Tricity Today | चिटहेरा भूमि घोटाला में नया ट्विस्ट
Greater Noida News : चिटहेरा भूमि घोटाला सबके सामने खुल चुका है। किसानों को फर्जी मुकदमों में जेल भेजकर अरबों रुपये की जमीन हड़पने वाला गैंगस्टर भूमाफिया यशपाल तोमर करीब दो साल से सलाखों के पीछे है, लेकिन उसके बुने जाल से अब तक चिटहेरा गांव के किसान निकल नहीं पा रहे हैं। जेल जाने को मजबूर हैं। करीब एक सप्ताह पहले चिटहेरा के निर्दोष किसान ब्रह्मपाल को जेल जाना पड़ा है। ब्रह्मपाल करीब एक सप्ताह से तिहाड़ में बंद हैं। यशपाल तोमर और उसके गैंग ने ब्रह्मपाल सिंह समेत सात किसानों के खिलाफ वर्ष 2018 में एक फर्जी मुकदमा दिल्ली के कश्मीरी गेट थाने में दर्ज करवाया था। पांच किसान तभी जेल चले गए थे। दो किसानों को तब से पुलिस और अदालत ने भगौड़ा घोषित कर रखा था।
किसानों पर दर्ज मुकदमा फर्जी है
यह बात साबित हो चुकी है कि चिटहेरा के किसानों के खिलाफ दिल्ली के कश्मीरी गेट थाने में दर्ज करवाया गया यह मुकदमा फर्जी है। चिटहेरा भूमि घोटाले की जांच के दौरान एसआईटी के सामने यशपाल तोमर के मुखौटे मालू ने बयान दिया। मालू ने बताया कि चिटहेरा के किसानों के खिलाफ फर्जी मुकदमा कश्मीरी गेट थाने के तत्कालीन एसएचओ देवेंद्र सिंह से मिलीभगत करके दर्ज करवाया गया था। एसएचओ ने रिश्वत के तौर एक कार ली थी। वह कार यशपाल तोमर के ममेरे भाई गजेंद्र सिंह के नाम थी। गजेंद्र सिंह बागपत का कुख्यात सजायाफ्ता गैंगस्टर है। वह अभी यशपाल तोमर के साथ हरिद्वार जेल में बंद है। इस बयान की तस्दीक करने के लिए ट्राईसिटी टुडे ने पड़ताल की थी। रिश्वत में ली गई कार नोएडा के सेक्टर-22 स्थित देवेंद्र सिंह के घर के बाहर खड़ी पाई गई। आपके पसंदीदा न्यूज़ पोर्टल ट्राईसिटी टुडे ने इस मुद्दे पर एक के बाद एक कई खबरें प्रकाशित की थीं। जिनके आधार पर दिल्ली के पुलिस आयुक्त ने देवेंद्र सिंह के खिलाफ जॉइंट पुलिस कमिश्नर (विजिलेंस) को जांच का आदेश दिया। यह जांच चल रही है।
मुकदमे का वादी चला गया हाईकोर्ट
कश्मीरी गेट थाने में चिटहेरा के किसानों के खिलाफ नरेंद्र कुमार ने मुकदमा दर्ज करवाया था। नरेंद्र चिटहेरा भूमि घोटाले में अभियुक्त है। उसके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट में भी मुकदमा दर्ज किया गया है। वह फरार है और उसके खिलाफ 50 हजार रुपये का ईनाम घोषित है। लेकिन इसी बीच अक्टूबर 2023 में नरेंद्र ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और बताया कि उसने कश्मीरी गेट थाने में चिटहेरा गांव के किसानों के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं करवाया है। उसके नाम और आईडी का गलत इस्तेमाल करके यह फर्जी मुकदमा दर्ज करवाया गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने इसे बेहद गंभीर प्रकरण माना और दिल्ली पुलिस को जांच का आदेश दिया। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच जांच कर रही है।
गौतमबुद्ध नगर पुलिस नाकाम साबित हुई
चिटहेरा भूमि घोटाला गौतमबुद्ध नगर में हुआ। यहां के दलित और पिछड़े किसानों पर यशपाल तोमर ने ज्यादती है। गौतमबुद्ध नगर पुलिस के सामने यह बात खुल चुकी है कि किसानों के खिलाफ दिल्ली में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए थे। इन मुकदमों को ख़त्म करवाने के गौतमबुद्ध नगर पुलिस ने कोई प्रयास नहीं किया। आज तक मालू के बयान की तस्दीक नहीं की गई। दिल्ली पुलिस को यह जानकारी नहीं भेजी गई। जिसका नुकसान निर्दोष किसानों को उठाना पड़ रहा है।
ब्रह्मसिंह को अब जेल जाना पड़ा
चिटहेरा गांव के किसानों के खिलाफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (सेंट्रल) की कोर्ट में मुकदमा चल रहा है। मामले में 11 दिसंबर 2023 को सुनवाई की। अदालत ने कहा, "फ़ाइल के अवलोकन से ऐसा प्रतीत होता है कि 17.09.2018 को इस अदालत ने आरोपी ब्रह्मसिंह और राम कुमार को भगोड़ा घोषित कर दिया था। चूंकि अभियुक्त आज उपस्थित है और कोई जमानत आदेश उसके पक्ष में पारित नहीं किया गया है। सत्र न्यायालय या कोई अन्य उच्च न्यायालय ने ब्रह्मसिंह को आईपीसी की धारा 364-ए के तहत जमानत नहीं दी है। यह अपराध सत्र न्यायालय में विचारणीय है। लिहाजा, आरोपी ब्रह्मसिंह को हिरासत में ले लिया जाए और न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया जाए।" ब्रह्मसिंह पिछले आठ दिनों से तिहाड़ जेल में बंद हैं। उनका पूरा परिवार परेशान है।
यशपाल तोमर ने किया अरबों का घोटाला, ट्राईसिटी टुडे की मुहिम ने पहुंचाया जेल
आपको बता दें कि मूल रूप से बागपत का रहने वाले यशपाल तोमर ने चिटहेरा गांव में अरबों रुपए का घोटाला किया। चिटहेरा भूमि घोटाले का मास्टरमाइंड यशपाल तोमर है। उसके साथ तमाम अधिकारी और मंत्रियों के नाम शामिल बताए जाते हैं। यशपाल तोमर ने घोटाले में अपने नौकर मालिक मालू भी शामिल किया। इस घोटाले को लेकर आपके पसंदीदा वेबपोर्टल "ट्राईसिटी टुडे" ने मुहिम चलाई और यशपाल तोमर सलाखों के पीछे पहुंच गया। यशपाल तोमर ने किसानों की जमीन हड़पने के लिए उनके ऊपर फर्जी मुकदमा दर्ज करवाए। कुछ किसानों पर तो रेप के फर्जी मुकदमे तक दर्ज करवाए गए।
बागपत का रहने वाला है गैंगस्टर यशपाल तोमर
यशपाल तोमर मूल रूप से बागपत जिले के बरवाला गांव का रहने वाला है। वह पेशे से किसान था। यशपाल और उसके पांच भाइयों के पास कुल नौ बीघा जमीन थी। इसके बाद यशपाल एक पुलिस अधिकारी के संपर्क में आया और जमीनों पर कब्जे करने लगा। फिर उसने सफेदपोश नेताओं का साथ पकड़ लिया और शातिर अपराधी बन गया। उत्तराखंड की एसटीएफ ने उसकी संपत्ति का आंकलन किया तो वह 153 करोड़ रुपये की पाई गई। जांच में यशपाल पर दर्ज 28 मुकदमे पाए गए हैं। जिनमें उसने लोगों को ब्लैकमेल करके उनकी संपत्ति हड़प ली। यशपाल और उसके गैंग का पूरा चिट्ठा हासिल करने के बाद एसटीएफ ने 29 जनवरी 2022 को उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया था। बाद में उसका साथी धीरज दिगानी और फिर गजेंद्र गिरफ्तार किया गया। गजेंद्र और यशपाल ममेरे-फुफेरे भाई हैं। गजेंद्र बागपत के टीकरी गांव का निवासी है। उत्तराखंड एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि भूमाफिया यशपाल तोमर के खिलाफ हरिद्वार के ज्वालापुर कोतवाली में गैंगस्टर का मुकदमा दर्ज हुआ था। उस मामले की विवेचना भी एसटीएफ कर रही है।
2000 पन्नों की चार्जशीट में पूरी क्रिमिनल हिस्ट्री
करीब 2000 पन्नों की चार्जशीट में यशपाल तोमर का आपराधिक इतिहास बताया गया है। जिसमें बताया गया है कि यशपाल किस तरह से रसूखदारों से मिलकर आम आदमी की जमीनों पर कब्जा करता था। वह बेहद काम वक्त में 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का मालिक बन गया था। गैंगस्टर यशपाल तोमर का नाम वर्ष 2022 के दौरान प्रकाश में आया था। यशपाल ने हरिद्वार के एक बड़े व्यापारी को उसकी संपत्ति पर कब्जा करने की धमकी दी। इस मामले में थाना ज्वालापुर (हरिद्वार) में मुकदमा दर्ज किया गया। एसटीएफ ने गोपनीय जांच की। यशपाल तोमर की कहानी सामने आई। इसके बाद एसटीएफ ने कार्रवाई आगे बढ़ाई। कई हैरान करने वाली घटनाएं सामने आईं।
62 लाख की जमीन ढाई लाख रुपये में ऐसे हड़पी गई
हरिचंद पुत्र कुंदन चिटहेरा गांव के किसान हैं। उनकी उम्र करीब 80 वर्ष है। हरिचंद बताते हैं, "यशपाल तोमर और उसके गुर्गों का हमारे गांव में आतंक था। यशपाल तोमर और उसका ममेरा भाई गजेंद्र गांव में किसानों को परेशान करके मनमानी कर रहे थे। दादरी तहसील के तमाम अफसर और रजिस्ट्रार दफ़्तर उनके साथ मिले हुए थे। हम लोगों की शिकायतों पर कोई सुनवाई करने वाला नहीं था। यशपाल तोमर और उसका भाई मुझे जबरन उठाकर ले गए। धमकी दी कि अगर मैंने उनकी बात नहीं सुनी तो मेरे परिवार के सदस्यों को भी फर्ज़ी मुकदमे में फंसाकर जेल भेज देंगे।" हरिचंद आगे कहते हैं, "मेरी पैतृक जमीन की रजिस्ट्री गाजियाबाद में लोहिया नगर के रहने वाले विकास शर्मा पुत्र ओम प्रकाश शर्मा के नाम करवा दी। उस वक़्त जमीन की बाजार क़ीमत केवल ढाई लाख रुपये तय कर दी गई। जबकि, सर्किल रेट पर ही उस वक्त मेरी जमीन की कीमत 62,20,000 रुपये थी। मुझे केवल ढाई लाख रुपये दिए गए थे। मेरी जमीन की रजिस्ट्री में सरकार को ही 2,89,300 रुपये का राजस्व मिल गया। मतलब, मुझसे ज़्यादा तो सरकार को फायदा हुआ।"