Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा के चिटहेरा गांव में अरबों रुपए की सरकारी जमीन माफिया ने हड़प ली है। कई स्थानीय नेताओं के कनेक्शन माफिया के साथ जुड़े हुए हैं। जिनके दम पर सैकड़ों करोड़ रुपए का यह घोटाला किया गया है। दादरी तहसील में तैनात रहे कई प्रशासनिक अधिकारी भी इस घोटाले में शामिल हैं। इतना ही नहीं दलितों और किसानों के पट्टों से जुड़े तहसील के राजस्व रिकॉर्ड में बड़े पैमाने पर हेराफेरी करके यह पूरा खेल हुआ है। गांव के जिन लोगों ने इसका विरोध किया, उनके खिलाफ दूसरे राज्यों में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाए गए और जेल भिजवा दिया गया। अब इस मामले में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक से कुछ लोगों ने शिकायत की है। जिस पर डीजीपी ने यूपी एसटीएफ को जांच सौंपी है।
क्या है पूरा मामला
लोनी के निवासी प्रताप सिंह ने शिकायत डीजीपी मुकुल गोयल से की है। प्रताप सिंह ने डीजीपी को बताया कि चिटहेरा गांव में दलितों और भूमिहीनों के नाम पर पट्टे आवंटित किए गए। इसके बाद तहसील में रखे दस्तावेजों में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया गया। मतलब किसी आवंटी को ग्राम पंचायत समिति ने आधा बीघा जमीन दी थी, दस्तावेजों में कटिंग और गड़बड़ियां करके उनके नाम कई-कई बीघा जमीन कर दी गई। इसके बाद माफिया ने दूसरे जिलों से एससी और एसटी जातियों से ताल्लुक रखने वाले लोगों को चिटहेरा का मूल निवासी बताकर रजिस्ट्री और एग्रीमेंट करवाए गए। जब तक यह जमीन चिटहेरा गांव के दलितों के नाम थी, उन्हें तहसील प्रशासन ने संक्रमणीय भूमिधर घोषित नहीं किया। जैसे ही जमीन बाहरी लोगों के नाम दर्ज हुई, उन्हें संक्रमणीय भूमिधर घोषित कर दिया गया।
सरकार को बेच डाली सरकारी जमीन
इसके बाद इस जमीन का मुआवजा ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से हासिल किया गया है। बड़ी बात यह है कि जिस वक्त ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने माफिया और उसके गुर्गों को करोड़ों रुपए मुआवजा बांटा, उस वक्त मेरठ के मंडलायुक्त की अदालत ने इन पट्टों पर स्टे आर्डर दे रखा था। दादरी तहसील में तैनात रहे प्रशासनिक अधिकारियों ने इस आदेश को नजरअंदाज करके रिपोर्ट लगाई हैं। अपर मंडल आयुक्त राधेश्याम मिश्रा की अदालत ने 29 नवंबर 2017 को स्थगन आदेश पारित किया था। इसके बावजूद 2018 में ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से करोड़ों रुपए मुआवजा उठा लिया गया। मतलब, सरकारी जमीन सरकार को ही बेचकर अरबों रुपए का चूना लगाया गया है। इस घोटाले में ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, दादरी तहसील और माफिया शामिल हैं।
विरोध करने वाले ग्रामीण गए जेल
चिटहेरा गांव के दलितों और भूमिहीन परिवारों को जो पट्टे दिए गए थे, उन पर माफिया ने जबरन कब्जा कर लिया। जब लोगों ने विरोध किया तो उनके खिलाफ उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा में फर्जी मुकदमे दर्ज करवाया गए। लोगों को जेल भिजवाया गया और दबाव में लेकर उनकी जमीन का एग्रीमेंट माफिया ने अपने गुर्गों के नाम करवाया। इसके बाद तहसील के प्रशासनिक अधिकारियों ने अपर आयुक्त के आदेश की अनदेखी करते हुए माफिया का सहयोग किया और पट्टों की जमीन बाहरी लोगों के नाम अंतरित कर दी। इसके बाद इस जमीन का मुआवजा ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से उठा लिया गया। अब इस पूरे मामले की जांच यूपी एसटीएफ कर रही है।
नोएडा एसटीएफ ने जांच शुरू की
पुलिस महानिदेशक मुकुल गोयल ने इस पूरे मामले की जांच करने का आदेश यूपी एसटीएफ को दिया है। यूपी एसटीएफ के अपर पुलिस महानिदेशक ने जांच नोएडा एसटीएफ को सौंपी है। नोएडा एसटीएफ के डीएसपी देवेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें जांच मिली है। चिटहेरा गांव में जमीन घोटाला करने और स्थानीय लोगों को फर्जी मुकदमे दर्ज करवा कर जेल भेजने की शिकायत की गई हैं। अभी जांच चल रही है। लिहाजा, इससे ज्यादा कोई जानकारी अभी नहीं दी जा सकती है।
ट्राईसिटी टुडे ने की मामले की पड़ताल
इस पूरे घोटाले की जांच ट्राईसिटी टुडे ने अपने स्तर पर की है। जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। इस पूरे मामले में ना केवल माफिया बल्कि कई बड़े नेता और अफसर भी शामिल हैं। इससे जुड़े दस्तावेज उपलब्ध हैं। जिनकी जांच की जा रही है। अगले कुछ दिनों के दौरान हम लगातार इस मामले पर हकीकत पाठकों के सामने रखेंगे। लिहाजा, ट्राईसिटी टुडे के साथ बने रहिए।