ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 15 अफसरों और कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई

बड़ी राहत : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 15 अफसरों और कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के 15 अफसरों और कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई

Tricity Today | Greater Noida Authority

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में तैनात 15 अफसर और कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर प्रयागराज हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। फर्जी नियुक्ति मामले में शासन ने कार्रवाई शुरू कर दी थी। शासन ने प्राधिकरण के 15 कर्मचारियों को बर्खास्तगी का नोटिस भेज दिया था। नोटिस में कहा गया था कि क्यों न सेवाएं समाप्त कर दी जाएं। नोटिस मिलने के बाद कर्मचारी-अधिकारी जवाब देने की तैयारी में जुटे थे। अब इसी बीच इन लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने बड़ी राहत देते हुए शासन और प्राधिकरण के आदेशों पर रोक लगा दी है। मामले में जवाब मांगा है। हालांकि, प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण ने जानकारी से इनकार किया है।

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में नियमों को दरकिनार करके वर्ष 2002-03 में 58 कर्मचारियों और अधिकारियों की भर्ती की गई थी। सबसे पहले यह मामला दादरी से भारतीय जनता पार्टी के तत्कालीन विधायक नवाब सिंह नागर ने उत्तर प्रदेश विधानसभा में उठाया था। विधानसभा ने मामले में कार्रवाई करने का आश्वासन दिया था और तत्कालीन मुख्य कार्यपालक अधिकारी को जांच सौंप दी गई थी। इसके बाद मामले की जांच प्राधिकरण के तत्कालीन सीईओ ने की। उन्होंने इन नियुक्तियों को अवैध तो बताया था, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई थी। इसके बाद विधानसभा की आश्वासन समिति ने इस मामले की जांच की। इसमें भी इन नियुक्तियों को अवैध माना गया था। इन नियुक्तियों में आरोप है कि जाति प्रमाण पत्र दूसरे राज्यों के लगा दिए गए, जबकि नियमों के मुताबिक जाति प्रमाण पत्र उसी राज्य में लागू होते हैं, जहां से जारी किए गए हैं।

कुछ ऐसे अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं, जो विकास प्राधिकरण में संविदा पर काम कर रहे थे। उनकी भी नियुक्तियां हो गई हैं। कुछ लोगों पर आरोप है कि उनकी डिग्रियां फर्जी लगा दी गई हैं। वर्ष 2018-19 में शासन ने इस मामले में कार्रवाई करके ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से रिपोर्ट मांगी थी। लेकिन केंद्रीय नियमावली लागू होने से अब प्राधिकरण केवल चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को हटाने का अधिकार रखता है। इसके बाद प्राधिकरण ने रिपोर्ट शासन को भेज दी थी। अब करीब एक महीना पहले शासन ने इस मामले में प्राधिकरण के 15 अधिकारियों-कर्मचारियों को बर्खास्तगी का नोटिस भेजा था। इसमें प्रबंधक से लेकर बाबू तक शामिल हैं। नोटिस में संबंधित कर्मचारी-अधिकारी से जवाब मांगा गया था। जवाब आने के बाद शासन को अगली कार्रवाई करनी थी। कर्मचारियों को बर्खास्तगी के नोटिस मिलने के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में हड़कंप मच गया था।

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को दिया था नोटिस
इस मामले में विकास प्राधिकरण चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को नोटिस दे चुका है। पिछले साल सितंबर में प्राधिकरण ने इस जांच की जद में आए चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को नोटिस भेजा था। इनसे भी जवाब मांगा गया था। इस मामले की जद में आए कुछ कर्मचारियों ने अदालत का दरवाजा भी खटखटाया है। हालांकि, अभी इस पर कोई फैसला नहीं आया है। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी नरेंद्र भूषण ने बताया कि कुछ कर्मचारियों को नोटिस भेजे गए हैं। ये नोटिस शासन की ओर से भेजे गए हैं।

अब हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगाई
अब इस मामले में प्रयागराज हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। शासन और प्राधिकरण की ओर से सभी 15 अफसरों कर्मचारियों को जारी किए गए नोटिस को रोक दिया है। इसके अलावा हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर विकास प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश शासन से रिपोर्ट मांगी है। कुल मिलाकर इन कर्मचारियों को एक बार फिर बड़ी राहत मिल गई है।

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