Lucknow/Kanpur : ग्रेटर नोएडा के तुस्याना गांव में हुए भूमि घोटाले में मुख्य आरोपी कैलाश भाटी और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में कार्यरत क्लर्क कमल चौहान को निलंबित कर दिया गया है। दोनों को राज्य सरकार ने सस्पेंड किया है। कैलाश भाटी के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPSIDA) की अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अस्मिता लाल ने रिपोर्ट भेजी थी। दूसरी और कमल चौहान के खिलाफ ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) के अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमनदीप दुली ने रिपोर्ट दी थी। आपको बता दें कि सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कैलाश भाटी की जमानत याचिका भी खारिज कर दी है।
ग्रेटर नोएडा के तुस्याना गांव में सैकड़ों करोड़ रुपए की सरकारी जमीन का घोटाला किया गया है। मामले में सामाजिक संस्था 'सच सेवा समिति' ने शिकायत की। जिसकी जांच करने के लिए राज्य सरकार ने हाई पावर कमिटी का गठन किया। दूसरी ओर सामाजिक संस्था सच सेवा समिति ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय में मुकदमा दायर किया था। गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय में थाना ईकोटेक-3 पुलिस को करीब डेढ़ साल पहले एफआईआर दर्ज करने और जांच करने का आदेश दिया। पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। इसके बाद यह मुकदमा स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को सौंप दिया गया।
एसआईटी की छानबीन में यूपीएसआईडीए के प्रबंधक कैलाश भाटी की गंभीर भूमिका सामने आई। दरअसल, कैलाश भाटी ने भूमि अधिग्रहण की एवज में मिलने वाले 6% आबादी भूखंड की रजिस्ट्री की। रजिस्ट्री के दौरान प्रॉपर्टी की वास्तविक मालकिन की जगह इस भूमि घोटाले के मास्टरमाइंड राजेंद्र सिंह की पुत्रवधू को खड़ा कर दिया गया। इस जालसाजी, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के आधार पर गौतमबुद्ध नगर पुलिस की एसआईटी ने कैलाश भाटी और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के क्लर्क कमल चौहान को करीब 3 महीने पहले गिरफ्तार करके जेल भेजा था। घोटाले के मास्टरमाइंड राजेंद्र सिंह के बेटे दीपक सिंह को भी गिरफ्तार किया गया था।
कैलाश भाटी फिलहाल यूपीएसआईडीए के मुख्यालय कानपुर में तैनात हैं। उन्हें निलंबित कर दिया गया है। कमल चौहान को भी सस्पेंड किया गया है। दूसरी ओर कैलाश भाटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मांगी थी। हाईकोर्ट ने सोमवार को कैलाश भाटी की जमानत याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि कैलाश भाटी प्राधिकरण में कार्यरत एक अफसर हैं। वह प्रभावशाली हैं। वह मुकदमे की जांच और ट्रायल को प्रभावित कर सकता है। उसके खिलाफ शिकायतकर्ता ने पुलिस को जानकारी दी है। मुकदमा वापस लेने के लिए शिकायतकर्ता पर दबाव बनाया जा रहा है। लिहाजा, ऐसे वक्त में कैलाश भाटी को जमानत देना उचित नहीं होगा।
कुल मिलाकर इस मामले में कैलाश भाटी को राहत मिलने की बजाय आफत बढ़ती जा रही है। आपको बता दें कि कैलाश भाटी भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य और पूर्व मंत्री नरेंद्र भाटी के छोटे भाई हैं। कैलाश भाटी ने करीब 20 वर्ष तक ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण में नौकरी की है। इसी तैनाती के दौरान उन पर इस भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप लगा है।