फर्जी किसान बनने वाले यशपाल तोमर के 3 गुर्गों को गैंगस्टर एक्ट में जमानत मिली, गौतमबुद्ध नगर पुलिस को झटका

चिटहेरा भूमि घोटाला : फर्जी किसान बनने वाले यशपाल तोमर के 3 गुर्गों को गैंगस्टर एक्ट में जमानत मिली, गौतमबुद्ध नगर पुलिस को झटका

फर्जी किसान बनने वाले यशपाल तोमर के 3 गुर्गों को गैंगस्टर एक्ट में जमानत मिली, गौतमबुद्ध नगर पुलिस को झटका

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Greater Noida News : चिटहेरा भूमि घोटाले में शामिल यशपाल तोमर गैंग के तीन गुर्गों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर अधिनियम के मुक़दमे में ज़मानत दे दी है। यह तीनों लोग चिटहेरा के फ़र्ज़ी निवासी और किसान बने थे। तीनों मूल रूप से बागपत के बरवाला गांव के रहने वाले हैं। यशपाल तोमर भी बरवाला का ही निवासी है। ख़ास बात यह है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में गौतमबुद्ध नगर पुलिस मज़बूती के साथ अपना पक्ष नहीं रख पाई। पुलिस की ओर से अदालत को नहीं बताया गया कि इस मुक़दमे में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है। मुख्य अभियुक्त यशपाल तोमर की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज होने की जानकारी भी अदालत को नहीं दी गई है। पुलिस की ओर से अदालत को यह भी नहीं बताया गया कि इस मामले में हाईकोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय को एक साल में ट्रायल पूरा करने का आदेश दिया है।

इन तीनों को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी
यशपाल तोमर के सहयोगी कर्मवीर, कृष्णपाल और बैलू को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गैंगस्टर एक्ट के मुकदमे में जमानत दे दी है। जस्टिस दीपक वर्मा अदालत ने मामले में सुनवाई की। आरोपियों ने अदालत को बताया कि वे सीधे, सादे और सामान्य लोग हैं। किसी गैंग के सदस्य नहीं हैं। गैंग चार्ट में उनके ख़िलाफ़ कोई आरोप नहीं है। तीनों लोगों को ग़लत ढंग से इस मुक़दमे में फंसाया गया है। दादरी कोतवाली में भूमि घोटाले के लिए दर्ज किए गए मुक़दमे में हाईकोर्ट ने अग्रिम ज़मानत दे रखी है। लिहाज़ा, उन्हें गैंगस्टर एक्ट के इस मुक़दमे में न केवल ज़मानत दी जाए बल्कि उनके ख़िलाफ़ दर्ज किया गया यह मुक़दमा ख़ारिज किया जाए। अदालत ने कृष्णपाल, कर्मवीर और बैलू को तीन शर्तों पर ज़मानत दे दी है।

गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने अदालत में नहीं रखा पक्ष 
इस पूरे मामले को लेकर गौतमबुद्ध नगर पुलिस की ओर से अदालत में मज़बूत पैरवी नहीं की गई है। पुलिस ने अदालत को नहीं बताया कि चिटहेरा भूमि घोटाले को लेकर इन तीनों आरोपियों के ख़िलाफ़ जिला न्यायालय में आरोप पत्र दाख़िल किया जा चुका है। हाईकोर्ट ने तीनों को चार्जशीट होने तक ही अग्रिम ज़मानत दी थी। लिहाज़ा, क़ानूनी तौर पर तीनों अभियुक्तों को पहले नियमित ज़मानत लेनी होगी। इसके बाद ही गैंगस्टर अधिनियम के मुक़दमे पर ज़मानत मांगी जा सकती है। अदालत को यह भी नहीं बताया गया कि इस घोटाले के मुख्य अभियुक्त यशपाल तोमर की ज़मानत अर्ज़ी इलाहाबाद हाईकोर्ट की दूसरी बेंच ने ख़ारिज कर दी है। घोटाले से जुड़े मुक़दमे का ट्रायल एक वर्ष में पूरा करने का आदेश गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय को दिया है।

अब बरवाला गांव के दस्तावेज लगाकर जमानत ली
अरबों रुपये के इस भूमि घोटाले में कर्मवीर, कृष्णपाल और बैलू पर आरोप हैं कि वह फ़र्ज़ी ढंग से चिटहेरा गांव के निवासी बने। उनके नाम गांव की वोटर लिस्ट में दर्ज किए गए। फर्जीवाड़ा करके दादरी तहसील से अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र और मूल निवास प्रमाण पत्र बनवाए गए। यह जाली दस्तावेज़ इस्तेमाल करके चिटहेरा में अनुसूचित जाति से ताल्लुक़ रखने वाले किसानों की पट्टों वाली ज़मीन ख़रीदी। यह ज़मीन ख़रीदने के लिए बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है। किसानों से ज़बरन बैनामे करवाए गए हैं। पहले जिला प्रशासन ने अपनी जांच रिपोर्ट में यह तथ्य पेश किए थे। इस रिपोर्ट के आधार पर दादरी कोतवाली में मुक़दमा दर्ज हुआ। इन सारे तथ्यों को सही मानते हुए पुलिस ने चार्जशीट दाख़िल की है। अब सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कृष्णपाल, कर्मवीर और बैलू ने ज़मानत लेने के लिए गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय में अपने मूल दस्तावेज़ पेश किए हैं। मतलब, ज़मानत लेने के लिए आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड बागपत के बरवाला गांव के लगवाए हैं। जिससे यह साबित हो जाता है कि ये तीनों लोग बरवाला के निवासी हैं। इन्होंने चिटहेरा का निवासी बनने के लिए जाली दस्तावेज तैयार करवाए थे।

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