Greater Noida News : 28 अगस्त से पेरिस में पैरालंपिक खेलों की शुरुआत होने जा रही है। इस बार भारत 84 खिलाड़ियों का दल पेरिस भेज रहा है, जो अब तक का सबसे बड़ा दल है। भारतीय खिलाड़ी 25 पदकों का लक्ष्य लेकर पेरिस गए हैं। इन 84 खिलाड़ियों में चार खिलाड़ी ऐसे हैं जो अपना स्वर्ण पदक बचाएंगे। इन चार खिलाड़ियों में दो निशानेबाज, एक एथलीट और एक बैडमिंटन खिलाड़ी शामिल हैं। इन चारों में से आज एक ऐसे व्यक्ति की बात करेंगे जो की भाला फेंक में विश्व रिकॉर्ड होल्डर के साथ ही ओलिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट भी है।
कौन है सुमित अंतिल
हरियाणा के सोनीपत के खेवड़ा गांव में जन्मे सुमित अंतिल भारत के शीर्ष भाला फेंक एथलीटों में से एक हैं। सुमित अंतिल का जन्म 7 जून 1988 को खेवड़ा, सोनीपत , हरियाणा में निरमाला देवी और राम कुमार अंतिल के घर हुआ था। उनके पिता, जो भारतीय वायु सेना में कार्यरत थे, का निधन तब हो गया जब वे सात वर्ष के थे। उनकी माँ ने दुर्घटना के बाद उन्हें खेलकूद में जाने के लिए सहारा दिया। उनकी तीन बहनें हैं, किरण, सुशीला और रेणु। युवा सुमित कुश्ती में अपना करियर बनाना चाहते थे और भारतीय सेना में शामिल होना चाहते थे। जब वह 17 वर्ष के थे, तब उनकी मोटरसाइकिल को एक तेज़ रफ़्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी, जब वे ट्यूशन क्लास से घर लौट रहे थे। नतीजतन, उनका बायां पैर काटना पड़ा और उन्हें पहलवान बनने का सपना छोड़ना पड़ा। सुमित को बाद में पैरा चैंपियंस कार्यक्रम के माध्यम से गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन द्वारा समर्थन दिया गया। देव ऋषि सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सोनीपत में अपनी माध्यमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, अंतिल को पैरा एथलेटिक्स से एक अन्य पैरा एथलीट राजकुमार द्वारा परिचित कराया गया। इस भीषण हादसे के बावजूद सुमित के अंदर खेल के लिए जो जुनून था वह कम नहीं हुआ और पैरा एथलीट के रूप में उन्होंने देश का नाम रौशन किया।
सुमित ने टोक्यो में बनाया था वर्ल्ड रिकॉर्ड
बता दें कि सुमित अंतिल ने टोक्यो ओलंपिक में तीन बार विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए 68.55 मीटर के प्रयास से गोल्ड मेडल जीता था। उन्होंने इसके बाद 2023 पैरा विश्व चैम्पियनशिप में 70.83 मीटर के थ्रो के अपने ही रिकॉर्ड को तोड़ दिया। सुमित यहीं पर नहीं पर नहीं रुके। उन्होंने हांगझोऊ एशियाई पैरा खेलों में इसमें सुधार करते हुए 73.29 मीटर के फिर से गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
पैरा एथलीट में क्या होता है F64
पैरालंपिक में वही एथलीट हिस्सा लेते हैं तो जो हाथ या पैर के किसी विकार से ग्रसित हों। इसके लिए ओलंपिक कमेटी की तरफ से अलग-अलग कैटेगरी तय की जाती है। इसी में से एक है F64। इस कैटेगरी के तहत उन पैरा एथलीट को रखा जाता है जिन्हें पैर के निचले हिस्से में किसी तरह की समस्या होती है। ऐसी स्थिति में एथलीट एस्थेटिक्स यानी कृत्रिम पैर का उपयोग करके खड़े होने की स्थिति वाली स्पर्धा में भाग लेते हैं।