होंडा ने ग्रेटर नोएडा कारखाना बंद किया, 23 साल पहले शहर के विकास में मील का पत्थर बनी थी कम्पनी

झटका : होंडा ने ग्रेटर नोएडा कारखाना बंद किया, 23 साल पहले शहर के विकास में मील का पत्थर बनी थी कम्पनी

होंडा ने ग्रेटर नोएडा कारखाना बंद किया, 23 साल पहले शहर के विकास में मील का पत्थर बनी थी कम्पनी

Google Image | प्रतीकात्मक फोटो

ग्रेटर नोएडा शहर को बसाने में बड़ी मदद करने वाली होंडा मोटर कंपनी आखिरकार बुधवार को बंद हो गई। करीब 23 साल के सफर में इस कंपनी ने ग्रेटर नोएडा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। एक तरह से कहा जाए तो शहर के विकास के लिए यह कंपनी मील का पत्थर रही है। करीब 2 वर्षों से ऊहापोह की स्थिति के बीच बुधवार को कंपनी मैनेजमेंट ने आधिकारिक रूप से ग्रेटर नोएडा संयंत्र को बंद करने की घोषणा कर दी है। अब होंडा कंपनी कार निर्माण के लिए पूरी तरह कापुतारा संयंत्र पर निर्भर रहेगी। देश में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली होंडा सिटी और होंडा सिविक जैसी शानदार कारें इसी प्लांट से बनकर निकली थीं।

होंडा कार्स इंडिया लिमिटेड (एचसीआईएल) ने बुधवार को उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में अपना कारखना औपचारिक रूप से बंद करने की घोषणा की। वाहन कंपनी ने कहा कि 1997 में अस्तित्व में आये संयंत्र में उत्पादन बंद करने का निर्णय विनिर्माण गतिविधियों को पुनर्गठित करने के प्रयास का हिस्सा है। ग्रेटर नोएडा कारखाना बंद होने के साथ एचसीआईएल का देश में सीआर-वी और सिविक मॉडल का उत्पादन भी थम गया है। दोनों मॉडल का विनिर्माण इसी कारखाने में हो रहा था।

एचसीआईएल ने एक बयान में कहा, ''उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला की क्षमता का लाभ उठाकर परिचालन को टिकाऊ बनाने के लिये कंपनी ने घरेलू बिक्री और निर्यात को लेकर राजस्थान के टापुकारा में तत्काल प्रभाव से वाहनों और कल-पुर्जों के लिये विनिर्माण गतिविधियों को सुदृढ़ करने का निर्णय किया है। बयान में कहा गया है कि मुख्य कार्यालय के कार्य, वाहन, दो-पहिया वाहनों के लिये देश में अनुसंधान एवं विकास केंद्र और कल-पुर्जों से जुड़े कार्य (गोदाम समेत) ग्रेटर नोएडा से पहले की तरह चलते रहेंगे। 

एचसीआईएल के अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी गाकु नाकानिसी ने कहा, ''पिछले तीन महीनों से बिक्री में तेजी के बावजूद, कुल मिलाकर उद्योग के लिये मौजूदा बाजार स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। कोविड-19 प्रभाव ने हमें अपनी स्थिति सुदृढ़ करने के लिये मजबूर किया है। और इसे हासिल करने के लिये एचसीआईएल ने टापुकारा कारखने को एकीकृत बनाकर विनिर्माण गतिविधियों को मजबूत बनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि कंपनी का भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को लेकर भरोसा बना हुआ है और बाजार के तेजी से पटरी पर आने की उम्मीद है। 
     
नाकानिसी ने कहा, ''भारत होंडा की वैश्विक रणनीति के तहत एक महत्वपूर्ण बाजार है और एचसीआईएल भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहन समेत अपनी सबसे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी वाला मॉडल लाने को लेकर प्रतिबद्ध है। ग्रेटर नोएडा संयंत्र की स्थापित उत्पादन क्षमता एक लाख इकाई सालाना है। दूसरी तरफ, टापुकारा कारखाने की क्षमता 1.8 लाख इकाई सालाना है। राजस्थान स्थित इस कारखाने में करीब 5,500 कर्मचारी कार्यरत हैं।

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