हिंडन खादर में फिर भूमाफिया का खेल, रजिस्ट्रार ने 4 बैनामे दर्ज किए, नहीं ली प्राधिकरण की एनओसी और ना प्रशासन से अनुमति

EXCLUSIVE : हिंडन खादर में फिर भूमाफिया का खेल, रजिस्ट्रार ने 4 बैनामे दर्ज किए, नहीं ली प्राधिकरण की एनओसी और ना प्रशासन से अनुमति

हिंडन खादर में फिर भूमाफिया का खेल, रजिस्ट्रार ने 4 बैनामे दर्ज किए, नहीं ली प्राधिकरण की एनओसी और ना प्रशासन से अनुमति

Tricity Today | हिंडन खादर में फिर भूमाफिया का खेल

ग्रेटर नोएडा में हिंडन नदी का खादर क्षेत्र भूमाफिया की ऐशगाह बना हुआ है। करीब एक साल पहले हिंडन नदी खादर में अवैध निर्माण और गतिविधियों को रोकने के लिए जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने कानूनों का हवाला देते हुए सभी प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार को आदेश भेजा था। जिसमें कहा था कि हिंडन और यमुना नदी के खादर क्षेत्रों में संपत्ति खरीद-फरोख्त की रजिस्ट्री करने से पहले नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना होगा। जिला प्रशासन से भी मंजूरी लेनी पड़ेगी। इसके अलावा जमीन खरीदने वाला व्यक्ति एक हलफनामा दाखिल करेगा। जिसमें वह शपथ लेगा कि जमीन पर अवैध निर्माण नहीं करेगा। अनाधिकृत गतिविधियां संचालित नहीं करेगा। अब ग्रेटर नोएडा के प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार ने डीएम के इस आदेश को दरकिनार करते हुए बड़ी संख्या में रजिस्ट्री कर दी हैं। ट्राईसिटी टुडे की पड़ताल में ऐसी चार रजिस्ट्री सामने आई हैं। हालांकि, प्रॉपर्टी कारोबार से जुड़े वकीलों और लोगों का दावा है कि बड़ी संख्या में कोरोना लॉकडाउन के दौरान खादर क्षेत्र में रजिस्ट्री की गई हैं।

क्या है पूरा मामला
दादरी तहसील के सूरजपुर गांव में खादर क्षेत्र के गाटा संख्या 779 की जमीन बेची गई है। यह जमीन 4 लोगों ने खरीदी है। सभी चारों रजिस्ट्री 20 अप्रैल 2021 को ग्रेटर नोएडा के सब रजिस्ट्रार कार्यालय में करवाई गई हैं। रजिस्ट्री नंबर 8512/2021 के माध्यम से 843 वर्ग मीटर जमीन बेची गई। यह जमीन पूनम चड्ढा पत्नी बीवी चड्ढा ने पंकज मग्गो पुत्र कमल किशोर मग्गो को बेची है। पूनम चड्ढा दिल्ली में पश्चिम विहार की रहने वाली हैं और पंकज मग्गो ग्रेटर नोएडा में ईडब्ल्यूएचओ हाउसिंग सोसायटी के निवासी हैं।

दूसरी रजिस्ट्री 8513/2021 मैं भी 843 वर्ग मीटर जमीन बेची गई है। यह बैनामा पूनम चड्ढा ने सुमित मल्होत्रा पुत्र राजेंद्र पाल मल्होत्रा के नाम किया है। इसमें पता हीरानंदी एस्टेट ठाणे महाराष्ट्र का दर्ज किया गया है। तीसरा बैनामा 8514/2021 भी 20 अप्रैल 2021 को ही रजिस्टर्ड करवाया गया है। इसके जरिए भी 843 वर्ग मीटर जमीन ममता भाटिया पत्नी अशोक भाटिया ने ग्रेटर नोएडा की जलवायु विहार सोसायटी में रहने वाले भूपेंद्र कुमार पुत्र लायक सिंह को बेची है।

चौथी रजिस्ट्री 8515/2021 में 1459 वर्ग मीटर जमीन ममता भाटिया ने विनय बामिल पुत्र रणवीर सिंह बामिल और एसपी सिंह पुत्र बलजीत सिंह को संयुक्त रूप से बेची है। विनय बामिल ग्रेटर नोएडा में सेक्टर बीटा-1 और एचपी सिंह गाजियाबाद के अटौर गांव के रहने वाले हैं।

कैसे सामने आया मामला
ग्रेटर नोएडा सब रजिस्ट्रार कार्यालय में काम करने वाले वकीलों की छानबीन में यह मामला सामने आया है। बैनामा लेखक और रजिस्ट्रार कार्यालय की बार एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने करीब एक साल पहले हिंडन और यमुना नदी के खादर क्षेत्रों में प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त को लेकर कई नियम बनाए हैं। इन नियमों का पालन करने के लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालयों को भेजा गया है। ग्रेटर नोएडा का सब रजिस्ट्रार कार्यालय डीएम के नियमों का पालन नहीं कर रहा है। भ्रष्टाचार के जरिए खादर की जमीन की रजिस्ट्री की जा रही हैं। यह केवल 4 मामले उदाहरण भर के लिए हैं। सब रजिस्ट्रार ने कोरोना लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्या में इस तरह की रजिस्ट्री की हैं।

जांच और कार्रवाई की मांग
वकीलों का कहना है कि हिंडन और यमुना नदी के खादर क्षेत्रों में भूमाफिया सक्रिय हैं। गलत तरीके से रजिस्ट्री करवाई जाती हैं। यह सारा काम सब रजिस्ट्रार कार्यालय में अनाधिकृत रूप से काम करने वाले कुछ लोग करते हैं। वह मोटा पैसा लेकर रजिस्ट्री करवाते हैं। इस पूरे घोटाले की जांच होनी चाहिए। सब रजिस्ट्रार और उन्हें सहयोग करने वाले अनाधिकृत लोगों के खिलाफ कार्यवाही की जानी चाहिए। वकीलों का कहना है कि इस पूरे मामले को लेकर शुक्रवार को जिलाधिकारी से मुलाकात करने जाएंगे।

रजिस्ट्रार ने सीधा जवाब नहीं दिया
इस पूरे मामले को लेकर ट्राईसिटी टुडे की ओर से ग्रेटर नोएडा के सब रजिस्ट्रार रामेंद्र श्रीवास्तव से बातचीत की गई। वकीलों की ओर से उपलब्ध करवाई गई रजिस्ट्री के दस्तावेज सब रजिस्ट्रार को भेजे गए और उनसे इस पर पक्ष रखने के लिए कहा गया। साथ ही यह भी पूछा गया कि क्या जिलाधिकारी की ओर से निर्धारित किए गए मानदंडों का पालन इन रजिस्ट्री के दौरान किया गया है। इस पर सब रजिस्ट्रार ने कहा, "मैं अभी अवकाश पर हूं। अपने घर आया हुआ हूं। वहां से वापस लौट कर आऊंगा तो कार्यालय से जानकारी लेकर दे दूंगा। अभी इस बारे में इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता हूं।"

डीएम ने कहा- जांच और कार्यवाही होगी
इस पूरे मामले को लेकर गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी सुहास एलवाई का कहना है कि उनकी ओर से जारी किए गए आदेश और उसमें निर्धारित मानदंडों का पालन सब रजिस्ट्रार को करना चाहिए था। अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया है तो यह गंभीर बात है। हमारा उद्देश्य हिंडन और यमुना नदी में अवैध रूप से हो रहे निर्माण को रोकना है। इस पूरे प्रकरण की जांच की जाएगी और गड़बड़ी मिलने पर कार्यवाही भी होगी।

भूमाफिया ने किया गोलमाल
वकीलों ने बताया कि इस पूरे मामले में हिंडन खादर क्षेत्र के भूमाफियाओं की बड़ी भूमिका है। भूमाफिया ने खादर क्षेत्र में शामिल गाटा संख्या की लिस्ट से सूरजपुर के गाटा संख्या 779 को हटवा कर 18 फरवरी 2019 को एक पत्र जारी करवाया। यह पत्र ग्रेटर नोएडा के सदर सब रजिस्ट्रार को भेजा गया। इसी के आधार पर खादर क्षेत्र में रजिस्ट्री करने की अनुमति दी जानी थी। जब इस बात की जानकारी वकीलों को लगी तो छानबीन की गई। जिसके बाद सिंचाई विभाग में 3 नवंबर 2020 को एक और पत्र सब रजिस्ट्रार कार्यालय को भेजा। उसमें सूरजपुर के खादर में पड़ने वाले गाटा संख्या की सूची भेजी गई है। इस सूची में गाटा संख्या 779 को भी खादर क्षेत्र में सम्मिलित किया गया है। लिहाजा, सब रजिस्ट्रार कार्यालय को बाद में आने वाली सूचना का उपयोग करना चाहिए था।

रजिस्ट्री के लिए हलफनामा लिया 
ग्रेटर नोएडा के सब रजिस्ट्रार ने यह 4 रजिस्ट्री करने के लिए ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की जरूरी अनापत्ति नहीं ली। इसके अलावा गौतमबुद्ध नगर के अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) के कार्यालय से अनुमति भी नहीं ली। सिंचाई विभाग को भी पत्र लिखकर सूचना नहीं मांगी गई। अपना कानूनी बचाव करने के लिए पांचो क्रेताओं से एक हलफनामा जरूर लिया गया है। जिसमें शपथ ली गई है कि वह लोग यमुना खादर में अनाधिकृत निर्माण नहीं करेंगे। अवैध गतिविधियों का संचालन नहीं करेंगे। मतलब साफ है कि सब रजिस्ट्रार कार्यालय की मंशा सही नहीं थी। उन्हें यह पता था कि गाटा संख्या 779 खादर क्षेत्र में है। ऐसे में जिलाधिकारी कार्यालय, ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण और सिंचाई विभाग को पत्राचार करने पर रजिस्ट्री करना संभव नहीं होता।

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