ईस्टर्न पेरिफेरल और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ने का काम आसान नहीं, 47 करोड़ रुपए बढ़ी लागत, कौन देगा पैसा?

खास खबर : ईस्टर्न पेरिफेरल और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ने का काम आसान नहीं, 47 करोड़ रुपए बढ़ी लागत, कौन देगा पैसा?

ईस्टर्न पेरिफेरल और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ने का काम आसान नहीं, 47 करोड़ रुपए बढ़ी लागत, कौन देगा पैसा?

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Greater Noida News : ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए इंटरचेंज बनाया जाएगा। दोनों एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए जगनपुर और अफजलपुर गांव के नजदीक से इंटरचेंज निकाला जाएगा। इस इंटरचेंज को बनाने के लिए अब करीब 47 करोड़ रुपए की लागत बढ़ गई है। पहले बताया जा रहा था कि इस इंटरचेंज को बनाने में करीब 74 करोड़ रुपए खर्च होंगे, लेकिन 47 करोड़ रुपए की लागत बढ़ने के बाद इंटरचेंज बनाने की कुल राशि 122 करोड रुपए पहुंच जाएगी। यह रिपोर्ट नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ (NHAI) ने तैयार की है। जानकारी के मुताबिक इस इंटरचेंज को बनाने के लिए 78.9% पैसा एनएचएआई देगा। बाकी 21.9% पैसा यमुना विकास प्राधिकरण लगाएगा। कुल मिलाकर निर्माण में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी एनएचएआई की होगी। 

कौन देगा 47 करोड़ रुपए
रिपोर्ट के मुताबिक अभी तक यमुना प्राधिकरण और एनएचएआई के बीच 74 करोड़ रुपए खर्च करने को लेकर बातचीत हुई थी, लेकिन अब लागत बढ़ गई है तो जाहिर सी बात है कि दोनों को ज्यादा पैसा लगाना होगा। इसके लिए अब यमुना विकास प्राधिकरण के द्वारा उत्तर प्रदेश शासन को चिट्ठी भेजकर मंजूरी मांगी जा सकती है।

18 महीनों में होना था काम पूरा, लेकिन किसानों की वजह से अटका
यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए 76 करोड़ रुपये खर्च होने थे। इसका टेंडर देव यस कंपनी को मिला था। करीब 18 महीने में यह प्रोजक्ट बनाकर देना था, लेकिन पहले किसानों ने निर्माण शुरू नहीं होने दिया था। बताया जा रहा है कि किसानों को 64.7 प्रतिशत अतिरिक्त मुआवजा नहीं मिला था। अतिरिक्त मुआवजा नहीं मिलने से इंटरचेंज का काम अटका हुआ था। अतिरिक्त मुआवजा का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। कुछ दिनों पहले ही किसानों और प्राधिकरण के बीच काफी मुद्दों पर सहमति बनी थी। जिसके बाद किसान जमीन देने के लिए तैयार हुए।

योगी आदित्यनाथ ने कहा था, "जेवर में बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी"
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था, "जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंचाने के लिए किसी भी व्यक्ति को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। लोग देश के किसी भी कोने से बड़ी आसानी के साथ नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक पहुंच सकेंगे। देश के सबसे बड़े हवाई अड्डे तक पहुंचने के लिए सबसे बेहतर कनेक्टिविटी दी जाएगी।" योगी आदित्यनाथ के इन्हीं सपनों को पूरा करने के लिए यमुना विकास प्राधिकरण लगातार प्रयास कर रहा है। इसी के चलते ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे को जोड़ने के लिए इंटरचेंज बनाया जाएगा।

यूपी-हरियाणा के बीच राह आसान होगी
इस इंटरचेंज से लखनऊ, कानपुर, इटावा, आगरा, मथुरा और वृंदावन की ओर से आने वाले वाहन ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर चढ़कर हरियाणा के पलवल, कुंडली, सोनीपत, पानीपत, फरीदाबाद और जयपुर की ओर आसानी से आ-जा सकेंगे। इसी तरह ईस्टर्न पेरिफेरल का ट्रैफिक यमुना एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल कर सकेगा। कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बीच यातायात और सुगम हो जाएगा। दोनों बड़े महत्वपूर्ण एक्सप्रेसवे हैं। आपस में नहीं जुड़ने से लाखों वाहन रोजाना अच्छी सुविधा का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं।

ग्रेटर नोएडा में अतिरिक्त चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा
इंटरचेंज बनने से यमुना एक्सप्रेसवे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रसवे आपस में सीधे जुड़ जाएंगे। अभी यमुना एक्सप्रेसवे से आने वाले लोगों को ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे पर जाने के लिए (जगनपुर-अफजलपुर से सिरसा तक) 22 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। इसके बाद ग्रेटर नोएडा शहर में भीतर घुसकर पूरा शहर पार करना पड़ता है। यह इंटरचेंज बनने से यह दूरी नहीं तय करनी पड़ेगी। दूसरी तरह ग्रेटर नोएडा शहर की सड़कों से आवश्यक वाहनों का दबाव कम होगा। लोगों को भारी वाहनों के कारण लगने वाले ट्रैफिक जाम और पॉल्यूशन से निजात मिलेगी।

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