कवि और कैदी मिलकर हंसे-गुनगुनाए

गौतमबुद्ध नगर जेल में कवि सम्मेलन, कवि और कैदी मिलकर हंसे-गुनगुनाए

कवि और कैदी मिलकर हंसे-गुनगुनाए

Tricity Today | गौतमबुद्ध नगर जेल में कवि सम्मेलन

श्री साहित्य सरगम संस्था के तत्वावधान में सोमवार को गौतमबुद्ध नगर जिला कारागार में कैदियों के हृदय परिवर्तन के लिए देश के महनीय कवियों ने शानदार कवि सम्मेलन का आयोजन किया। कवि सम्मेलन का शुभारंभ हरियाणा के पूर्व कमिश्नर मोहन सिंह अहलूवालिया और समाजसेवी पवन शर्मा ने दीप प्रज्ज्वलित करके किया। इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कवि अनिल अग्रवंशी ने और सफल संचालन कवि अमित शर्मा ने किया।

कवि सम्मलेन में दिल्ली के कवि राजेन्द्र "कलकल" ने अपनी हास्य कविताओं से सबको हंसाते-हंसाते लोटपोट कर दिया। उत्तराखण्ड से आए मोहन मुन्तज़िर ने अपने कविता पाठ में कहा,

"प्यार करो धरती से और आज़ाद बनो, अशफ़ाक़ बनो,
लैलाओ के चक्कर में मजनू बनने से क्या होगा..."
दिल्ली से पधारीं मोनिका देहलवी ने श्रृंगार रस की कविता सुनाते हुए कहा,
"दिल में तेरे बैचेनी आंखों को नम छोड़ जाएंगे,
तुम क्या हमें छोड़ोगे, तुम को ख़ुद हम छोड़ जाएंगे।"


अमित शर्मा ने देश के हालातों पर कटाक्ष करते हुए काव्यपाठ में कहा, 

"गरीबी क्या से क्या इंसान को बना देती है,
छोटी उम्र में ही हुनारवान बना देती है।"
ग़ाज़ियाबाद के कवि कुशल कुशवाहा ने कहा, 
"यूपी के कुंवारे सभी ये सोच रहे हैं, 
बाबाजी अपनी ही तरह बाबा न बना दें।"


जेल के बंदियों ने भी काव्य पाठ किया
कवियों के साथ जेल के कई बंदियों ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम के उपरांत जेल की संगीत मंडली ने लोक रागनी गाकर बंदियों का मनोरंजन किया। कवि सम्मेलन की शानदार मेज़बानी जेल अधीक्षक बीएस मुकुंद और जेलर एके सिंह ने की। अंत में जेलर एके सिंह ने सभी कवियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर जेल में होते रहने चाहिए।

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