Google Image | एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश को कोर्ट ने फिर दिया झटका
Greater Noida : तुस्याना भूमि घोटाले में एक बार फिर भाजपा के एमएलसी नरेंद्र भाटी के भाई कैलाश भाटी को बड़ा झटका लगा है। गुरुवार को भी कैलाश भाटी को जमानत नहीं मिली। यानी कि अभी और ज्यादा समय तक कैलाश भाटी को जेल में बितानी पड़ेगी। कैलाश भाटी ने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में प्रबंधक पद पर रहते हुए तुस्याना गांव में लगभग 250 करोड़ रुपए की भूमि का घोटाला करवाया था। इस मामले में गौतमबुद्ध नगर की ईकोटेक-3 कोतवाली पुलिस ने कैलाश भाटी समेत 4 लोगों को बीते 16 नवंबर को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
कैलाश भाटी क्यों गए जेल
दादरी तहसील के गांव तुस्याना में खसरा संख्या 987, 1104, 1105 और 1106 में ग्राम समाज की जमीन थी। यह जमीन टेक्नोलॉजी पार्क लिमिटेड नाम की कंपनी ने अधिग्रहित कर ली थी। इसके बाद जमीन कंपनी की खतौनी में खाता संख्या 279 और 280 में दर्ज की गई। चकबंदी से पहले इन खसरों में ग्राम समाज की जमीन, बंजर, नाली, गैर मुमकिन और पट्टों की जमीन थी।
20 सालों से लोग हो रहे परेशान
लिहाजा, इस सरकारी जमीन के बैनामे नहीं किए जा सकते थे। इस घोटाले को लेकर करीब 2 दशकों से गांव के लोग विभिन्न स्तर पर शिकायत कर रहे थे। शिकायतों के आधार पर शासन ने स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया। जिसके बाद कैलाश भाटी, भूमाफिया राजेन्द्र सिंह के बेटे दीपक सिंह समेत तीन लोगों को अरेस्ट करके जेल भेजा। जब कैलाश भाटी प्रॉपर्टी डिपार्टमेंट में बतौर मैनेजर काम कर रहे थे तो उन्होंने दीपक सिंह की पत्नी के नाम 6 प्रतिशत आबादी का भूखंड आवंटित किया था। रजिस्ट्री करते वक्त दीपक सिंह की पत्नी का फोटो लगाया गया और नाम व पता दूसरी महिला का लिखा गया था।
इस गलती ने कर दिया भंडाफोड़
भूमि घोटाले को अंजाम देने वाले भूमाफिया मास्टरमाइंड बेखौफ थे। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर सुनवाई चल रही थी और शासन के आदेश पर हाई पावर इन्वेस्टिगेशन कमेटी गठित हो चुकी थी, तब भी भूमाफिया जमीन का मुआवजा उठाने की तैयारी कर रहे थे। बस इसी एक गलती ने इन लोगों का पूरा खेल बिगाड़ दिया।
पूरा गोरखधंधा खुलकर ऐसे सामने आया
दरअसल, असली मधु पत्नी प्रजोत सिंह (पुत्री जीएस कम्बोज) ने 24 अगस्त 2022 को गौतमबुद्ध नगर के अपर जिला एवं सत्र न्यायधीश की अदालत में एक शपथ पत्र दिया। यह शपथ पत्र अधिग्रहीत जमीन की एवज में 64.7% अतिरिक्त मुआवजा उठाने के लिए दाखिल किया गया। इस शपथ पत्र पर लगे फोटो और आबादी के प्लॉट की रजिस्ट्री पर लगे फोटो अलग-अलग हैं। जिससे यह पूरा गोरखधंधा खुलकर सामने आ गया।