Greater Noida News : इसे सत्ता का रसूख कहें या फिर जिला प्रशासन की लापरवाही। जिस जमीन की जालसाजी में सीबीआई की विशेष अदालत दोषियों को सजा सुना चुकी है, उसी जमीन पर गौतमबुद्ध नगर प्रशासन ने अब तक कब्जा नहीं लिया है। अदालत को फैसला सुनाएं 3 साल हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन है कि हाथ पर हाथ रख कर बैठा है। कई बार प्रशासन ने दावे किए कि ग्राम समाज की जमीन पर बनी बिल्डिंग और दुकानों से अवैध कब्जे जल्द हटा दिए जाएंगे, लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं के दबाव में प्रशासन की कार्रवाई हर बार ठंडे बस्ते में चली जाती है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी भी गहरी नींद में है। दरअसल, राज्य सरकार ने ग्राम सभा की ज़मीनों का कस्टोडियन अथॉरिटी को घोषित कर दिया है।
क्या है पूरा मामला
यह मामला कासना गांव की 135 बीघा ग्राम समाज की जमीन से जुड़ा है। जमीन पर बड़ी संख्या में दुकान और मकान बने हुए हैं। जिन लोगों ने फर्जी तरीके से ग्राम समाज की जमीन पर पट्टे कराए थे, उन्हें सीबीआई कोर्ट दोषी मानते हुए सजा सुना चुकी है। अब इस मामले में ग्राम सादुल्लापुर के पूर्व प्रधान ध्यान सिंह ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। उन्होंने बताया है कि कासना ग्राम सभा की 135 बीघा जमीन को अवैध रूप हड़पने के लिए राजस्व अभिलेखों में साजिश करके जालसाजी की गई। इन 17 लोगों ने जमीन अपने नाम करवा ली। इस मामले की जांच उच्च न्यायालय इलाहाबाद के आदेश पर सीबीआई को सौंपी गई। सीबीआई की देहरादून शाखा ने जांच की। यह मामला 17 अभियुक्तों के खिलाफ आईपीसी धारा 120 बी, 420, 466, 467, 468, 471 के तहत दर्ज हुआ था। सीबीआई ने अपनी विवेचना में होशियार सिंह नागर समेत 17 विभिन्न लोगों को आरोपित किया।
सीबीआई की विशेष अदालत ने सजा सुनाई
ध्यान सिंह कहते हैं, “सीबीआई कोर्ट ने 29 मार्च 2019 को सभी अभियुक्तों को दोषी करार दिया। जिसका सीधा सा तात्पर्य यह है कि कासना गांव की जिस 135 बीघा भूमि पर इन अभियुक्तों ने कूटरचित पट्टा कराए गए थे, वह अब भूमि ग्राम सभा की है। सीबीआई कोर्ट के निर्णय को अविलंब अमल में लाकर ग्राम सभा की सरकारी भूमि को कब्जे में लिया जाए।”
“सत्तारूढ़ नेता कर रहे हैं संरक्षण”
मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि सीबीआई कोर्ट के फ़ैसले की जानकारी गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन को है। इसके बावजूद आज तक सरकारी ज़मीन को वापस लेने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया गया है। दूसरी तरफ़ इस ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा करने वाले लोग सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए हैं। यह लोग पहले समाजवादी पार्टी में थे और उससे पहले बहुजन समाज पार्टी में थे। राज्य में जिस दल की सरकार बनती है, यह लोग उसी दल में शामिल हो जाते हैं। इनका मक़सद केवल अपने अवैध धंधों को सत्ता की आड़ में रखना है। उनका यह भी आरोप है कि भारतीय जनता पार्टी के कुछ नेता इन जालसाजों का संरक्षण कर रहे हैं।
आखिर कौन करे कार्रवाई?
देहरादून की विशेष सीबीआई अदालत ने अपने फ़ैसले में सरकारी ज़मीन पर वापस क़ब्ज़ा लेने का आदेश भी गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन को दिया है, लेकिन यह पूरा मामला जिला प्रशासन और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बीच लटका हुआ है। दरअसल, पिछले साल राज्य सरकार ने गौतमबुद्ध नगर ज़िले में ग्राम सभा की संपत्तियों का कस्टोडियन विकास प्राधिकरणों को घोषित कर दिया है। ऐसे में जिला प्रशासन ने कासना भूमि घोटाले की 135 बीघा ज़मीन वापस क़ब्ज़े में नहीं ली है। दूसरी तरफ विकास प्राधिकरण में क़रीब आधा दर्जन अधिकारी और कर्मचारी इस घोटाले में सजा पाने वालों के रिश्तेदार हैं। जिसके चलते कार्रवाई आगे नहीं बढ़ रही है।