क्या सीएम के सपने को बर्बाद कर रही है अफसरों की काहिली

गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट की नाकामी का चेहरा हैं ये तीन मासूम : क्या सीएम के सपने को बर्बाद कर रही है अफसरों की काहिली

क्या सीएम के सपने को बर्बाद कर रही है अफसरों की काहिली

Tricity Today | वैभव, यश और कुणाल

Noida News : गौतमबुद्ध नगर जिले से अपराध का सफाया करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 15 जनवरी 2020 को बड़ा कदम उठाया और पुलिस अधीक्षक सिस्टम खत्म करके पुलिस कमिश्नर रूल लागू किया था। ग्रेटर नोएडा वेस्ट में रहने वाले एमएनसी मैनेजर गौरव चंदेल हत्याकांड के बाद यह फैसला लागू हुआ। परिणाम आशा से बेहतर आए और योगी आदित्यनाथ अपने इस फ़ैसले के लिए राष्ट्रीय स्तर पर छा गए। पुलिस कमिश्नरेट ने अपने शुरुआती दौर में शानदार काम करके दिखाया। एक से बढ़कर एक परिणाम दिए। पिछले एक साल में कई ऐसी वारदात हुई हैं, जिनकी वजह से गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट पर नाकामी के बदनुमा दाग़ लगे हैं। इनमें तीन मासूमों वैभव, दक्ष और कुणाल की अपहरण के बाद हत्याएं सबसे ऊपर हैं। गौतमबुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरेट तो छोड़िए एसएसपी रूल के इतिहास में ऐसा देखने के लिए नहीं मिला था।

वैभव सिंघल हत्याकांड
वैभव की लाश रबूपुरा थाना क्षेत्र में स्थित चचूरा गांव के पास नहर से बरामद हुई थी। कई दिनों तक गोताखोर और एनडीआरएफ की टीम वैभव की लाश ढूंढ़ने में लगी हुई थी। वैभव अपने घर से बीते 30 जनवरी 2024 को गायब हुआ था। उसके बाद परिजनों ने दनकौर पुलिस को शिकायत दी। आरोप रहा कि पुलिस ने वैभव की तलाश के लिए कोई काम नहीं किया, जिसकी वजह से उसकी हत्या हुई। वैभव सिंघल बिलासपुर कस्बे में रहने वाले एक व्यापारी का बेटा था। वैभव के मोबाइल में एक मुस्लिम लड़की के आपत्तिजनक फोटो थे। जिस लड़की के फोटो थे, उसी के प्रेमी ने पहले वैभव को मिलने के लिए बुलाया और उसके बाद उसकी हत्या कर दी। वैभव को मोबाइल से आपत्तिजनक फोटो डिलीट करवाने के लिए बुलाया था, लेकिन दोनों के बीच विवाद हो गया। विवाद मामला इतना बढ़ गया कि आरोपी ने वैभव की हत्या कर दी। परिवार की महिलाओं ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाया था कि पुलिस को हत्यारोपियों के नाम बताए थे। पुलिस ने लापरवाही बरती थी। वैभव हत्याकांड को लेकर स्थानीय विधायक धीरेंद्र सिंह और औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी मुख्यमंत्री से मिले थे।

यश मित्तल हत्याकांड
अमरोहा के रहने वाले एक कारोबारी ने 27 फरवरी 2024 को दादरी पुलिस में बेटे यश की गुमशुगी की शिकायत दर्ज कराई। यश ग्रेटर नोएडा की एक यूनिवर्सिटी में बीबीए फर्स्ट ईयर का छात्र था। वह 26 फरवरी को अचानक गायब हो गया था। गुमशुदगी की शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने कई टीमों का गठन कर जांच शुरू करने का दावा किया। पुलिस ने गुमशुदा छात्र की तलाश के लिए चलाए गए ऑपरेशन के तहत एक आरोपी को हिरासत में लिया। आरोपी ने पूछताछ में बताया कि 26 फरवरी को उन्होंने यश को फोन करके अमरोहा बुलाया था। इसके बाद उन्होंने यश के साथ मिलकर तिगरिया अमरोहा के जंगलों में बैठकर पार्टी की। इस दौरा यश का अपने दोस्तों के साथ किसी बात पर विवाद हो गया और उन्होंने यश की गला दबाकर हत्या कर दी। वहीं पांच से छह फीट का गड्ढा खोदकर उसका शव दबा दिया। पुलिस को लाश मिली और अफ़सरों ने कड़ी कार्रवाई करने का परिवार को आश्वासन देकर अपने फ़र्ज़ की अदायगी कर दी।

कुणाल शर्मा हत्याकांड
अब 1 मई 2024 ग्रेटर नोएडा शहर से एक कारोबारी के बेटे कुणाल शर्मा का दोपहर में अपहरण कर लिया गया। पिछले पांच दिनों से गौतमबुद्ध नगर पुलिस तेज़ तर्रार अफ़सरों की टीमें गठित करने, सर्विलांस, परिवार के लोगों की कोल डिटेल खंगालने और तमाम दूसरे हाथ-पांव मारने के दावे करती रही। रविवार की सुबह कुणाल शर्मा की लाश बुलंदशहर गंगनहर में पड़ी मिली है। कुणाल शर्मा के परिवार में कोहराम मचा हुआ है। उसकी मां बेहोश पड़ी हुई है। गौतमबुद्ध नगर पुलिस एक बार फिर वही घिसा-पिटा राग अलाप रही है। जॉइंट पुलिस कमिश्नर शिव हरि मीणा ने लाश बरामद होने के बाद बयान जारी किया है। उनका कहना है कि इस मामले में पुलिस को महत्वपूर्ण तथ्य मिले हैं। जल्दी कार्रवाई की जाएगी। अब जब कुणाल शर्मा की हत्या हो चुकी है तो पुलिस को मिले महत्वपूर्ण तथ्यों की क्या क़ीमत बाक़ी है है?

नाकामी की वजहें क्या
  1. काबिल अफसरों को मौका नहीं : ज़िले के थानों में एसएचओ और सीनियर सब इंस्पेक्टर लेवल पर पुलिस अफ़सरों का सही चयन नहीं किया जा रहा है। तमाम काबिल पुलिस अफ़सर पुलिस लाइन, प्रकोष्ठों और दफ्तरों में फ़ाइलें इधर से उधर कर रहे हैं। सिफ़ारिशी थानों में जमकर बैठे हैं।
  2. प्रोफैशनल स्किल की कमी : पुलिस कमिश्नरेट में यूनिट्स और डिपार्टमेंट को प्रोफैशनली डेवलप नहीं किया जा रहा है। चाइल्ड ऐब्यूज, क्राइम अगेंस्ट वूमन, एंटी एक्सटोरशन, एंटी किडनैपिंग और साइबर क्राइम को लेकर अत्याधुनिक सोच का अभाव है।
  3. क्राइम रोकने की बजाय छिपाने पर ज़ोर : पुलिस कमिश्नरेट के तमाम अफ़सरों ने अजीबो ग़रीब रवैया अख़्तियार कर रखा है। अफ़सरों और थानेदारों का ज़ोर क्राइम कंट्रोल पर कम और न्यूज़ कंट्रोल पर ज़्यादा है। कोई भी छोटी से बड़ी घटना होने के बाद उसे छिपाने की कोशिश की जाती है।

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