पीएम मोदी ने गौर से सुना भाषण, बोले- 50 सालों से कांग्रेस ने...

संसद में गरजे सुरेंद्र सिंह नागर : पीएम मोदी ने गौर से सुना भाषण, बोले- 50 सालों से कांग्रेस ने...

पीएम मोदी ने गौर से सुना भाषण, बोले- 50 सालों से कांग्रेस ने...

Tricity Today | पीएम मोदी और सुरेंद्र सिंह नागर

Noida News : लोकसभा चुनाव की हलचल के बीच भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के नेता और राज्यसभा सांसद सुरेंद्र सिंह नागर (MP Surendra Singh) संसद में कांग्रेस के खिलाफ जमकर बरसे। बुधवार को सुरेंद्र सिंह का भाषण राज्यसभा में करीब 9 मिनट कर रहा। नागर ने 50 सालों से ओबीसी वर्ग पर किए गए अत्याचार की पोल खोल दी। भाषण के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी राज्यसभा में पहुंचे। उन्होंने सांसद सुरेंद्र सिंह नागर का भाषण बड़े ही गौर से सुना। राज्यसभा में दिए गए भाषण के बाद सुरेंद्र सिंह नागर एक बार फिर देश में चर्चा में आ गए हैं।

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर पर कहा... 
राज्यसभा में सुरेंद्र नगर नागर ने कहा कि ये नरेंद्र मोदी सरकार है जो बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के लिए समर्पित है। उनके विचारों के लिए समर्पित है इसलिए बाबा साहेब के पंचतीर्थों के विकास का काम नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। कांग्रेस ने ओबीसी वर्ग का वोट का खूब प्रयोग किया है। इनका काम केवल ओबीसी वर्ग पर अत्याचार करना रहा है। कांग्रेस ने कभी बाबा साहेब के उन पंचतीर्थों के दर्शन भी नहीं किए होंगे। उन्होंने कहा कि केवल भाजपा ने ओबीसी वर्ग का ख्याल रखा है। देश में सबसे अधिक विधायक, सांसद और मंत्री भाजपा से हैं। ओबीसी वर्ग के लोगों को हर सुविधा सरकार के तरफ से दी जा रही हैं।

कांग्रेस की सोच क्या है?
सांसद ने आगे कहा कि कांग्रेस के एक नेता हैं जो कभी अपनी जाति बताते हैं। कभी अपने गोत्र बताते हैं और कभी वो अपना जनेऊ भी दिखाते हैं लेकिन समय-समय पर वो अपना चेहरा और बातें भी बदलते रहते हैं और आजकल उन्हें ओबीसी याद आ रहा है। लेकिन ओबीसी के प्रति कांग्रेस की सोच क्या है? जिस जनगणना के प्रति उनके विचार हैं, नेहरू उसको लेकर क्या कहते थे, पहले उसे तो पढ़ लेते। नेहरू ने कहा था कि भारतीय सूची की कोई आवश्यकता नहीं है। ये किसी और ने नहीं कहा था, ये उस समय के प्रधानमंत्री नेहरू ने कहा था।

मंडल आयोग की रिपोर्ट
सुरेंद्र सिंह नागर में आगे कहा कि आजादी के बाद तीन आयोग बने। ये किसने बनाया? आपको किसने रोका था उन तीनों रिपोर्टों को लागू करने से? क्या विचार थे आपके। पहले आयोग की रिपोर्ट क्यों नहीं लागू की आपने। क्या विचार थे आपके। वहीं, जब मंडल आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की बात हुई तो राजीव गांधी ने उसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि बैकवॉर्ड समाज का सौभाग्य है कि आजादी के इतने साल बाद देश को नरेंद्र मोदी के रूप में एक ओबीसी प्रधानमंत्री मिला।

देश के बड़े गुर्जर नेताओं में शुमार हैं सुरेंद्र नागर
पश्चिमी यूपी, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू एंड कश्मीर में भी गुर्जर वोटरों की बड़ी तादाद है। कई जगह तो गुर्जर बिरादरी के वोट चुनाव को प्रभावित करने की स्थिति में हैं। अगर बिरादरी से अलग होकर बात करें तो सुरेंद्र नागर की पैठ गैर गुर्जर बिरादरी के बीच भी है। सुरेंद्र सिंह नागर की गिनती बड़े गुर्जर नेताओं में होती है। भारतीय जनता पार्टी में आने के बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया। उन्हें राज्यसभा में उपसभापति भी नियुक्त किया गया। जब भी पार्टी को उनकी जरूरत पड़ी सुरेंद्र सिंह नागर ने पूरे मनोयोग से काम किया। अगर भारतीय जनता पार्टी के प्रोटोकॉल की बात करें तो सांसद सुरेंद्र सिंह नागर सबसे ऊंचे पद पर हैं। संसदीय व्यवस्था में राज्यसभा सांसद का स्थान लोकसभा सांसद से ऊपर माना जाता है।

25 साल पहले शुरू हुई संसदीय राजनीति
सुरेंद्र सिंह नागर ने संसदीय राजनीति की शुरुआत उत्तर प्रदेश विधान परिषद से की। 1998 में वह स्थानीय निकाय सीट से चुनाव जीतकर एमएलसी बने। साल 2004 में दोबारा इसी सीट से चुनाव जीता। विधान परिषद में 10 समितियों के सदस्य रहे। 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले गौतमबुद्ध नगर सीट सामान्य हो गई। सुरेंद्र नागर ने बहुजन समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा। उनके सामने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी डॉ. महेश शर्मा थे। सुरेंद्र नागर ने जीत हासिल की और लोकसभा पहुंच गए। इसके बाद 2016 में राज्यसभा का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।

कोविड से ठीक पहले थामा भाजपा का दामन
सुरेंद्र सिंह नागर ने जुलाई 2019 में भाजपा का दामन थाम लिया। इससे पहले वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्यसभा सांसद रहे। समाजवादी पार्टी और राज्यसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा का दामन थाम लिया। भाजपा ने सुरेंद्र नागर के इस्तीफे से खाली हुई राज्यसभा की सीट पर उन्हीं को अपना उम्मीदवार बनाया। इस तरह सुरेंद्र नागर ने दूसरी बार राज्यसभा चुनाव जीता। सुरेंद्र सिंह नागर उन चुनिंदा नेताओं में शुमार हैं, जिन्हें विधान परिषद, राज्यसभा और लोकसभा में काम करने का अनुभव हासिल है।

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