Greater Noida : ग्रेटर नोएडा अथाॅरिटी (Greater Noida Authority) 70 लोगों की हुई फर्जी नियुक्ति मामले की रिपोर्ट से सीईओ संतुष्ट नहीं हैं। सीईओ ने फिर से जांच करने के लिए जांच समिति को निर्देश दिए हैं। वहीं, फर्जी नियुक्ति घोटाले की पोल खोलने वाले राजेंद्र सिंह का कहना है, "शासन के आदेश पर तीन एसीईओ की बनी समिति चार महीने बाद भी जांच पूरी नहीं कर सकी है। जांच पर अधिकारी कुंडली मारे बैठे हुए हैं।" अब शिकायत करने वालों ने इस बाबत एक बार फिर से सीएम योगी आदित्यनाथ के पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है। वहीं, इस मामले को अब अदालत के दरवाजे तक ले जाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है।
राजेन्द्र सिंह का कहना है कि तीनों एसीईओ इसलिए फर्जी नियुक्ति घोटाले को दबाने में लगे हैं, क्योंकि कहीं न कहीं उनमें एक अधिकारी भी फंस सकता है। दरअसल, इंटरव्यू के आधार पर कर्मचारी रखने की बात की जा रही है, लेकिन अधिकारियों के पास इंटरव्यू की नंबर शीट तक नहीं है। जांच में कर्मचारियों को इस लिए भी बचाया जा रहा है, क्योंकि इस फर्जी नियुक्ति में खुद सीईओ के स्टाफ अफसर वीपी नवानी के बेटे को नौकरी दी गई। भर्ती के प्रभारी रहे एसीईओ अमनदीप डुली के स्टाफ अफसर राजा राम मौर्य, एसीईओ के चपरासी ध्रुव सिंह और मानव संसाधन विभाग के मैनेजर शामिल हैं। राजेंद्र सिंह ने बताया कि एसीईओ प्रेरणा शर्मा की अध्यक्षता में बनी समिति में एसीईओ आन्नद वर्धन और अमनदीप डुली शामिल थे।
समिति ने उनसे 28 नंवबर 2022 को भर्ती घोटाले से संबंधित सबूत मांगे थे। राजेंद्र सिंह ने समिति को सभी सबूत लिखित में सौंप दिए थे। इनमें ग्रेटर नोएडा एंप्लाइज असोसिएशन के अध्यक्ष गजेंद्र चैधरी ने अपने बेटे समेत दस लोगों को भर्ती करवाया था। वहीं, इस मामले में मेरठ मेडिकल के रहने वाले नीलकमल ने भी सीएम पोर्टल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दफ्तर में लिखित शिकायत दर्ज कराई है। सीएम और पीएम दफ्तर से आए पत्रों को भी ग्रेटर नोएडा अथाॅरिटी के अधिकारियोें ने कोई तवज्जो नहीं दी। चार महीनें से फर्जी भर्ती नियुक्ति को अधिकारी लटकाए हुए हैं।