ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ समेत 3 अफसरों के खिलाफ जांच शुरू, 300 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप

आज की सबसे बड़ी खबर : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ समेत 3 अफसरों के खिलाफ जांच शुरू, 300 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ समेत 3 अफसरों के खिलाफ जांच शुरू, 300 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप

Tricity Today | ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण

  • - ग्रेटर नोएडा के पूर्व सीईओ पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप
  • - डिजिटल सिस्टम तैयार करने के नाम पर 300 करोड़ का घोटाला
  • - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए जांच के निर्देश
  • - एसीईओ ने ओएसडी से 15 दिनों में मांगी रिपोर्ट
  • - पूर्व सीईओ समेत 3 अफसरों पर लगे आरोप
Greater Noida : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के दफ्तर में डिजिटल सिस्टम तैयार करने के नाम पर 300 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है, ऐसे आरोप प्राधिकरण के पूर्व मुख्य कार्यपालक अधिकारी, जनरल मैनेजर प्लानिंग और वरिष्ठ प्रबंधक (सिस्टम) पर लगाए गए हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों की शिकायत प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पोर्टल पर की गई है। यह शिकायत गांव बादलपुर के निवासी समाजसेवी राजेंद्र नागर ने की है। मुख्यमंत्री ने इस मामले में जांच के निर्देश दिए हैं। जिसके बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जांच शुरू हो गई है। प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदिति सिंह ने विशेष कार्याधिकारी सौम्य श्रीवास्तव को जांच सौंपी है। उन्होंने इस प्रकरण की जांच करके तथ्यात्मक आख्या 15 दिनों में उपलब्ध करवाने के आदेश दिए हैं।

बादलपुर निवासी समाजसेवी ने की शिकायत
बादलपुर निवासी राजेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री पोर्टल और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करते हुए कहा, "ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ, महाप्रबंधक नियोजन और वरिष्ठ प्रबंधक सिस्टम ने नियमों के विपरीत कार्य किया है।" उन्होंने आरोप लगाते हुए आगे कहा, "अथॉरिटी में डिजिटल सॉफ्टवेयर तैयार करने के लिए एक नामी कंपनी को काम दिया गया है। अनुबंध की शर्तों के विपरीत भुगतान कर दिया गया है। कमीशन की आड़ में अतिरिक्त समय सीमा बढ़ाते हुए निरंतर प्रत्येक महीना भुगतान किया जा रहा है।" 

300 करोड रुपए के घोटाले का आरोप
राजेंद्र सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा है कि सॉफ्टवेयर को चालू करने में अब तक प्राधिकरण 300 करोड रुपए का भुगतान कर चुका है। फिर भी सॉफ्टवेयर पूरी तरह तैयार नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि इसमें बहुत बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है। जिसकी जांच होनी अति आवश्यक है। वरिष्ठ प्रबंधक सिस्टम ने ऐसे कर्मचारियों को भर्ती कर लिया है, जो ऑनलाइन सॉफ्टवेयर तैयार करने में सक्षम नहीं हैं। आउट सोर्स कर्मचारियों से प्लानिंग में काम करवाया जा रहा है। उनके डिजिटल हस्ताक्षर और आधार नंबर पर हस्ताक्षर लिंक की अनुमति प्रदान कर दी गई है, जो नियमों के खिलाफ है। 

एसीईओ ने ओएसडी को सौंपी जांच
उन्होंने आगे प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री पोर्टल पर दाखिल शिकायत में कहा कि नियोजन विभाग में जिम्स पोर्टल के माध्यम से आउटसोर्सिंग पर महाप्रबंधक नियोजन की ओर से समस्त ऑनलाइन मानचित्र स्वीकृति और पत्रावली पर कार्रवाई की गई है। जबकि, यह कार्य अथॉरिटी में स्वीकृत पद पर तैनात स्थाई कर्मचारियों के द्वारा करवाना चाहिए। इसी तरह प्रोजेक्ट, भूलेख, वित्त, विधि और संपत्ति विभाग में भी आउटसोर्सिंग पर आए कर्मचारियों से प्राधिकरण के तमाम संवेदनशील और महत्वपूर्ण काम करवाए जा रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ के पोर्टल पर शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल नंदी को भी लेटर भेजा है। अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अदिति सिंह के आदेश पर ओएसडी सौम्य श्रीवास्तव ने जांच शुरू कर दी है।

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