सुमित अंतिल ने रिकॉर्ड के साथ लगातार दूसरी बार पैरालंपिक स्वर्ण जीता, बचपन में पिता को खोया, जवानी में पैर लेकिन हार नहीं मानी

ग्रेटर नोएडा का गोल्डन बॉय : सुमित अंतिल ने रिकॉर्ड के साथ लगातार दूसरी बार पैरालंपिक स्वर्ण जीता, बचपन में पिता को खोया, जवानी में पैर लेकिन हार नहीं मानी

सुमित अंतिल ने रिकॉर्ड के साथ लगातार दूसरी बार पैरालंपिक स्वर्ण जीता, बचपन में पिता को खोया, जवानी में पैर लेकिन हार नहीं मानी

Tricity Today | सुमित अंतिल ने फिर जीता गोल्ड

Greater Noida News :  ग्रेटर नोएडा में रहने वाले जेवलिन थ्रोअर सुमित अंतिल ने सोमवार की शाम पेरिस में कमाल ही कर दिया। इतिहास रचते हुए सुमित ने पेरिस पैरालंपिक में स्वर्ण पदक बरकरार रखा और वह भी पूरी आन, बान और शान से। उन्होंने टोक्यो 2020 में बनाए गए F64 वर्ग में गेम्स रिकॉर्ड तोड़ते हुए अपने पहले ही प्रयास में 69.04 मीटर थ्रो किया। उनका अगला थ्रो तो इससे भी बेहतर रहा और भाला 70.59 मीटर दूर जाकर गिरा। यानी दो थ्रो में उन्होंने दो बार पैरालंपिक रिकॉर्ड तोड़ डाला। इससे तालिका में शीर्ष पर उनकी स्थिति और मजबूत कर दी और लगातार दूसरे स्वर्ण पदक की राह में उन्हें कोई टक्कर देने वाला नहीं था। पैरा निशानेबाज अवनि लेखरा के बाद अंतिल पैरालंपिक में अपना खिताब बचाने वाले दूसरे भारतीय भी बने।

बचपन में ही पिता को खोया 
हरियाणा के सोनीपत के खेवड़ा गांव में जन्मे सुमित अंतिल भारत के शीर्ष भाला फेंक एथलीटों में से एक हैं। सुमित अंतिल का जन्म 7 जून 1988 को सोनीपत के गांव में निर्मला देवी और राम कुमार अंतिल के घर हुआ था। उनके पिता भारतीय वायु सेना में कार्यरत थे, लेकिन असमय ही उनका निधन हो गया। सुमित के सिर से पिता का साया उस समय उठ गया जब वह सिर्फ सात वर्ष के थे। ऐसे में मां और परिवार उनका सबसे बड़ा सहारा बने। मां ने ही उन्हें खेलकूद के लिए प्रेरित किया। उनकी तीन बहनें हैं, किरण, सुशीला और रेणु।

दुर्घटना के बाद पैर काटना पड़ा
पहले सुमित कुश्ती में अपना करियर बनाना चाहते थे और भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे। जब वह 17 वर्ष के थे, तब उनकी मोटरसाइकिल को एक तेज़ रफ़्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी, उस वक्त वह ट्यूशन क्लास से घर लौट रहे थे। चोट बेहद गंभीर थी और पैर कुचला जा चुका था। ऐसे में उनका बायां पैर काटना पड़ा।  उन्हें पहलवान बनने का सपना छोड़ना पड़ा। सुमित को बाद में पैरा चैंपियंस कार्यक्रम के माध्यम से गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थन दिया गया। देव ऋषि सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सोनीपत में अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, अंतिल को पैरा एथलेटिक्स से एक अन्य पैरा एथलीट राजकुमार से मदद मिली। इस भीषण हादसे के बावजूद सुमित के अंदर खेल के लिए जुनून कम नहीं हुआ। अब पैरा एथलीट के रूप में उन्होंने देश का नाम रोशन किया। 

नीरज चोपड़ा की सलाह काम आई
सुमित का अब एक ही सपना है की पैरालंपिक के बाद वो अब ओलंपिक में अपने जलवा बिखेरना चाहते हैं। जिस तरह से उन्होंने पैरालंपिक में रिकॉर्ड तोड़े है, उनका ये सपना जल्द ही पूरा हो सकता है। ओलंपिक में स्वर्ण और रजत पदक जीत चुके स्टार भालाफेंक एथलीट नीरज चोपड़ा से उन्हें टिप्स मिलते रहते हैं। पेरिस जाने से पहले भी नीरज ने सुमित को जेवलिन के गुर बताए थे। साथ ही उन्होंने यह हिदायत भी दी थी कि ट्रैक पर कुछ नया प्रयोग करने  की कोशिश मत करना, जो सीखा है उसी को अच्छे से करना। टोक्यो रवाना होने से पहले भी नीरज ने सुमित के साथ अपने  अनुभव साझा किए थे।

फाइनल में सुमित अंतिल का प्रदर्शन:
पहला थ्रो- 69.11 मीटर
दूसरा थ्रो- 70.59 मीटर
तीसरा थ्रो- 66.66 मीटर
चौथा थ्रो- फाउल
पांचवां थ्रो- 69.04 मीटर
छठा थ्रो- 66.57 मीटर 

पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारत के पदकवीर

1. अवनि लेखरा (शूटिंग)- गोल्ड मेडल, महिला 10 मीटर एयर राइफल (SH1)

2. मोना अग्रवाल (शूटिंग)- ब्रॉन्ज मेडल, ... 

3. प्रीति पाल (एथलेटिक्स)- ब्रॉन्ज मेडल, महिला 100 मीटर रेस (T35)

4. मनीष नरवाल (शूटिंग)- सिल्वर मेडल, पुरुष 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1)

5. रुबीना फ्रांसिस (शूटिंग)- ब्रॉन्ज मेडल, महिला 10 मीटर एयर पिस्टल (SH1)

6. प्रीति पाल (एथलेटिक्स)- ब्रॉन्ज मेडल, महिला 200 मीटर रेस (T35)

7. निषाद कुमार (एथलेटिक्स)- सिल्वर मेडल, पुरुष हाई जंप (T47)

8. योगेश कथुनिया (एथलेटिक्स)- सिल्वर मेडल, पुरुष डिस्कस थ्रो (F56)

9. नितेश कुमार (बैडमिंटन)- गोल्ड मेडल,  पुरुष सिंगल्स (SL3)

10. मनीषा रामदास (बैडमिंटन)- ब्रॉन्ज मेडल, महिला सिंगल्स (SU5) 

11.  थुलासिमथी मुरुगेसन (बैडमिंटन)- सिल्वर मेडल, महिला सिंगल्स (SU5)

12. सुहास एल यथिराज (बैडमिंटन)- सिल्वर मेडल, पुरुष सिंगल्स (SL4) 

13. शीतल देवी-राकेश कुमार (तीरंदाजी)- ब्रॉन्ज मेडल, मिक्स्ड कंपाउंड ओपन
 
14. सुमित अंतिल (एथलेटिक्स)- गोल्ड मेडल, पुरुष जैवलिन थ्रो (एफ 64 वर्ग)
 

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