Greater Noida News : यमुना विकास प्राधिकरण से जुड़ी आज की बड़ी खबर सामने आ रही है। यमुना विकास प्राधिकरण के खिलाफ कुछ लोग हाई कोर्ट गए थे, जहां से उनको झटका लगा है। करीबन 100 से ज्यादा बिल्डर और संस्थानों पर 4500 करोड़ रुपये बकाया है, जिसको जमा नहीं कर रहे थे। अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि सभी को अपना बकाया पैसा जमा करना होगा।
प्राधिकरण ने लोन लेकर किसानों को दिया था पैसा
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह ने कहा, "अथॉरिटी ने लोन लेकर 64.7 प्रतिशत राशि को सेक्टर-18 और सेक्टर-20 से प्रभावित किसानों को पहले बांटा था। उसके बाद इससे जुड़े करीब फिर दो साल में चार समान किस्तों में बिना ब्याज के जमा करने का अवसर दिया। यह निर्देश न्यायालय के आदेशानुसार था। इस फैसले के बाद बिल्डरों ने 64.7 प्रतिशत की राशि को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने शकुंतला केस में सरकार के कैबिनेट निर्णय को भी निरस्त किया और बोर्ड द्वारा ब्याज की मांग को भी खारिज कर दिया।"
हाई कोर्ट ने दिया झटका
सीईओ ने आगे कहा, "इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि सभी संबंधित पक्षों को यह राशि जमा करनी होगी और इसमें कोई छूट नहीं दी जाएगी। यह संवैधानिक व्यवस्था के तहत है और पूरी तरह से लागू की गई है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने निर्णय में इसे समर्थन दिया है। पहले भी संबंधित लोगों को बिना ब्याज के राशि जमा करने का अवसर दिया गया था, लेकिन उनके द्वारा लगातार उल्लंघन करने पर यह निर्णय लिया गया कि अब उन्हें ब्याज सहित राशि जमा करनी होगी।"
अब ब्याज समेत देना होगा सारा पैसा
डॉ.अरुणवीर सिंह ने कहा, "सभी बिल्डर्स को नोटिस जारी किया गया है कि वे अपनी बकाया राशि ब्याज सहित जमा करें। बिना 64.7 प्रतिशत राशि जमा किए कोई प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ सकेगा और किसी प्रकार की छूट नहीं दी जाएगी। इस निर्णय के तहत सभी बिल्डर्स को अपनी बकाया राशि ब्याज सहित जमा करनी होगी। इसके बाद भी यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो कोई और कार्रवाई नहीं की जाएगी। साथ में प्रोजेक्ट्स पर रोक लगाई जाएगी।"