा। साथ ही परिजन और करीबी उसे ढूंढने की कोशिश करेंगे। इस पूरे मामले में जिम्स प्रबंधन की भूमिका शक के घेरे में है। सीसीटीवी फुटेज मिलने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा कि महेश बताई गई तिथि पर हॉस्पिटल से बाहर निकला था या नहीं।

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