Greater Noida : ग्रेटर नोएडा स्थित हौंडा कंपनी में कार्यरत 545 कर्मचारियों ने कंपनी पर जबरदस्ती वीआरएस देकर बाहर करने का आरोप लगाया है। कंपनी में कार्यरत कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी ने फर्जी तरीके से साइन लेकर भहर कर दिया। और अब उनके सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है।
द प्रिंट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक हेमचंद्र नागर जोकि 2008 से हौंडा कंपनी में कार्यरत थे उन्होंने बताया कि "कंपनी ने फर्जी तरीके से लेबर यूनियन का गठन किया और उसके बाद यह दर्शया कि इसमें सभी कर्मचारियों की सहमति है। जबकि कोरोना काल होने के कारण कंपनी में लेबर यूनियन का चुनाव ही नहीं हो पाया। इस संदर्भ में हमने लेबर कमिश्नर के पास अपना प्रार्थना पत्र भी सौंपा पर उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने फिलहाल श्रम कानूनों को निरस्त कर रखा है तो हमें अपना प्रार्थनापत्र डीएम को सौंपना चाहिए।
कर्मचारियों का कहना है कि वह लंबे अरसे से कंपनी के लिए काम कर रहे हैं, और अब अचानक से कंपनी ने उन्हें बाहर कर दिया है। जिसके कारण उनके सामने रोजी-रटी और परिवार चलाने का संकट आ गया है। वह ना तो मकान का किराया दे पा रहे हैं ना ही बच्चों की फीस भर पा रहे हैं और प्रशासन की तरफ से भी अभी उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई है। इस उम्र में कहीं और नौकरी मिलना भी आसान नहीं है ऐसे में उन्हें अपना भविष्य अनिश्चिता से भरा नजर आ रहा है।
हालांकि इस पूरे मुद्दे पर हौंडा कंपनी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि होंडा कंपनी का ग्रेटर नोएडा प्लांट काफी समय से घाटे में चल रहा है जिसके कारण उन्हें कुछ कर्मचारियों को वीआरएस देना पड़ रहा है। पर कर्मचारियों ने कंपनी की इस बात का खंडन किया।
होंडा कंपनी की आधिकारिक प्रवक्ता सभा खान ने कर्मचारियों द्वारा लगाए जा रहे सभी आप आरोपों को सिरे से खारिज किया और कहा कि "यह आरोप बिल्कुल आधारहीन है और इनके अंदर कोई भी तथ्य नहीं है यह सिर्फ कंपनी की छवि को धूमिल करने के लिए लगाए गए हैं और हम इसका सिरे से खंडन करते है।"