फेस दो बसने से पहले तैयार हो जाएगी जेल और रिजर्व पुलिस लाइन, हापुड़ से मिलेगी एनओसी

ग्रेटर नोएडा बोर्ड बैठक में बड़ा फैसला : फेस दो बसने से पहले तैयार हो जाएगी जेल और रिजर्व पुलिस लाइन, हापुड़ से मिलेगी एनओसी

फेस दो बसने से पहले तैयार हो जाएगी जेल और रिजर्व पुलिस लाइन, हापुड़ से मिलेगी एनओसी

Tricity Today | Greater Noida

Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida Authority) की शनिवार को बोर्ड बैठक हुई। इस बोर्ड बैठक में हापुड़ के अकड़ौली गांव में रिजर्व पुलिस लाइन और जिला कारागार प्रस्तावित किया गया है। यह गांव ग्रेटर नोएडा फेज-दो का हिस्सा है। हापुड़ प्रशासन की तरफ से एनओसी के लिए आवेदन किया गया है। प्राधिकरण बोर्ड ने एनओसी देने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। इससे ग्रेटर नोएडा फेस-2 बसने से पहले कानून-व्यवस्था बेहतर होगी।

162 गांवों को मिलकर बनेगा ग्रेटर नोएडा फेस-दो
ग्रेटर नोएडा के फेस-दो प्रोजेक्ट में 162 गांव में विकास के लहर दौड़ेगी। इसको लेकर अधिसूचना जारी हो गई है। यह अधिसूचना ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी आशुतोष कुमार द्विवेदी ने जारी की है। इसके लिए वर्ग सर्किल बना दिए गए हैं। सभी वर्ग सर्किल में प्रभारी तैनात किए जाएंगे। इसके अलावा यह भी आदेश दिया गया है कि अब इन गांव में कोई भी अवैध निर्माण नहीं होगा। इन गांव में होने वाले विकास पर भी काम किया जाएगा।

फेस-दो की खासियत
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को काम करते करीब तीन दशक होने वाले हैं। अब तक विकास योजनाएं दादरी रेलवे लाइन को पार नहीं कर पाईं। दादरी और साठा-चौरासी की ग्रेटर नोएडा से दिल्ली-हावड़ा रेल लाइन के कारण खराब कनेक्टिविटी रही। अब यह समस्या खत्म हो चुकी है। लिहाजा, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने अब फेस-2 को विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है। ग्रेटर नोएडा का फेस-2 एक मुक्कमल शहर होगा। यह 35 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में विकसित किया जाएगा। इसके लिए विशेषज्ञ कंपनी ग्रेटर नोएडा का मास्टर प्लान-2041 बना रही है।

8 हिस्सों में शहर बसाने में 20 वर्षों का समय लगेगा
ग्रेटर नोएडा फेज दो 8 हिस्सों में बांटकर बसाया जाएगा। इस शहर को पूरी तरह बसाने में करीब 20 वर्षों का समय लगेगा। खास बात यह होगी कि ग्रेटर नोएडा और फेज दो एक-दूसरे से जुड़े तो होंगे लेकिन स्वतंत्र होंगे। एक-दूसरे पर निर्भर नहीं करेंगे। मसलन, ड्रेनेज सिस्टम, वाटर सप्लाई, पावर सप्लाई और बाकी इंटरनल इंफ्रास्ट्रक्चर अलग-अलग होगा। फेज दो के पास कई संसाधन ग्रेटर नोएडा के मुकाबले बेहतर होंगे। इसे ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे और गंगा एक्सप्रेसवे से बड़ा फायदा होगा।

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